Claim
सोशल मीडिया पर भारत के समर्थन में शपथ लेते एक समूह का वीडियो दोबारा वायरल है. इसके साथ दावा किया जा रहा है कि यह पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर के लोग हैं जो भारतीय सेना के समर्थन में शपथ ले रहे हैं. फेसबुक पर इस वीडियो को शेयर करते हुए एक यूजर (आर्काइव लिंक) ने लिखा, 'पीओके के मुसलमान भारत में मिलने के लिए.. भारत-पाकिस्तान युद्ध में भारतीय सेना को तन-मन-धन से समर्थन देने की सौगंध खा रहे हैं जो 70 साल मे संभव नहीं था वो अब सहजता से हो रहा है...'
Fact
बूम इस वीडियो का फैक्ट चेक इससे पहले मार्च में भी कर चुका है. तब भी यह वीडियो इसी दावे से वायरल था. बूम ने उस दौरान अपने फैक्ट चेक में पाया था कि वीडियो के साथ किया जा रहा दावा गलत है. वीडियो में साफ तौर पर यह सुना जा सकता है कि शपथ लेते हुए लोग जम्मू कश्मीर स्थित उरी का जिक्र कर रहे हैं. उनके हाथ में कुछ तख्तियां भी देखी जा सकती हैं, जिसपर 'गुज्जर-बकरवाल एकता जिंदाबाद' लिखा है. यहां से हिंट लेते हुए हमने इससे संबंधित कुछ कीवर्ड्स को गूगल सर्च किया था. इससे हमें गुज्जर बकरवाल नाम के एक्स हैंडल पर यही वीडियो मिला था. इस वीडियो के कैप्शन में बताया गया था कि जम्मू कश्मीर के गुज्जर बकरवाल अपनी अनुसूचित जनजाति की स्थिति की सुरक्षा के संबंध में अपने संवैधानिक अधिकारों को सुरक्षित रखने का संकल्प ले रहे हैं. इसके अतिरिक्त हमें एक यूट्यूब वीडियो भी मिला था. इसके डिस्क्रिप्शन में बताया गया था कि उरी के गुज्जर बकरवाल समुदाय ने भारत के संविधान के दायरे में अपनी अनुसूचित जनजाति की स्थिति की रक्षा करने की कसम ली. इस दौरान उन्होंने भारतीय सेना के समर्थन में भी शपथ लिया. इसके अलावा बूम ने शपथ दिलवाने वाले रफीक बलोटे से भी संपर्क किया था. उन्होंने बूम से यह स्पष्ट किया था, "इस वीडियो का पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर से कोई संबंध नहीं है. यह तब का वीडियो है जब गुज्जर और बकरवाल समुदायों ने आरक्षण देने के सरकार के फैसले के खिलाफ अगस्त (2023) में एक मार्च निकाला था. यह मार्च बारामूला जिले के डाक बंगला इलाके में आयोजित हुआ था. इस मार्च के बाद उरी के गुज्जर और बकरवाल समुदाय के युवाओं ने शपथ भी ली थी."