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फ़ास्ट चेक

मुस्लिमों को हिन्दू धर्मग्रंथ का अध्ययन करते दिखाती तस्वीर फ़र्ज़ी दावे से वायरल

बूम ने पाया कि यह तस्वीर 2014 की है, जिसमें हैदराबाद के एक मदरसे के छात्रों को दिखाया गया है जो इस्लाम और हिंदू धर्म में सामान्य विशेषताओं को समझने के लिए वेदों का अध्ययन कर रहे थे.

By - Mohammad Salman | 30 Aug 2021 8:49 AM GMT

Claim

"क्या आप #जानते हैं कि IRF (इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन) संगठन जाकिर नाइक जैसे प्रचारकों की अगुवाई में वेदों का गलत साहित्य छापता है........"

Fact

बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल तस्वीर के साथ किया गया दावा फ़र्ज़ी है. यह तस्वीर 2 अप्रैल 2014 को द हिंदू की एक रिपोर्ट "Best of both worlds" में प्रकाशित हुई थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि हैदराबाद, तेलंगाना में अल महादुल अली अल इस्लामी मदरसा के छात्र इस्लाम और हिंदू धर्म में सामान्य विशेषताओं को समझने के लिए वेदों का अध्ययन कर रहे थे. बूम ने जुलाई 2020 में इसी तस्वीर के साथ ऐसे ही दावे को ख़ारिज किया था. हमने उस समय मदरसा के उप निदेशक, उस्मान आबेदीन से संपर्क किया था, जिन्होंने वायरल दावे को ख़ारिज करते हुए कहा था, "छात्र किताबों का अध्ययन कर रहे हैं, उन्हें फिर से नहीं लिख रहे हैं" हमने द हिंदू के पत्रकार से भी इसकी पुष्टि की थी जिन्होंने यह लेख लिखा था. द हिंदू के पत्रकार जेएस इफ़्तेख़ार ने बूम को बताया, "यह तुलनात्मक धार्मिक अध्ययन का एक तरह का कोर्स है."


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