कोविड-19 से बचाव हेतु एक प्रतिबंधक उपायों जैसे सफ़र ना करना, सोशल डिस्टन्सिंग का पालन करना इत्यादि की लिस्ट ग़लत तरीक़े से इंडीयन काउन्सिल ऑफ मेडिकल रीसर्च (आई.सी.एम.आर) और दिल्ली के सर गंगा राम हॉस्पिटल से जोड़ी जा रही है । आई.सी.एम.आर कोविड-19 के लिए हो रही रीसर्च का भारत में सर्वोच्च स्थान है और सर गंगा राम हॉस्पिटल, दिल्ली में कोविड-19 के इलाज के लिए काम कर रहा है।
बूम ने दोनों ही संस्थानो के प्रवक्ताओं से बात की जिन्होंने इस बात की पुष्टि की कि यह मेसेज इन संस्थानों ने जारी नहीं किए हैं ।
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इस लिस्ट में कई प्रतिबंधक उपाय लिखे गए हैं जैसे दो साल तक सफ़र ना करना, बचे हुए साल में बाहर का खाना ना खाना, बड़े सामाजिक समारोह में ना जाना और चेहरे पर मास्क पहनना ।
किंतु इनमें से कई बिंदु ऐसे भी हैं जिनका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है जैसे - सिर्फ़ शाकाहारी भोजन करें, घड़ी और बेल्ट ना पहने, रुमाल का उपयोग ना करें और केवल टिशू और सैनिटाइज़र का उपयोग करें।
अन्य दावों में सोशल डिस्टन्सिंग का पालन करने के नियम मेडिकल प्रोफ़ेशनल्स द्वारा दिए गए हैं जो व्यवहार में बदलाव ला सकते हैं ।
बूम को ऐसे कई संदेश अपने व्हाट्सएप्प हेल्प्लाइन पर मिले जहाँ इन संदेशों को फ़र्ज़ी तरीक़े से उक्त संस्थानों से जोड़ा जा रहा था।
यह दोनो ही दावे फ़ेसबुक पर भी वायरल हैं।
फ़ैक्ट चेक
बूम ने आई.सी.एम.आर और सर गंगा राम हॉस्पिटल के प्रवक्ताओं से सम्पर्क किया।
आई.सी.एम.आर के प्रवक्ता डॉक्टर लोकेश शर्मा ने कहा "आई.सी.एम.आर की सभी घोषणाएँ एवं आधिकारिक सूचनाएं वेबसाइट पर पोस्ट की जाती हैं । आई.सी.एम.आर ने ऐसी कोई प्रतिबंधक उपायों की लिस्ट नहीं बनायी है।"
सर गंगा राम हॉस्पिटल के मीडिया रिलेशंस ऑफ़िसर अजोय सहगल ने भी इस बात से इंकार कर दिया की हॉस्पिटल ने ऐसे कोई दावे किए है ।
"यह मेसेज फ़र्ज़ी है। पहले भी ऐसा एक मेसेज कुछ डॉक्टर्स के नाम के साथ वायरल हुआ था और माना गया था की यह डॉक्टर इस अस्पताल के हैं। किंतु वह कभी भी सर गंगा राम हॉस्पिटल के डॉक्टर्स में से एक नहीं थे।"
इस मेसेज में काफ़ी स्पेलिंग एवं व्याकरण की ग़लतियाँ भी है। इस मेसेज के बिंदु 9 और 10 में एक विशेष हफ़्ते के दौरान ख़ास ध्यान रखने को कहा गया है और किसी प्रकार की गड़बड़ से दूर रहने का सुझाव है।
इस मेसेज में 21 दावें हैं। इनमें से ज़्यादातर दावें, सोशल डिस्टन्सिंग के नियम, पर्सनल हाइजीन, मास्क पहनना, हाथ धोना और बाहर से आने पर नहाना, इन बातों की चर्चा करते हैं।
शाकाहारी खाना खाने का, घड़ी एवं बेल्ट ना पहनने का और रुमाल का उपयोग ना करने के दावें विज्ञान पर आधारित नहीं है।
बूम ने पहले भी ए.एफ.पी की एक स्टोरी प्रकाशित की है जो इस दावे का पर्दाफ़ाश करती है की विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसके अनुसार किसी भी शाकाहारी भोजन करने वाले व्यक्ति को कोविड -19 नहीं हुआ है और शाकाहारी खाना खाने वाला कोविड़-19 से बचा रहेगा।
ऐसी कोई भी खोज नहीं हुई है जो कहती हो की कलाई की घड़ी और बेल्ट से कोविड़ - 19 हो सकता है। इसीलिए यह दावा की इनको नहीं पहनना चाहिए, वैज्ञानिक नहीं है ।
इसके साथ यह दावा की रुमाल का उपयोग नहीं करना चाहिए भी वैज्ञानिक नहीं है। दुनियाभर में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सर्जिकल मास्क्स की कमी के चलते रुमाल एवं नाक और मुँह ढकने के लिए कपड़े के मास्क के उपयोग को सही बताया है।
बूम जनवरी से कोविड़ - 19 से जुड़ी झूठी ख़बरों का पर्दाफ़ाश कर रहा है। हमने एक अध्ययन भी किया यह देखने के लिए की झूठी ख़बरें अधिकतर किन विषयों पर ध्यान देती है।