पिछले महीने दिल्ली में तब्लीग़ी जमात के एक धार्मिक मंडली के आयोजन के बाद, कोरोनावायरस के कई नए मामले सामने आए। अब इसी घटना के चलते, पाकिस्तान के एक नए वीडियो को भारत का बताकर वायरल किया जा रहा है। इस बिना तारीख़ के वीडियो में एक महिला, डॉक्टर एवं पुलिस कर्मचारियों पर चिल्लाती नज़र आती है।
बूम ने पाया की यह वीडियो पाकिस्तान के सिंध प्रांत के सुक्कूर शहर के एक क्वारंटाइन सेंटर का है जिसे सिंध की सरकार ने ईरान से आते हुए शिया भक्तों के लिए बनाया था। ईरान, मध्य पूर्वी इलाक़े का सबसे अधिक कोरोनावायरस ग्रस्त देश है।
भारत में यह वीडियो इस कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा, "कोरोना जांच में सहयोग की बजाए डाक्टरों के साथ बदतमीजी करते जाहिल जिहादी...'' ''इनकी जांच नहीं सीधे मोके पर ईलाज करना चाहिए!! सरकार कब तक झेलेगी इन जिहादियों को???"
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यह फ़ेसबुक एवं ट्विटर पर इस कथ्य के साथ वायरल है।
कोरोना जांच में सहयोग की बजाए डाक्टरों के साथ बदतमीजी करते जाहिल जिहादी..''
— vj dab (@vjdabodiya) April 8, 2020
''इनकी जांच नहीं सीधे मोके पर ईलाज करना चाहिए!!
सरकार कब तक झेलेगी इन जिहादियों को??? pic.twitter.com/7Dwya2w0Nn
फ़ैक्ट चेक
बूम पता लगा पाया है कि यह वीडियो पाकिस्तान से है क्योंकि इसमें बोली गयी भाषा, भारत में प्रयोग की गयी बोलियों से भिन्न है। इस वीडियो के ट्वीट पर आए एक जवाब से पता चलता है कि वह ईरान-पाकिस्तान की सीमा के एक क्वारंटाइन सेंटर का है।
Isn't that the plan? To get rid of any support they have from majority.
— 30 Beat Khan (@Hoo_Carez) April 9, 2020
This video and ur reaction to it is the best example. Cos this is Pak-Iran border, and these are Shia pilgrims being quarantined. They are protesting about being quarantined at the border.
Hate Plan 👍
कीवर्ड सर्च के उपरांत, हमें यही वीडियो कई पाकिस्तानी हैंडल्ज़ द्वारा अपलोड किया हुआ मिला। कई ट्वीट्स के अनुसार, यह घटना, पाकिस्तान के सुक्कूर शहर में मार्च महीने के आख़री हफ़्ते में हुई जब आयसोलेशन में रखे गए तीर्थयात्रियों ने वहाँ दी जा रही सुविधाओं का विरोध किया।
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पाकिस्तानी सरकार के आधिकारिक ट्विटर हैंडल द्वारा फ़ॉलो किए गए 'Developing Pakistan (@DevelopmentPk)' पेज ने भी यह वीडियो अपलोड करते हुए कहा की यह घटना सुक्कूर क्वारंटाइन सेंटर, लेबर कालोनी की है जहाँ तीर्थयात्रि डॉक्टर्स का सहयोग नहीं कर रहे थे। ट्वीट में आगे यह भी लिखा है कि, वीडियो में नज़र आती महिला, दूसरी बार COVID- 19 के लिए पॉज़िटिव टेस्ट हुई थी, परंतु महिला का कहना है कि वह एक झूठा दावा था।
Video of sukkur quarantine center labor Colony these are zaireens mis-behaving with doctors came for their screening
— Developing Pakistan (@DevelopmentPk) March 29, 2020
Reason the lady was coronavirus +ve after recovering went home after few days called again for the test which came +ve again and she called the test fake. pic.twitter.com/r0K5Lag9QP
इसी कथन के साथ यह वीडियो समाचार एकत्रित करने वाले एक पाकिस्तानी फ़ेसबुक पेज पर 29 मार्च को अपलोड किया गया है।
इसके अलावा, हमने वीडियो में दिखती बिल्डिंग को सुक्कूर क्वारंटाइन सेंटर से मेल खाता पाया। सिंध के मुख्यमंत्री के सलाहकार, मुर्तज़ा वाहब द्वारा ट्वीट किए गए क्वारंटाइन सेंटर के वीडियो में दिखती बिल्डिंग वाइरल वीडियो से मेल खाती है। यह क्वारंटाइन सेंटर, ईरान की ताफ्तान सीमा से पाकिस्तान में आते तीर्थयात्रियों के लिए स्थापित किया गया था।
This is the quarantine facility set up by #SindhGovt for taking care of Zaaireen coming from Taaftaan border. This facility can cater to atleast 2024 individuals. One can see that the place is properly walled & secured. We are trying our best safeguard our people from #COVIDー19 pic.twitter.com/NVZoZfSsro
— SenatorMurtaza Wahab (@murtazawahab1) March 18, 2020
शिया संप्रदाय जो इमाम खोमैनी की दरगाह पर जाते हैं उन्हें ज़ायरीन कहा जाता है, नीचे फ्रेम और वीडियो की तुलना दी गयी है|
अभी तक यह नहीं पता चल पाया है की वीडियो में दिखती महिला ने चिकित्सकों का विरोध क्यूँ किया, हालाँकि एक रिपोर्ट के अनुसार, सुक्कूर क्वॉरंटीन सेंटर में 21 मार्च को तीर्थयात्रियों द्वारा सुविधाओं का विरोध करने की ख़बर सामने आयी है। तीर्थयात्रियों ने सड़कों पर उतरकर सरकार का विरोध किया। यह कहा जा रहा था कि उन्हें खाना, पानी एवं दवाइयाँ उपलब्ध नहीं की जा रही हैं। अधिकार्रियों का कहना था कि रंजेर्स एवं आर्मी को परिस्थिति सम्भालने के लिए बुलाया गया।
यह वीडियो, पिछले महीने दिल्ली में तब्लीग़-ए-जमात की धार्मिक मण्डली में भाग लेने वाले कई लोगों के पॉज़िटिव टेस्ट करने के बाद, भारत में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने वाली ग़लत सूचना की एक श्रृंखला में नवीनतम है।
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