राजनैतिक एवं सिविल राइट्स एक्टिविस्ट सूरत सिंह खालसा की एक तस्वीर फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल है | दावा है कि वृद्ध ने किसान आंदोलन के समर्थन में 'अन्न जल' त्याग दिया है |
बूम ने पाया कि वायरल तस्वीर 2015 में ली गयी थी जब उन्होंने मरते दम तक भूख हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था | उनकी मांग है कि जिन सिख कैदियों ने अपनी सज़ा की अवधी पूरी कर ली है, उन्हें रिहा किया जाए |
यह तस्वीर किसान आंदोलन की पृष्ठभूमि में वायरल हो रही है | केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों के ख़िलाफ़ हज़ारों की संख्या में किसान दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन कर रहे हैं |
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यह तस्वीर ज़ोरों से सोशल मीडिया पर शेयर की जा रही है | इसके साथ कैप्शन में लिखा है: "#बापूसूरतसिंह...,ने अपनी #किसान क़ौम के लिए अन्न जल त्याग दिए, जनता अब भी साथ नहीं आइ तो आने वाले समय में उपवास जनता को करना होगा।"
नीचे कुछ पोस्ट्स देखें | इनके आर्काइव्ड वर्शन यहां और यहां देखें |
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फ़ैक्ट चेक
बूम ने इस वायरल तस्वीर के साथ रिवर्स इमेज सर्च किया | हमें एशियन संडे नामक वेबसाइट पर एक रिपोर्ट मिली जिसमें यही तस्वीर 2 नवंबर 2015 को प्रकाशित की हुई मिली | इस लेख से संकेत लेते हुए हमनें गूगल पर कीवर्ड्स सर्च किया |
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बापू सूरत सिंह ख़ालसा के नाम पर एक फ़ेसबुक पेज मिला | इस पेज का नाम है "बापू सूरत सिंह खालसा - संघर्ष जारी है" | इस पेज पर सूरत सिंह की अधिकतर गतिविधिया बताई गयी हैं | पेज खंगालने पर वायरल तस्वीर मिली जो 23 सितम्बर 2015 को पोस्ट की गयी थी |
बूम ने इस पेज के एडमिन से संपर्क किया है | जवाब मिलने पर लेख अपडेट किया जाएगा |
इस मामले पर हमें द न्यूज़ इंडियन एक्सप्रेस और हफ़्फिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट्स मिली | द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, "16 जनवरी, 2015 से, 83 वर्षीय सूरत सिंह खालसा अपनी मरने तक अन्न जल त्यागने की योजना के बावजूद खबरों में बहुत कम हैं | वे सिख राजनैतिक कैदियों की रिहाई की मांग कर रहे हैं, जिन्होंने जेल की सजा पूरी कर ली है।"
हफ़्फिंगटन पोस्ट की 2017 की एक रिपोर्ट में सूरत सिंह ख़ालसा द्वारा लिखा एक पत्र प्रकाशित किया गया था | यह रिपोर्ट तब प्रकाशित हुई थी जब ख़ालसा को भूख हड़ताल के 1000 दिन हो चुके थे|
इस रिपोर्ट के मुताबिक़, "2015 में पंजाब में सिख राजनैतिक कैदियों को मुक्त करने के लिए अपनी भूख हड़ताल पर, 84 वर्षीय बापू सूरत सिंह ने अपने पत्राचार में दो महत्वपूर्ण लाइनें लिखी थीं |"
हफ़्फिंगटन पोस्ट में प्रकाशित पत्र की तस्वीर नीचे देखें |
पत्र में जो लिखा है उसका करीब करीब अनुवाद कुछ यूँ है: "हमने इस यात्रा पर शुरुआत की है, गंतव्य दूर है और सीधा नहीं है; यह पथरीला, ऊँचा, कांटेदार है, लेकिन इस तक पहुँचना आवश्यक है। " - सूरत सिंह खालसा (6 मार्च, 2015)
अन्य रिपोर्ट यहां पढ़ें |
बापू सूरत सिंह ख़ालसा कौन है?
सूरत सिंह ख़ालसा एक पोलिटिकल एवं सिविल राइट्स एक्टिविस्ट हैं | स्क्रॉल द्वारा 18 अप्रैल 2015 को प्रकाशित एक रिपोर्ट में बताया गया है कि उन्होंने 80 के दशक में स्कूल टीचर की नौकरी छोड़ कर सक्रीय राजनीती ज्वाइन की थी |
सिख24 वेबसाइट ने 17 जनवरी 2020 को उनके भूख हड़ताल के पांच साल पूरे होने पर एक लेख प्रकाशित किया था |
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