एक तीन-साल-के बच्चे की दर्दनाक तस्वीर सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल हो रही है | तस्वीर बच्चे के दादा की दहशतगर्दों और सेंट्रल रिज़र्व पुलिस फ़ोर्स के बीच 1 जुलाई को हुए मुठभेड़ के दौरान गोली लगने से हुई मौत के बाद ली गयी थी | कश्मीर के सोपोर में हुए इस घटना के बाद बच्चे और उसके दादा की कई दर्दनाक तस्वीरों ने इंटरनेट पर लोगो को हिला कर रख दिया है |
इन्ही में से एक तस्वीर अब इस फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल है की उक्त बच्चा हाथ में पत्थर लिए एक सीआरपीएफ़ जवान की ओर बढ़ रहा है |
बूम ने कई कोण से ली गयी तस्वीरों की तुलना की और पाया की बच्चे के हाथ में पत्थर नहीं है बल्कि उसके ठीक पीछे मौजूद चट्टान और उसकी बंद मुट्ठी मिल कर एक भ्रम सा पैदा कर रही है |
न्यूज़ रिपोर्ट्स के अनुसार 1 जुलाई 2020 को कश्मीर के सोपोर कस्बे में सीआरपीएफ़ और उग्रवादियों के बीच हुई मुठभेड़ में एक बुज़ुर्ग व्यक्ति की जान कथित तौर पर उग्रवादियों की गोली से हो गयी थी | बुज़ुर्ग के पोते की कई ह्रदय-विदारक तस्वीरों ने सोशल मीडिया पर भूचाल मचा दिया था |
क्या यह अपाचे हेलीकाप्टर लदाख के पांगोंग लेक पर उड़ रहे हैं?
इस वायरल पोस्ट के साथ अंग्रेजी में कैप्शन लिखा है जिसका हिंदी अनुवाद है 'एक छोटा बच्चा अपने हाथ में पत्थर ले लेता है जब वह देखता है की कैसे सेना ने कश्मीर में उसके दादा को मारा...कोई बता सकता है की उसका निशाना कौन होगा और क्यों उसने पत्थर उठाया??? एक अनिवार्य सवाल? इसका जवाब जरुरी है.'
(वास्तविक कैप्शन: This Little boy Holds a stone in his hand after seeing how his Grandfather was killed by Forces in Kashmir...Can anybody guess who is going to be his Target and why he picked up the stone????? Is an inevitable question? That is needed to be answered)
पोस्ट काफ़ी हृदय-विदारक हैं इसीलिए बूम ने उसे अपने होम पेज पर ना शेयर करने का फ़ैसला लिया है | आप वायरल पोस्ट यहां देख सकते हैं और उसके आर्काइव्ड वर्शन को यहाँ और यहाँ देखें |
यही तस्वीर ट्विटर पर भी वायरल है |
फ़र्ज़ी ट्वीट का दावा: प्रशांत भूषण ने टिकटोक बैन के खिलाफ़ दाखिल की याचिका
फ़ैक्ट चेक
बूम ने कई एंगल्स से से ली गयी तस्वीरों की तुलना की और पाया की बच्चे के हाथ में जो पत्थर जैसा दिख रहा है दरअसल वो तस्वीर के कोण की वजह से है |
तस्वीर में बच्चा चल कर सीआरपीएफ़ के जवान की ओर जा रहा है और उसके हाथ हिल रहें हैं | उक्त फ़्रेम में बच्चे का बायां हाथ उससे आगे है और दाहिना हाथ शरीर के सीध में है | उसके ठीक आगे सड़क के किनारे ज़मीन पर तीन चट्टान के टुकड़े हैं | बच्चे की भींची हुई मुट्ठी और चट्टान का एक कोना तस्वीर के एक ही फ़्रेम में आते हैं और ऐसी भ्रान्ति पैदा होती है जैसे बच्चे के हाथ में पत्थर मौजूद है |
बूम ने दो फ़्रेम्स की तुलना नीचे की है |
हमनें कई न्यूज़ रिपोर्ट्स भी देखी ताकि हमें एक साफ़ तस्वीर मिल सके पर कोई तस्वीर नहीं मिली क्योंकि उस जगह पर कोई फ़ोटोजर्नलिस्ट मौजूद नहीं थे । "यह एक ऑपरेशनल एनकाउंटर नहीं था और वहां कोई फ़ोटोजर्नलिस्ट मौजूद नहीं थे," सी.आर.पी.ऍफ़ के प्रवक्ता जुनैद खान ने आउटलुक को बताया |
हमें इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट मिली जिसमें इस तस्वीर की बात की गयी थी पर उसमें कहीं भी 'बच्चे के हाथ में पत्थर' होने का ज़िक्र नहीं था |
रिपोर्ट्स के अनुसार 60-वर्षीय व्यक्ति अपने पोते के साथ घटना वाले इलाके से गुजर रहे थे और क्रॉसफायर में फंस गए | वृद्ध की 2 गोलियां लगने की वजह से मौके पर ही मृत्यु हो गयी थी | सोशल मीडिया पर यह दावे भी वायरल है की बुज़ुर्ग व्यक्ति की मौत पुलिस की गोलियों से हुआ था ना की उग्रवादियों की | पीड़ित के परिवार ने अब वीडियो जारी किये है जिसमें दावा किया गया है की वृद्ध को कार से खींचकर सामने से गोली मारी गयी है | हालाँकि बूम इन दावों को स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं कर सकता |