यह दावा करने वाली तस्वीर कि पुलिस नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में शामिल हो गई है, फोटोशॉप्ड है।
तस्वीर खराब तरीके से एडिटेड है और इसमे पुलिस कर्मियों को पोस्टर पकड़े हुए दिखाया गया है जिसमें लिखा है "नो एनआरसी, नो सीएबी।" यह तस्वीर ऐसे समय में आई है जब कई राज्यों में पुलिस बल, सीएए और एनआरसी के खिलाफ विरोध को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।
नकली तस्वीर को एक कैप्शन के साथ शेयर किया गया है, जिसमें दावा किया गया है, "हम कहते थे ना.... पुलिस के जवान भी संविधान बचाने के लिए हमारे साथ हैं , सिवाए RSS आतंकियों के।" कहानी लिखे जाने तक पोस्ट को 1,800 से ज्यादा बार शेयर किया गया था। इसमें 47 टिप्पणियां भी थीं, जिनमें से ज्यादातर लोगों ने कहा कि यह तस्वीर फ़र्ज़ी है। अर्काइव वर्शन यहां देखा जा सकता है दूसरे अर्काइव के लिए यहां देखें।
फ़ैक्ट चेक
तस्वीर पर एक नज़र डालने से ही पता चलता है कि तस्वीर फ़र्ज़ी है, जैसे कि तस्वीर का पिक्सेलेशन ख़राब है। तस्वीर का रिवर्स इमेज सर्च से पता चलता है कि यह नवंबर 2019 से है और सीएए या एनआरसी के ख़िलाफ विरोध से संबंधित नहीं है।
द हिंदू द्वारा 5 नवंबर, 2019 को एक 'टॉप न्यूज फोटो' संकलन में यही फोटो देखा जा सकता है।
पुलिसकर्मियों द्वारा पकड़े गए पोस्टरों में लिखा है, "हम समान न्याय चाहते हैं, बचाने वाले को बचाओ।"
यह तस्वीर उस समय की है जब वकीलों के साथ झड़प के दौरान पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट की घटनाओं से निपटने के उनके नेतृत्व पर विरोध के निशान के रूप पुलिस कर्मियों ने आईटीओ में दिल्ली पुलिस मुख्यालय तक मार्च किया था, जैसा कि हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट में बताया गया है।
2 नवंबर 2019 को तीस हजारी कोर्ट परिसर के अंदर दिल्ली पुलिस और वकीलों के बीच कथित तौर पर पार्किंग को लेकर हुई मारपीट के बीच एक बड़ी झड़प हुई थी। झड़प में, पुलिस अधिकारियों और वकीलों दोनों को गंभीर चोटें लगीं और झड़पों में कई वाहन क्षतिग्रस्त हो गए थे, जिसने पूरे देश को झकझोड़ कर रख दिया था।