अपनी माँ को कंधे पर उठाये बांग्लादेश के भीतर प्रवेश करते एक रोहिंग्या मुस्लिम पुरुष की तस्वीर सोशल मीडिया पर एक फ़र्ज़ी कैप्शन के साथ वायरल है | फ़र्ज़ी कैप्शन के ज़रिये इस तस्वीर को भारत से जोड़ कर वायरल किया जा रहा है | बूम ने पाया की यह तस्वीर 2017 की है और तस्वीर में दिख रहें व्यक्ति की पहचान ओसिउर रेहमान के तौर पर की गयी है जो रोहिंग्या मुसलमान है और कई दिनों तक अपनी माँ को कन्धों पर उठाकर म्यांमार से बांग्लादेश आया था |
इस तस्वीर को ऐसे समय पर शेयर किया जा रहा है जब सैकड़ों की संख्या में प्रवासी मज़दूर पुरे देश में अपने-अपने घरों और राज्यों की तरफ़ चल कर जा रहे हैं | मज़दूर हज़ारों किलोमीटर पैदल चल कर्नाटका, तमिलनाडु, महाराष्ट्र से ज़्यादातर पलायन कर उत्तर प्रदेश, बिहार और ओडिशा में स्थित अपने घरों को लौट रहे है | केंद्र और राज्य सरकारों की इन मज़दूरों को समय रहते मदद मुहैया ना कराने और यातायात-साधन उपलब्ध नहीं कराए जाने पर काफ़ी आलोचना हुई | हाल ही में औरंगाबाद, महाराष्ट्र में रोंगटे खड़ी कर देने वाली एक घटना में 15 प्रवासी कर्मचारी एक माल गाड़ी के नीचे आ कर मारे गए जोकि कई दिनों से पैदल चलने की वजह से हुई थकावट के चलते देर रात पटरी पर सो रहे थे |
इस वायरल तस्वीर में एक बुजुर्ग व्यक्ति को अपनी माँ को कन्धों पर उठाकर चलते देखा जा सकता है | उनकी आँखों से आंसू बह रहें हैं | इस ह्रदय विदारक तस्वीर को ट्विटर पर भी शेयर किया गया जहां कैप्शन के ज़रिये यह दिखाने की कोशिश की गयी है की यह भारत के एक प्रवासी मज़दूर की तस्वीर है |
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भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अनुसूचित जाति विंग ने इस तस्वीर को ट्वीट कर कैप्शन द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पुछा की क्या वे इनकी बेबसी को देख सकते है |
.@narendramodi जी, क्या आप इनके चेहरे की बेबसी को आप पढ़ पा रहे हैं?
— Dalit Congress (@INCSCDept) May 10, 2020
कुछ तो करो सरकार.. pic.twitter.com/9OaAaQ0h4H
अर्थ-शास्त्री रूपा सुब्रमण्या और पत्रकार स्वाति चतुर्वेदी ने तीन तस्वीरों का कोलाज बना कर शेयर किया जहां दो तस्वीरें भारत के प्रवासियों की है और तीसरी इस रोहिंग्या मुस्लिम व्यक्ति की है |
How do we sleep at night? pic.twitter.com/RmTC4wDwJd
— Swati Chaturvedi (@bainjal) May 11, 2020
फ़ैक्ट चेक
बूम ने पाया की यह तस्वीर एक रोहिंग्या मुसलमान की है जो अपनी माँ को पीठ पर लिए मयंमार से 2017 के संकट के वक़्त बांग्लादेश भाग आये थे |
हमें रिवर्स इमेज सर्च से मिले रिज़ल्ट में प्रेसेंजा नामक अंतर्राष्ट्रीय न्यूज़ वेबसाइट में नवंबर 2017 में प्रकाशित लेख मिला जिसका शीर्षक 'रोहिंग्या शरणार्थी कॉक्स बाज़ार बांग्लादेश में' है | ये लेख रोहिंग्या मुसलामानों की हालातों का विवरण देता है और बांग्लादेश में खींची तस्वीरों को दिखाता है |
इस साइट में फ़ोटो क्रेडिट मोबारक हुसैन को दिया गया है |
इसके बाद हमने " मोबारक हुसैन " बांगला में कीवर्ड सर्च किया जिसके बाद हमें बांग्लादेशी न्यूज़ साइट उखिया पर छपी न्यूज़ स्टोरी मिली जिसमें ओसिउर रेहमान नाम के व्यक्ति के बारे में लिखा गया था जो चार दिनों तक अपनी माँ को पीठ पर उठाए पैदल चला था |
इस खबर को यहाँ पढ़े |
इसी लेख में हमें मीडिया कंपनी द्वारा शेयर किया गया एक फ़ेसबुक पोस्ट भी मिला जिसमें ओसिउर मीडिया आउटलेट से इंटरव्यू के दौरान बता रहा है की कैसे वह तकरीबन चार दिनों तक अपनी माँ को उठाए जंगलों के बीच से होते हुए म्यांमार छोड़ बांग्लादेश आया था | इस वीडियो को फ़ेसबुक पर सितंबर 2017 में अपलोड किया गया है | इसे नीचे देखे |
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