भारती किसान यूनियन यानी बी.के.यू के सदस्यों की शाहीन बाग़ (Shaheen Bagh) प्रदर्शनकारियों के साथ फ़रवरी 2020 की तस्वीर फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल है । नेटीज़न्स गलत तरीके से तस्वीर में लाल जैकेट पहन कर खड़ी महिला को राजकुमारी बंसल (Rajkumari Bansal) बता रहे हैं ।
पहले भी बंसल को हाथरस (Hathras) में कथित गैंग रेप की घटना के बाद सोशल मीडिया यूज़र्स ने 'नक्सल भाभी' ("Naxal Bhabhi") या 'हाथरस भाभी' ("Hathras Bhabhi") कहकर परेशान किया था । राजकुमारी बंसल पेशे से जबलपुर, मध्य प्रदेश, की एक डॉक्टर हैं जिनके हाथरस गैंगरेप पीड़िता के घर जाने से कई विवाद हुए और उन्हें 'नक्सली' बताया गया । हालांकि यह सभी आरोपों को बंसल ने नकारा है । अब एक तस्वीर के साथ फ़र्ज़ी तरीके से उनका नाम फिर जोड़ा जा रहा है ।
बूम ने पाया कि यह वायरल तस्वीर किसान प्रदर्शन (Farmers Protest) से नहीं बल्कि इसी साल फ़रवरी में नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में दिल्ली के शाहीन बाग़ इलाके में हुए एक प्रदर्शन के दौरान ली गयी तस्वीर है । बूम ने राजकुमारी बंसल से भी बात की जिन्होंने वायरल दावों को नकारते हुए किसान प्रदर्शनों में हिस्सा ना लिए जाने की पुष्टि की है । यह प्रदर्शन अब 6 वें दिन में पहुंच चुके हैं ।
मुंबई में किसानों के धरने की दो साल पुरानी तस्वीर फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल
पंजाब, हरयाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों ने केंद्र सरकार के कृषि बिलों के विरोध में एक 'दिल्ली चलो' यात्रा का आयोजन किया है । किसानों को हरयाणा पुलिस की बेरिकेडिंग, वाटर केनन और टिअर गैस के गोलों का सामना भी करना पड़ा है ।
इस तस्वीर के साथ फ़र्ज़ी दावा करते हुए नेटीज़न्स इस प्रदर्शन को राजनैतिक होने और इसके कोई औचित्य न होने पर ज़ोर दे रहे हैं । बूम द्वारा पहले भी फ़ैक्ट चेक की जा चुकी शेफ़ाली वैद्य ने एक ट्वीट को रिट्वीट किया और इस तस्वीर की सच्चाई पूछी । रिट्वीट किये गए ट्वीट में लिखा था: "पहचाना इनको??? यह हाथरस वाले दलित भाभी हैं... अब यह किसान बन चुकी हैं..."
यही तस्वीर इंदौर के भारतीय युवा मोर्चा के महामंत्री और भाजपा नेता गौरव तिवारी ने भी शेयर की, जो अब हटा दी है, और लिखा था: "इन #इच्छाधारी मोहतरमा को पहचानने वाले और इनकी प्रसिद्धि में रीट्वीट कर चार चांद लगाने वालों को आज #फॉलो करूंगा..."
यही तस्वीर फ़ेसबूक पर भी तेजी से वायरल हो रही है ।
धारा 370 हटने के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की तस्वीर किसान मार्च से जोड़ी गयी
फ़ैक्ट चेक
बूम ने राजकुमारी बंसल से संपर्क किया जिन्होंने वायरल दावों को ख़ारिज़ करते हुए कहा, "इस तस्वीर में मैं नहीं हूं, मैं जबलपुर से पिछले कई दिनों से बाहर नहीं गयी ।" यह पूछने पर की क्या उन्होंने किसान प्रदर्शन में हिस्सा लिया है, उन्होंने कहा, "नहीं" ।
तस्वीर में दिख रहे भारती किसान यूनियन के झंडों से संकेत लेकर हमनें बी.के.यू के महिला मोर्चा की प्रेसिडेंट हरिंदर कौर बिंदु से बात की ।
बिंदु ने यह पुष्टि की कि यह शाहीन बाग़ में हुए नागरीकता संशोधन अधिनियम के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन के दौरान ली गयी तस्वीर है जब बी.के.यू के सदस्यों ने बारी-बारी से प्रदर्शनकारियों के लिए लंगर बनाया था । "बी.के.यू के सदस्य इस साल जनवरी, फ़रवरी में शाहीन बाग़ में प्रदर्शनकारियों के लिए लंगर बनाने गए थे । यह तस्वीर वहीं ली गयी थी । बूढ़े लोग हमारे झंडे पकड़ कर खड़े हैं," बिंदु ने कहा ।
जबकि बिंदु यह नहीं पुष्टि कर पाईं की तस्वीर में महिला कौन है, उन्होंने इतना बताया कि यह तस्वीर हाल में हो रहे किसान प्रदर्शन की नहीं है ।
हमनें शाहीन बाग़ के उस स्पॉट को ढूंढा जहां यह तस्वीर ली गयी थी । इसके अलावा, बिंदु के बयान से संकेत लेकर हमनें "बी.के.यू-भारती किसान यूनियन एकता उग्रहण" के फ़ेसबूक पेज को खंगाला और यही तस्वीर 10 फ़रवरी 2020 को अपलोड की गई पाई ।
बूम तस्वीर में दिख रही महिला की पहचान नहीं कर सका । हालांकि यह पुष्टि की जा सकती है कि यह किसान प्रदर्शन के दौरान ली गयी तस्वीर नहीं है ।