करीब 14 साल पुराना एन.डी.टी.वी के रिपोर्टर का गोलीबारी से बचने की कोशिश का एक वीडियो सोशल मीडिया पर इन दावों के साथ वायरल है कि वीडियो में कथित तौर पर पत्रकार रवीश कुमार हैं |
बूम ने पाया कि इस वायरल वीडियो में पत्रकार फ़याज़ बुखारी हैं ना कि रवीश कुमार | हमनें बुखारी से बात की जिन्होंने पुष्टि की कि वीडियो उन्हीं का है | बुखारी ने हमें बताया कि यह वीडियो 2006 कश्मीर में एक कांग्रेस रैली का है जब वह भारी गोलीबारी से बचने कि कोशिश में थे क्योंकि वह 'खुले में खड़े होकर लाइव प्रसारण कर रहे थे |' बुखारी अब एन.डी.टी.वी में नहीं हैं | रवीश कुमार, एन.डी.टी.वी के सीनियर एग्जीक्यूटिव एडिटर और मैग्सेसे पुरस्कार विजेता हैं जो अक्सर फ़र्ज़ी ख़बरों का शिकार होते हैं |
नहीं! शाहीन बाग़ में महिला के वेश में ये तस्वीर रवीश कुमार की नहीं है
यह 20 सेकंड लम्बा वीडियो एक बॉलीवुड गाने के साथ मढ़ा गया है | इसमें एक रिपोर्टर रोड के एक तरफ़ जमीन पर लेटे हुए देखा जा सकता है जो एक तरफ़ सरकने कि कोशिश कर रहा है | यह वीडियो कई ट्विटर द्वारा सत्यापित हैंडलों पर पोस्ट किया गया है | इसमें से एक हैं भारतीय जनता पार्टी (BJP) के जबलपुर विधायक इन्दु तिवारी |
पोस्ट (आर्काइव) में उन्होंने लिखा है: "इस मसीहा पत्रकार को पहचानते हैं? ये दुनिया को पत्रकारिता पर ज्ञान देने की खान हैं। इन्हें आजकल की पत्रकारिता इन्हें मज़ाक़ लगता है। क़ैदें हैं रविश कुमार।"
यही वीडियो क्लिप पत्रकार सुशांत सिन्हा ने भी ट्वीट (आर्काइव) कर लिखा: "(इस मसीहा पत्रकार को पहचानते हैं? (Hint: ये दुनिया को पत्रकारिता पर ज्ञान देने की खान हैं)"
यह वीडियो क्लिप फ़ेसबुक पर भी कई यूज़रों द्वारा शेयर किया गया है |
रवीश कुमार के हवाले से फ़िर एक फ़र्ज़ी बयान वायरल, इस बार बंगाल के ऊपर
सूरत में अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही का ग्यारह साल पुराना वीडियो ग़लत सन्दर्भ में हो रहा वायरल
जी नहीं, वायरल हो रही यह तस्वीर हाथरस पीड़िता की नहीं है
फ़ैक्ट चेक
बूम ने पाया कि वायरल क्लिप दक्षिण-पंथी वेबसाइट ऑपइंडिया के रवीश कुमार पर बनाए एक व्यंगात्मक वीडियो से ली गयी है |
इस वीडियो को 30 सितम्बर 2020 को अपलोड किया गया था और इसके साथ हिंदी कैप्शन में लिखा था: "S2E01: Ravish ki Nayi Report: Bhojpuri Ravish बकैत कुमार की रिपोर्ट का सीजन 2 शुरु हो रहा है। आज उनके भोजपुरी लाइव बकैती पर चर्चा करेंगे।"
पहले कुछ सेकण्ड्स यही वीडियो दिखाते हैं जो वायरल है | इसके बाद हमनें "NDTV reporter rolling on road" कीवर्ड्स सर्च किया और 27 अगस्त 2013 को एन.डी.टी.वी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर अपलोड एक वीडियो मिला | इसका टाइटल था "NDTV Bloopers 2006: Err, rolling?"
इस वीडियो के कमैंट्स में बताया गया था कि यह रवीश कुमार नहीं बल्क़ि कश्मीर से कोई बुखारी हैं | इसके बाद हमनें कुछ कीवर्ड्स के साथ खोज की और फ़याज़ बुखारी नाम के एक पत्रकार के रिजल्ट्स देखे | वह पहले एन.डी.टी.वी के साथ थे |
बूम ने बुखारी की फ़ेसबुक प्रोफ़ाइल ढूंढी और यही समान यूट्यूब वीडियो पाया जो उन्होंने 10 जून 2014 को पोस्ट किया था |
बूम ने इसके बाद फ़याज़ बुखारी से संपर्क किया जिन्होंने मैसेज पर हमें बताया की वीडियो उन्हीं का है | "वहां एक कांग्रेस रैली थी जो मई 2006 में फिदायीन हमले का शिकार हुई | हमला ख़त्म होने पर मैं लाइव कर रहा था | किसी को नहीं पता था कि एक उग्रवादी ज़िंदा है और पास ही छुपा है | अचानक गोलीबारी शुरू होगयी | मैं बिना किसी कवर के एकदम खुले में खड़ा था," बुखारी ने बूम को बताया |
पत्रकार ने आगे कहा कि कैमरापर्सन कवर में थे और केवल वह ही खुले में थे | "सीधी गोलीबारी से बचने के लिए मैं जमीन पर लेता और रेंगते हुए कवर लेने की खोशिश की | यह श्रीनगर के सिटी सेण्टर के पास पोलोव्यू से है," उन्होंने आगे कहा |
बूम ने इसके बाद कांग्रेस रैली पर 2006 में हुए फिदायीन हमले पर न्यूज़ रिपोर्ट्स खंगाली | हमें एसोसिएटेड प्रेस का एक वीडियो मिला जो यही घटना दर्शाता है पर एक अलग कोण से | इसे 28 जुलाई 2015 को यूट्यूब पर अपलोड किया गया है |
हमनें वायरल वीडियो और एसोसिएटेड प्रेस के वीडियो के स्क्रीनशॉट की तुलना की और कई तरह की समानताएं पाई |