अमेरिका के एक कैंसर उपचार केंद्र में बोन मैरो ट्रांसप्लांट के समय की तस्वीर वायरल है| अपने शिशु को साथ एक महिला का फ़ोटो इस झूठे दावे के साथ वायरल है की वह फ़ोटो इटली में एक महिला की कोविड-19 से हुई मृत्यु के पूर्व का है।
बूम ने पता लगाया है कि यह फ़ोटो इटली का नहीं है बल्कि अमेरिका के फ़्रेड हचिंसन कैन्सर सेंटर में 1985 में लिया गया था।
यह फ़ोटो सोशल मीडिया पर एक सन्देश के साथ शेयर किया जा रहा है। मेसेज में कहा जाता है की कोविड-19 से संक्रमित यह माँ अपने शिशु को एक आखिरी बार देखना चाहती थी। सन्देश कुछ ऐसा है - "बहुत ही ह्र्दयविदारक घटना" इटली की महिला कोरोना की तीसरी और आखरी स्टेज में थी सामने उसका 18 महीने का बच्चा जो बहुत रो रहा था। उसने अपनी आखरी इच्छा डाक्टरों से जाहिर की वो अपने बच्चे को एक बार गले लगाना चाहती हैं डाक्टरों ने उसकी पूरी बॉडी को पारदर्शी मोम से कवर करके बच्चे को उसकी छाती पर लेटा दिया बच्चा तुरंत चुप हो गया और उसकी मां इस दुनिया से अलविदा हो गई ...।। मां की ममता महान हैं।''
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फ़ेसबुक पर भी ऐसे दावों के साथ यह फ़ोटो शेयर हो रही है। ट्विटर पर ऐसा कहा जा रहा है की यह माँ कोरोनावायरस संक्रमित है।
फ़ैक्ट चेक
रिवर्स इमेज सर्च करके बूम को मैग्नम फ़ोटोज़ के स्टॉक में यह फ़ोटो मिला। मैग्नम फ़ोटोज़ दुनिया भर के फ़ोटोज़ का आर्काइव है। यह फ़ोटो 1985 में सीऐटल, अमेरिका के एक कैन्सर उपचार केंद्र में स्टेम कोशिका ट्रांसप्लांट के पहले अनुभवी फ़ोटोजर्नलिस्ट बर्ट ग्लिन्न ने खींचा था।
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फ़ोटो के कैप्शन का हिंदी अनुवाद है, "यू एस ए, सीऐटल, वॉशिंगटन, 1985। फ़्रेड हचिंसन कैन्सर सेंटर - शिशु लेमिनार वायु प्रवाह कक्ष रूम के भीतर है, इन्फ़ेक्शन से बचाव हेतु। शिशु को बोन मैरो ट्रांसप्लांट के पूर्व रेडीएशन दिया गया है।"
स्टेम सेल (बोन मैरो) ट्रांसप्लांट के पहले संपूर्ण शरीर को रेडीएशन देना ज़रूरी होता है।
जाने माने फ़ोटोजर्नलिस्ट बर्ट ग्लिन्न, जिनका 2008 में निधन हो गया, उन्होंने कोल्ड वार के समय को अपने कैमरे पर क़ैद किया था। यह उनकी फोटोबूक का हिस्सा भी है जिसमें 1959 से फ़िडेल कैस्ट्रो के फ़ोटो भी हैं।
इस फ़ोटो का 28 मार्च 2020 को ईजिप्ट के एलवटनन्यूज़ ने पर्दाफ़ाश किया था।