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फ़ैक्ट चेक

फ़र्ज़ी भारतीय पासपोर्ट वाले बांग्लादेशियों का 4 साल पुराना वीडियो वायरल

इमीग्रेशन अधिकारियों को सैंडल में मिले बांग्लादेशी पासपोर्ट का वीडियो सीएए के विरोध के मद्देनजर शेयर किया जा रहा है

By - Anmol Alphonso | 20 Dec 2019 1:30 PM GMT

1.31 मिनट के वीडियो में, भूरे रंग की जैकेट पहने हुए एक व्यक्ति को सैंडल के सोल में छुपाए गए बांग्लादेशी पासपोर्ट को निकालते और एक अधिकारी को सौंपते हुए देखा जा सकता है। गुलाबी शर्ट पहने एक अन्य व्यक्ति भी अपने चप्पल से बांग्लादेशी पासपोर्ट निकालता है, जबकि कैमरा टेबल पर पड़े एक भारतीय पासपोर्ट को भी दिखाता है। वीडियो में दोनों व्यक्तियों को अरबी भाषा में निर्देश देते हुए सुना जा सकता है।

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वीडियो को इस दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि भारतीय पासपोर्ट के साथ यात्रा करने वाले दो बांग्लादेशी नागरिकों को सऊदी अरब के एक हवाई अड्डे पर गिरफ़्तार किया गया था।

इसे हाल की घटना बता कर शेयर किया जा रहा है और कैप्शन में इसे सीएए के साथ जोड़ा जा रहा है, जिसमें लिखा है, "यही कारण है कि हमें सीएए की आवश्यकता है। अधिनियम राष्ट्रीय लाभ के लिए आया था जबकि देशद्रोहियों ने इसे सांप्रदायिक बना दिया था। प्रदर्शनकारियों को शर्म आनी चाहिए!"

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हमने फ़ेसबुक पर इसी कैप्शन के साथ खोज की और पाया कि वीडियो इसी कैप्शन के साथ वायरल हुआ था। 


फ़ैक्ट चेक

हमने वीडियो को की-फ्रेम में तोड़ा दिया और रूसी खोज इंजन, यैंडेक्स, का इस्तेमाल करके एक रिवर्स इमेज सर्च किया। इससे पता चलता है कि यह वीडियो दिसंबर, 2015 से ऑनलाइन मौजूद था।

4 दिसंबर 2015 को एक यूट्यूब वीडियो अपलोड किया गया, जिसमें कैप्शन में लिखा है, "सऊदी कस्टम कंट्रोल" ( मूल टेक्स्ट - 'ضبط الجمارك السعوديه'. )

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हालांकि, यूट्यूब पर 'नकली', 'पासपोर्ट', 'भारतीय' कीवर्ड के साथ खोज करने पर हमें एक पुराना वीडियो मिला, जिसके कैप्शन में लिखा गया था, "बांग्लादेशी ने कुवैत में भारतीय पासपोर्ट के साथ प्रवेश किया।" यह वीडियो 17 दिसंबर 2015 को अपलोड किया गया था।

यह संकेत लेते हुए कि वीडियो कुवैत का हो सकता है, हमने गूगल पर कीवर्ड के साथ खोज की और अरब टाइम्स ऑनलाइन नामक एक वेबसाइट पर 19 दिसंबर, 2015 को प्रकाशित लेख तक पहुंचे।

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लेख हेडलाइन में बताया गया था कि कई बंग्लादेशी फ़र्ज़ी भारतीय पासपोर्ट के साथ प्रवेश करने की कोशिश कर रहे थे। लेख में आगे बताया गया कि कई बांग्लादेशियों को इमीग्रेशन अधिकारियों ने जाली भारतीय पासपोर्ट के साथ देश में प्रवेश करने के आरोप में गिरफ़्तार किया था। रिपोर्ट में अल-शाहिद का हवाला दिया गया।


आगे लेख इसी तरह की घटनाओं का उल्लेख करता है जो वायरल वीडियो में सामने आती हैं। इसमें कहा गया है कि संदिग्धों को पहले देश से निकाल दिया गया था और जब उन्होंने अपने भारतीय यात्रा दस्तावेज दिखाए, तो वो जाली निकले। जिसके बाद पुलिस ने उनके सामान की जांच की और उनके मूल पासपोर्ट को जूतों में छिपा हुआ पाया। अल-शाहिद दैनिक का हवाला देते हुए कहा गया कि "उन लोगों को देश से निकाल दिया गया है।"

इसके अलावा, 'कुवैत रिपोर्टर' नाम के एक पेज के वायरल वीडियो के साथ हमने 18 दिसंबर 2015 का एक और फ़ेसबुक पोस्ट पाया। पोस्ट पर कैप्शन में लिखा है, "बांग्लादेशी ने भारतीय पासपोर्ट में कुवैत में प्रवेश किया #Kuwait بنيالي يدخل الكويت بجواز هندي مزور"

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वीडियो स्वतंत्र रूप से यह सत्यापित नहीं कर सका कि वीडियो कुवैत या लेख में बताई गई घटनाओं से संबंधित था या नहीं, लेकिन हमारा विश्लेषण बताता है कि वीडियो दिसंबर 2015 से ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर मौजूद है, और यह हाल की घटना नहीं है, जैसा कि वायरल पोस्ट में दावा किया गया है।

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नागरिकता संशोधन अधिनियम, 2019, राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अनुमति के बाद अब अधिनियम बन गया है| यह मुख्य रूप से छात्रों द्वारा पूरे भारत में आयोजित किए जा रहे विरोध प्रदर्शनों के साथ कई लोगों के बीच विवाद का एक हिस्सा रहा है। यह धार्मिक उत्पीड़न से बचने भारत आए छह गैर-मुस्लिम धार्मिक अल्पसंख्यक शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता तक शीघ्र पहुंच की अनुमति देता है। जबकि अधिनियम के विरोधियों का कहना है कि यह भेदभावपूर्ण है, सरकार का कहना है कि यह असहाय शरणार्थियों के लिए कानून का एक टुकड़ा है जिनके पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है।

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