क्या आपकी आइसक्रीम सही मायने में आइसक्रीम है?
आइसक्रीम निर्माता अमूल, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एच.यु.एल) की क्वालिटी वॉल्स और वाडीलाल इन खाद्य सामग्रियों के नाम को लेकर लड़ रहे हैं| जबकि अमूल इनके उत्पादन में दूध की वासा का इस्तेमाल करता है, क्वालिटी वॉल्स और वाडीलाल वनस्पति तेल (या वेजिटेबल आयल) का इस्तेमाल करते हैं| दूध वासा से बानी सामग्री आइसक्रीम कहलाती है और वनस्पति तेल से बानी सामग्री जमी हुई मिठाई या फ्रोज़न डेसर्ट के नाम से जानी जाती है| भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (फसाई या FSSAI) ने एक समिति का निर्माण किया है जो यह पता करेगी की आइसक्रीम दरअसल किसे कहते हैं| इससे कंपनियों के बीच लम्बे समय से चली आ रही बहस का अंत किया जा सकता है|
कंपनियां जो वनस्पति तेल इस्तेमाल कर रही हैं, फसाई से आग्रह कर रही हैं की इन फ्रोज़न डेसर्ट को आइसक्रीम कहा जाए|
जमी हुई मिठाइयों को बनाने वाले यह भी कहते हैं की इस सन्दर्भ में स्पष्टता न होने के चलते सोशल मीडिया पर ग़लत सूचना का निशाना बनना पड़ा है|
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पहला सवाल: वह क्या फ़र्ज़ी न्यूज़/ग़लत सूचनाएँ हैं जो आइसक्रीम और फ्रोज़न डेसर्ट के इर्द गिर्द फ़ैल रही हैं?
- व्हाट्सएप्प पर एक सन्देश वायरल हो रहा है जो कहता है: "अमूल ने क्वालिटी वॉल्स और अन्य आइसक्रीम उत्पादकों के ख़िलाफ एक मुकदमा जीत लिया है, जो अब उनके उत्पाद आइसक्रीम के तौर पर नहीं बेच पाएंगे| अब उन्हें नए नाम के अंतर्गत बेचा जाएगा, फ्रोज़न डेसर्ट| यदि आप फ्रोज़न डेसर्ट के लेबल देखें तो लिखा होता है हाइड्रोजनेटेड वेजिटेबल ऑयल यानि डालडा! तो यदि यह फ्रोज़न डेसर्ट है तो वह निश्चित ही डालडा है|
आप पैक चेक कर सकते हैं| हमारे बच्चे इन उत्पादों से प्यार करते है, तो जागरूक रहे की केवल अमूल ही है जो आइसक्रीम में दूध वासा का इस्तेमाल करता है न की वेजिटेबल आयल का|
यह सन्देश काफी सालों से वायरल है और क्वालिटी वॉल्स के वेजिटेबल आयल की तुलना डालडा से करता है जो हाइड्रोजनेटेड आयल है और जिसमें ट्रांस-फैट्स रहता है|
दूसरा सवाल: क्वालिटी वॉल्स उसके ब्रांड के ख़िलाफ वायरल संदेशों को कैसे मुक़ाबला कर रही है?
- बूम ने हिंदुस्तान यूनिलीवर से संपर्क किया ताकि इस मुक़दमे की उत्पत्ति और साथ ही साथ वेजिटेबल आयल और व्हाट्सएप्प सन्देश में लिखे हाइड्रोजनेटेड आयल के बीच का अंतर ढंग से समझ सके|
बूम को ईमेल के जवाब में इन मुद्दों के आस पास हुई घटनाओं का वर्णन किया और लिखा, "यह सन्देश व्हाट्सएप्प पर गर्मियों और त्योहारों के मौकों पर वायरल होता है, जब आइसक्रीम और फ्रोज़न डेसर्ट की बिक्री बढ़ती है| इससे ग्राहकों के बीच ग़लत सूचनाएं फैलती हैं| यह सन्देश सात साल पुराने एक अलग मामले पर प्रकाशित एक न्यूज़ लेख का उल्लेख करता है जब भारतीय विज्ञापन मानक परिषद् (ASCI) द्वारा सलाह दी गयी थी की क्वालिटी वॉल्स के एक विज्ञापनिका (अड्वॅरटोरिअल) का संसोधन किया जाए जिसमें उत्पाद का वर्णन आइसक्रीम के तौर पर किया था| वो दरअसल फ्रोज़न डेसर्ट था| हिंदुस्तान यूनिलीवर ने तुरंत प्रतिक्रिया करते हुए उस विज्ञापन को हटा दिया था| फिर भी, इस न्यूज़ लेख का उल्लेख कर व्हाट्सएप्प सन्देश की सामग्री ग्राहकों के मन में ग़लत जानकारी भर्ती है की यह हाल ही घटना है|"
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मेल आगे कहता है: "क्वालिटी वॉल्स लेबलिंग और पैकेजिंग नियमों का कठोर पालन करता है - इस केटेगरी में निर्मित वस्तुओं के पैकिटों पर फ्रोज़न डेसर्ट साफ साफ लिखा होता है| एएससीआई एक स्व नियामक (सेल्फ रेगुलेटरी) संस्था है; इसका आदेश एक कौंसिल का है जिसे भारतीय कोर्ट के फैसले के रूप में नहीं देखा जा सकता है| इस सन्देश में मुक़दमे का उल्लेख ग़लत है|"
बूम ने अमूल से संपर्क किया पर कोई जवाब नहीं आया है| लेख को अपडेट किया जाएगा यदि अमूल जवाब देता है|
अमूल एएससीआई पंहुचा था पर कोई मुकदमा नहीं किया था| बूम ने एएससीआई से भी संपर्क किया पर उन्होंने इस सन्दर्भ में टिपण्णी करने से इंकार कर दिया क्योंकि मामला विचाराधीन है|
तीसरा सवाल: क्या क्वालिटी वॉल्स डालडा से बनती है?
- हिंदुस्तान यूनिलीवर आगे कहता है की, क्वालिटी वॉल्स के फ्रोज़न डेसर्ट में वेजिटेबल आयल होता है जिसमें कम सैचुरेटेड फैट होता है और कोई ट्रांस-फैट नहीं होता जैसा की हाइड्रोजनेटेड आयल से तुलना की गयी है| डालडा एक तरह का ट्रांस-फैट है जो क्वालिटी वॉल्स की आइसक्रीम में नहीं मिलता है|
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ट्रांस-फैट तरल पदार्थ है जिन्हें वेजिटेबल आयल में हाइड्रोजन मिला कर ठोस बनाया जाता है ताकि एक निश्चितता पायी जा सके और खाद्य पदार्थ की उम्र बढ़ सके|
चौथा सवाल: वेजिटेबल फैट और मिल्क फैट में क्या अंतर है?
- भारतीय आइसक्रीम उत्पादक संगठन (आई.आई.सी.एम.ए) और हिंदुस्तान यूनिलीवर दावा करते हैं की वेजिटेबल फैट में आइसक्रीम से कम सैचुरेटेड फैट होता है|
"आइसक्रीम और फ्रोज़न डेसर्ट दोनों मुख्य रूप से दूध, ठोस दूध (पाउडर), शक्कर, बर्फ और हवा से बनते हैं| फ्रोज़न डेसर्ट और आइसक्रीम में मुख्य अंतर यह है की फ्रोज़न डेसर्ट में मिल्क फैट की जगह वेजिटेबल आयल इस्तेमाल होता है| यह दोनों की उत्पादन प्रक्रिया एक जैसी है| क्वालिटी वॉल्स मुख्य तौर पर ग्राहकों को बेहतर नुट्रिशन और उच्चतम स्वाद देने के लिए फ्रोज़न डेसर्ट रेंज में वेजिटेबल आयल इस्तेमाल करता है| वास्तव में, वेजिटेबल आयल के इस्तेमाल से क्वालिटी वॉल्स के फ्रोज़न डेसर्ट श्रंखला आइसक्रीम की तुलना में कम सैचुरेटेड फैट और लगभग ट्रांस-फैट रहित है," ऋचा मट्टू, नुट्रिशन और स्वस्थ लीडर, खाद्य, यूनिलीवर, दक्षिण एशिया|
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हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (एच.यु.एल) ने वेबसाइट व्योरा भी दिया जिसमें आइसक्रीम और फ्रोज़न डेसर्ट के बनने की प्रक्रिया और सामग्री का वर्णन है| वेजिटेबल फैट और मिल्क फैट, दोनों में सैचुरेटेड फैट्स होते हैं| सैचुरेटेड फैट्स पशु उत्पादों में पाए जाते हैं| इन्हें जितना काम खाएंगे, शरीर में रक्तवासा या कोलेस्ट्रॉल उतना कम होगा|
पांचवा सवाल: आई.आई.सी.एम.ए, फसाई का हस्तछेप क्यों चाहता है?
- आई.आई.सी.एम.ए जो आइसक्रीम उत्पादकों का प्रतिनिधि है, इस बात पर जोर देता है की फसाई नामकरण के उन नियमों पर पुर्नविचार करे जो आइसक्रीम लेबल्स पर लगे हैं| फिलहाल, फसाई के नियमों के अनुसार, वह उत्पाद जो डेरी फैट का इस्तेमाल करते हैं उन्हें आइसक्रीम और जो वेजिटेबल फैट का इस्तेमाल करते हैं उन्हें फ्रोज़न डेसर्ट कहा जाता है|
संगठन का कहना है की वैश्विक तौर पर डेरी फैट इस्तेमाल करने वाली आइसक्रीम को डेरी आइसक्रीम कहा जाता है और जो उत्पाद वेजिटेबल फैट से बनते हैं, उन्हें आइसक्रीम कहा जाता है| वह यह भी कहता है की फसाई केवल आइसक्रीम के मामले में फैट्स को देखती है, जबकि अन्य उत्पाद जैसे बिस्कुट, ब्रेड, केक को इन मापदंडों पर विभाजित नहीं किया जाता|
छटवा सवाल: नामकरण में बदलाव को लेकर फसाई का क्या कहना है?
बूम ने फसाई से संपर्क किया, जवाब में उन्होंने कहा की इस मामले में फिलहाल उन्होंने कोई निर्णय नहीं लिया है| फसाई ने आगे कहा की देश नामकरण के लिए खुद बनायीं हुई नियमावली का इस्तेमाल करते हैं|
उन्होंने कोडेक्स अलीमेंटरियस (खाद्य और कृषि संगठन की खाद्य नियमावली का मानक) का हवाला देते हुए कहा की दूध और दूध उत्पाद के लिए मापदंड हैं, पर आइसक्रीम को डेरी उत्पाद नहीं मानते|
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सूत्र ने यह पुष्टि की कि समिति नामकरण के किसी भी निर्णय पर आने से पहले और सूचनाओं को देखना और समझना चाहेगी| फसाई द्वारा बनाई गयी समिति ने पिछले साल 28 नवंबर को बैठक के दौरान निष्कर्ष के लिए और समय माँगा है|