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फैक्ट चेक

पश्चिम बंगाल: लॉकडाउन के दौरान पुलिस पर हमले का वीडियो भ्रामक दावे से वायरल

बूम ने पाया कि यह वीडियो अप्रैल 2020 का है. उस समय हावड़ा के टिकियापाड़ा इलाके में भीड़ ने लॉकडाउन नियमों को लागू कराने पहुंची पुलिस पर पथराव कर दिया था.

By -  Jagriti Trisha |

22 April 2025 9:43 AM IST

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा से उपजे तनाव के बीच सोशल मीडिया पर पुलिस पर हमले का एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसके साथ ही दावा किया जा रहा है कि मुस्लिम समुदाय के लोगों द्वारा पुलिस पर हमला कर उन्हें खदेड़ा जा रहा है.

बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि इस वीडियो का बंगाल की हालिया परिस्थितियों से कोई संबंध नहीं है. यह वीडियो 28 अप्रैल 2020 का, लॉकडाउन के दौरान का है.

तब पश्चिम बंगाल के हावड़ा स्थित टिकियापाड़ा इलाके में पुलिस लोगों से लॉकडाउन के मद्देनजर अपने घर लौटने की अपील कर रही थी, तो भीड़ ने उन पर पथराव शुरू कर दिया.

गौरतलब है कि वक्फ संशोधन कानून के विरोध में मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा के बाद पश्चिम बंगाल में हालात अभी भी पूरी तरह सामान्य नहीं हुए हैं. इस हिंसा में तीन लोगों की मौत हो गई थी. इसकी जांच के लिए नौ सदस्यीय एसआईटी गठित की गई है.

इसी के बीच वहां राजनीतिक वार-पलटवार जारी है. ममता बनर्जी सरकार पर लगातार सवाल उठ रहे हैं और वहां राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग भी की जा रही है. आपको बता दें कि राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव भी होने हैं.

फेसबुक पर एक यूजर ने इस वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया कि मुलसमानों द्वारा पश्चिम बंगाल पुलिस और RAF (रैपिड एक्शन फोर्स) का पीछा किया जा रहा है.

इसके अलावा वीडियो पर एक टेक्स्ट मौजूद है, जिसमें राष्ट्रपति शासन की मांग करते हुए कहा गया कि बंगाल में जब सुरक्षाकर्मी ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम हिंदू की क्या सुरक्षा होगी.


पोस्ट का आर्काइव लिंक.

फेसबुक पर कई यूजर्स ने इसके साथ लिखा, 'पश्चिम बंगाल में जुम्मे की नमाज के बाद, सुरक्षाकर्मियों को खुद सुरक्षा की जरूरत पड़ गई. ये पश्चिम बंगाल भारत में ही है या बांग्लादेश में??'


पोस्ट का आर्काइव लिंक.



फैक्ट चेक: वीडियो 2020 का है 

वीडियो की सच्चाई जानने के लिए हमने इसके एक कीफ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च किया. इसके जरिए हमें अप्रैल 2020 की कई न्यूज रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें वायरल वीडियो के विजुअल मौजूद थे.

28 अप्रैल 2020 की टाइम्स नाउ और 29 अप्रैल 2020 की टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक घटना 28 अप्रैल 2020 को मंगलवार के दिन हुई थी. पुलिस पर यह हमला तब हुआ जब वह कोरोना महामारी के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन का पालन कराने पहुंची थी.

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना महामारी के दौरान हावड़ा जिले के रेड जोन इलाके टिकियापाड़ा में पुलिस को पता चला कि स्थानीय बाजार में लोग खरीदारी के बहाने लॉकडाउन और सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन कर रहे हैं.

आगे रिपोर्ट में पुलिस अधिकारी के हवाले से बताया गया कि जब पुलिस ने वहां पहुंचकर लोगों से घर लौट जाने को कहा तब भीड़ ने उनपर पत्थर फेंकने शुरू कर दिए और उनके साथ मारपीट की.

इस घटना में पुलिस की दो गाड़ियां भी क्षतिग्रस्त हो गईं. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए रैपिड एक्शन फोर्स (आरएएफ) की टीम समेत बड़ी संख्या में पुलिस मौके पर पहुंची. लेकिन स्थानीय लोगों ने आरएएफ के जवानों को भी नहीं छोड़ा.

इंडियन एक्सप्रेस के आधिकारिक एक्स पर यह वीडियो देखा जा सकता है. एक्सप्रेस द्वारा 29 अप्रैल 2020 को शेयर किए गए इस पोस्ट के कैप्शन के अनुसार हमले में दो पुलिसकर्मी भी घायल हुए थे.


जी न्यूज और हिंदुस्तान टाइम्स बांग्ला की 30 अप्रैल 2020 की रिपोर्ट में बताया गया कि इस मामले में दो मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया. इससे पहले मामले में 10 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका था.

3 मई 2020 की टेलीग्राफ की रिपोर्ट में बताया गया कि इस संबंध में 13वीं गिरफ्तारी की गई, इस आरोपी की पहचान मोहम्मद शाकिब के रूप में हुई. वहीं 5 मई 2020 की ईटीवी भारत की रिपोर्ट में बताया गया कि इस मामले में 14 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.

इस संबंध में हावड़ा सिटी पुलिस के एक्स हैंडल पर कुछ पोस्ट देखे जा सकते हैं. एक पोस्ट में बताया गया कि टिकियापाड़ा की घटना में 14 लोगों को गिरफ्तार किया गया. घटना से ठीक पहले लोगों को भड़काने वाले मुख्य व्यक्ति को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. वह हावड़ा जिला भाजपा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के एक सदस्य का छोटा भाई है.

हालांकि हावड़ा अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के तत्कालीन प्रमुख जुल्फिकार अहमद ने इस मामले में कहा था कि गिरफ्तार व्यक्ति का जिले के किसी भी भाजपा नेता से कोई संबंध नहीं है.



इससे साफ है पश्चिम बंगाल में लॉकडाउन के दौरान हुई घटना के वीडियो को हालिया संदर्भो से जोड़कर शेयर किया जा रहा है.


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