सोशल मीडिया पर सड़क के किनारे नमाज अदा कर रहे कुछ लोगों का एक वीडियो वायरल है. इस वीडियो में बांग्लादेश पुलिस उन नमाजियों में से एक शख्स को अपने साथ ले जाती दिख रही है. इसके साथ दावा किया जा रहा है कि बांग्लादेश में सड़क पर नमाज का आयोजन कराने की वजह से पुलिस ने इमाम को हिरासत में ले लिया.
बूम ने पाया कि वायरल दावा भ्रामक है. असल में इमाम अब्दुर रहमान हिरोन ने बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में कोटे को लेकर चल रहे आंदोलन में मारे गए प्रदर्शनकारियों के लिए ग़ाएबाना जनाजे की नमाज का आयोजन करवाया था, जिसके कारण उनकी गिरफ्तारी हुई थी.
ग़ाएबाना जनाजे की नमाज पार्थिव शरीर की गैर-मौजूदगी में उसे याद करते हुए पढ़ी जाती है.
क्यों सड़कों पर हैं बांग्लादेश के नौजवान
गौरतलब है कि बांग्लादेश में सरकारी नौकरियों में स्वतंत्रता सेनानी के परिजनों को मिल रहे कोटे को बहाल करने के फैसले के विरोध में छात्र-नौजवान सड़कों पर हैं. दरअसल 1971 में बांग्लादेश के स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में शामिल सेनानियों के वंशजों के लिए सरकारी नौकरियां में 30 फीसदी का आरक्षण देने का प्रावधान था. हालांकि 2018 में तत्कालीन सरकार ने फैसला रद्द किया था जिसे बीते दिनों बांग्लादेश सुप्रीम कोर्ट की हाई कोर्ट डिविजन ने बहाल कर दिया था.
15 जुलाई से भड़की इस हिंसा में अबतक लगभग 200 प्रदर्शनकारियों की जान जा चुकी है. हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट ने नौकरियों में आरक्षण सीमा को घटाकर 7 फीसदी कर दिया है, जिसमें 5 फीसदी स्वतंत्रता सेनानियों के वंशजों के लिए है. बाकी 2 फीसदी कोटा अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और विकलांगों के लिए आरक्षित होगा.
वायरल वीडियो के ऊपर एक टेक्स्ट लिखा है- "सड़क पर नमाज पढ़ते हुए नमाजियों को लतिया कर भगा दिया और इमाम को गिरफ्तार किया."
फेसबुक पर एक यूजर ने वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, 'इस्लामिक देश बांग्लादेश पुलिस ने सड़क पर नमाज का आयोजन करने वाले इमाम को गिरफ्तार किया और अनुमति देने से इनकार कर दिया, जबकि धर्मनिरपेक्ष लोग भारत में इसे सामान्य बनाने की मांग कर रहे हैं.'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
इसके अलावा, यह वीडियो ऐसे ही मिलते-जुलते दावे से वेरीफाई करने के रिक्वेस्ट के साथ बूम की टिपलाइन नंबर- 7700906588 पर भी मिला.
फैक्ट चेक
पड़ताल के दौरान हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं, जिनमें इमाम की गिरफ्तारी का कारण मारे गए प्रदर्शनकारियों के लिए ग़ाएबाना जनाजे की नमाज का आयोजन करवाना बताया गया था.
वायरल वीडियो के कीफ्रेम को रिवर्स इमेज सर्च करने पर हमें तुर्की के राष्ट्रीय ब्रॉडकास्टर TRT World के एक्स हैंडल पर यह वीडियो मिला. 19 जुलाई को किए गए इस पोस्ट के अनुसार, बांग्लादेश पुलिस ने एक इमाम को इसलिए हिरासत में लिया क्योंकि वह सरकारी नौकरी कोटा को लेकर हाल के प्रदर्शनों के दौरान मारे गए छात्रों के लिए जनाजे की नमाज अदा करवा रहे थे.
इसके बाद हमने इसके संबंध में और मीडिया रिपोर्ट्स की तलाश की. हमें इंटरनेशनल न्यूज एजेंसी अल-जजीरा के यूट्यूब चैनल और वेबसाइट पर भी यह वीडियो मिला. वीडियो में पुलिस सरकारी नौकरी में कोटे को लेकर हुए प्रदर्शनों के दौरान मारे गए छात्रों के लिए सड़क पर जनाजे की नमाज पढ़ने के आरोप में इमाम को हिरासत में ले रही है.
आगे हमने बांग्ला कीवर्ड्स की मदद से और मीडिया रिपोर्ट्स की तलाश की. Risingbd.com की रिपोर्ट के अनुसार, मारे गए छात्रों के लिए ग़ाएबाना जनाजे की नमाज पढ़ने के दौरान पुलिस ने 17 जुलाई 2024 को ढाका डिवीजन के मुंशीगंज में इमाम अब्दुर रहमान और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) नेता महबूब-उल-आलम को गिरफ्तार कर लिया. बीएनपी बांग्लादेश में विपक्षी दल है.
इस रिपोर्ट में बीएनपी के जिला संयोजक मोहम्मद मोहिउद्दीन का बयान भी शामिल है. इस बयान में उन्होंने पुलिस पर नमाज नहीं पढ़ने देने का आरोप लगाते हुए दोनों की रिहाई की मांग की.
इसमें मुंशीगंज सदर पुलिस थाने के प्रभारी अमीनुल इस्लाम के हवाले से बताया गया कि अंतिम संस्कार में खड़े लोगों ने सड़क अवरुद्ध कर दी थी, जिसके चलते अराजकता का माहौल पैदा हो गया. इसलिए दोनों को गिरफ्तार किया गया.
Kalbela.com, kalerkantho.com और ntvbd.com समेत कई स्थानीय न्यूज वेबसाइट पर इससे जुड़ी खबर देखी जा सकती है. इन सभी रिपोर्ट्स में बताया गया था कि इमाम आंदोलन में मारे गए छात्रों के लिए ग़ाएबाना जनाजे की नमाज अदा करवा रहे थे, इसलिए इनकी गिरफ्तारी की गई.