सेमी हाई स्पीड ट्रेन वंदे भारत की खिड़की में लगा शीशा तोड़ने का वीडियो सोशल मीडिया पर गलत सांप्रदायिक दावे से वायरल है. बूम ने अपनी जांच में पाया कि वीडियो गुजरात के अहमदाबाद के कोचिंग डिपो कांकरिया में वंदे भारत ट्रेन के मेंटिनेंस के दौरान का है. इसके अलावा विंडो ग्लास को बदलने वाला व्यक्ति मुस्लिम नहीं है.
गौरतलब है कि पिछले कुछ दिनों से ट्रेन और रेलवे पटरियों से छेड़छाड़ के भ्रामक और फर्जी सांप्रदायिक दावे वाले वीडियो सामने आए. बूम ने इनका फैक्ट चेक किया था. इसी क्रम में यह वीडियो भी वायरल है.
एक्स पर एक यूजर ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, 'ट्रेन जिहाद अपने चरम पर है. वीडियो कहां का है ये पता नहीं चल सका है. लेकिन आप देख सकते हैं कि ISIS मॉड्यूल का आतंकवादी कैसे "वन्दे भारत" ट्रेन के शीशे को तोड़कर अपनी साजिश को अंजाम दे रहा है. वीडियो को इतना Repost करें कि ये आतंकवादी पकड़ा जाये.'
एक अन्य एक्स (आर्काइव लिंक) यूजर ने लिखा, 'ये जिहादी वंदे भारत एक्सप्रेस को तोड़ रहा है आस्तीन के सांप हैं ये.'
फेसबुक (आर्काइव लिंक) पर भी इसी तरह के सांप्रदायिक दावे के साथ यह वीडियो वायरल है.
फैक्ट चेक : वीडियो वंदे भारत ट्रेन के मेंटिनेंस का है
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि वंदे भारत को मुस्लिम व्यक्ति द्वारा नुकसान पहुंचाए जाने का दावा गलत है. न ही वह शख्स मुस्लिम है और न ही वह ट्रेन के विंडो ग्लास को जानबूझकर तोड़ रहा है. बल्कि वहां मेंटिनेंस का कार्य जारी था.
हमने दावे की पड़ताल में पाया कि सोशल मीडिया पर कई यूजर्स वीडियो में विंडो के टूटे हुए ग्लास को बदलने का संकेत कर रहे हैं.
Trains of India नाम के एक्स अकाउंट ने एक पोस्ट में यह वीडियो शेयर करते बताया, 'वह व्यक्ति ट्रेन को नुकसान नहीं पहुंचा रहा है, बल्कि मेंटिनेंस डिपो में पहले से डैमेज ग्लास को तोड़कर उसकी जगह नया ग्लास लगा रहा है. चूंकि ग्लास बॉडी से मजूबती के साथ चिपका हुआ है, इसलिए पहले उसे तोड़ने की जरूरत है.'
वहीं इस यूजर ने एक अन्य वीडियो शेयर करते हुए वंदे भारत का ग्लास विंडो बदलने की प्रक्रिया के बारे में समझाया.
इसके अलावा फेसबुक (आर्काइव लिंक) पर एक यूजर ने वंदे भारत ट्रेन के डैमेज विंडो ग्लास को तोड़ रहे व्यक्ति के इंस्टाग्राम प्रोफाइल का लिंक शेयर किया.
हमने इस यूजर (signare_mahi_manish) की प्रोफाइल स्कैन की लेकिन हमें वहां यह वीडियो नहीं मिली. हालांकि इंडिया टुडे के अनुसार, 10 सितंबर को इस अकाउंट पर एक इंस्टाग्राम स्टोरी शेयर की गई थी, जिसमें वायरल वीडियो का स्क्रीनशॉट भी शामिल था.
यह अकाउंट बिहार के आरा के रहने वाले मनीष कुमार का है. मनीष कुमार फिलहाल अहमदाबाद में हैं और रेलवे में संविदा कर्मचारी के रूप में कार्यरत हैं. मनीष कुमार ने दि लल्लनटॉप से बातचीत में बताया कि वीडियो जो शख्स दिख रहा है वो वही हैं लेकिन उनके अधिकारियों ने मीडिया से बात करने से मना किया है इसलिए वे इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दे सकते हैं.
मेंटिनेंस कार्य कर रहा व्यक्ति मुस्लिम नहीं है
अधिक पुष्टि करने के लिए बूम ने वेस्टर्न रेलवे से संपर्क किया. वेस्टर्न रेलवे अहमदाबाद के वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी प्रदीप शर्मा ने बूम को बताया कि यह एकीकृत कोचिंग डिपो कांकरिया में अहमदाबाद-मुंबई वंदे भारत के मेंटिनेंस के दौरान बनाया गया पुराना विडियो है.
जनसंपर्क अधिकारी ने बताया, "वंदे भारत के विंडो ग्लास को यात्रियों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए Toughned ग्लास का बनाया जाता है ताकि कोई बाहरी वस्तु टकराने पर यात्रियों को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो, अनुरक्षण (मेंटिनेंस) के समय विंडो ग्लास में क्रेक होने पर उसे नुकीले हथौड़े की सहायता से तोड़ कर निकाला जाता है."
प्रदीप शर्मा ने आगे बताया, "वह व्यक्ति (संविदा श्रमिक) विंडो ग्लास के क्रेक होने पर उसे हथौड़े की सहायता से तोड़ रहा था. यह वीडियो अन्य संविदा कर्मी द्वारा इसी दौरान बनाया गया है." उन्होंने हमसे यह भी बताया कि वह व्यक्ति मुस्लिम नहीं है.
उन्होंने आगे कहा, "रेलवे परिसर में वीडियोग्राफी करना प्रतिबंधित है, संविदा कर्मी द्वारा मेंटिनेंस कार्य की वीडियोग्राफी करने और इसे सोशल मीडिया पर पोस्ट करने के लिए उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई भी की गई है."