सोशल मीडिया पर एक पोस्ट काफ़ी वायरल है जिसमें तीन तस्वीरों के एक कोलाज को शेयर करते हुए दावा किया गया है कि ब्रह्मपुत्र नदी में पानी के नीचे 14 किलोमीटर लंबी सड़क व रेलवे लाइन सुरंग बनाई गई है. साथ में लिखा गया है 'नया भारत मोदी हैं तो मुमकिन है'.
फ़ेसबुक यूज़र सोनी शाही ने पोस्ट शेयर करते हुए लिखा 'इसे कहते हैं नया भारत मोदी हैं तो मुमकिन है। भारत की पहली पानी के नीचे सड़क व रेलवे लाइन, यह असम में ब्रह्मपुत्र नदी के नीचे बनी लगभग 14 किलोमीटर लंबी सुरंग है'.
एक अन्य फेसबुक यूजर Ritu Singh Shekhawat ने भी इसी दावे के साथ ये फोटो शेयर की है.
ट्विटर यूजर Kunj Bihari Chaturvedi (KBC)🇮🇳 ने भी ट्विटर पर इसी दावे के साथ पोस्ट शेयर की है.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल पोस्ट का सच जानने के लिए इन तस्वीरों को गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया.
तस्वीर - 1
हमें रिवर्स इमेज सर्च करने पर ये तस्वीर कंस्ट्रक्शन रिव्यु ऑनलाइन वेबसाइट पर 04 अप्रैल 2022 को प्रकाशित एक न्यूज़ अपडेट आर्टिकल में मिली. आर्टिकल में बताया गया है कि यह फेहमर्न बेल्ट फिक्स्ड लिंक प्रोजेक्ट की तस्वीर है, इस परियोजना में जर्मन द्वीप फेहमर्न और डेनमार्क के लोलैंड द्वीप के बीच एक जलडमरूमध्य में सड़क और रेल यातायात दोनों के लिए समुद्र में 18 किलोमीटर लम्बी सुरंग का निर्माण होना है, जिसका काम शुरू हो गया है.
टनल इंजीनियरिंग कंसल्टेंट्स की वेबसाइट पर भी हमें यह तस्वीर मिली, यही कंपनी फेहमर्न बेल्ट के निर्माण में भी शामिल थी. वेबसाइट में तस्वीर को फेहमर्न बेल्ट की एक डिजाइन तस्वीर के रूप में साझा किया गया है.
तस्वीर - 2
यह तस्वीर हमें 11 फरवरी 2013 को इंजीनियरिंग न्यूज़ रिकार्ड वेबसाइट पर प्रकाशित एक आर्टिकल में मिली जिसके अनुसार नार्वे सबसे पहली तैरती हुई सुरंग बनाएगा.
यही तस्वीर वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की वेबसाइट पर 2016 के एक लेख में प्रकाशित की गई थी, जिसमें इस परियोजना को बनाने में $25 बिलियन के खर्च का जिक्र किया गया.
तस्वीर-3
प्रधानमंत्री मोदी की यह तस्वीर तब की है जब वह 26 मई 2017 को ढोला-सादिया ब्रिज का उद्घाटन कर रहे थे, जो अरुणाचल प्रदेश और असम को जोड़ता है. इस खबर को खुद नरेन्द्र मोदी की वेबसाइट पर पढ़ा जा सकता है.
अंडरवाटर रेल और सड़क ब्रिज
हमने और पड़ताल की तो हमें एक प्रस्तावित सड़क के साथ रेल सुरंग बनाने के बारे में खबरें मिलीं, जिसे असम में ब्रह्मपुत्र नदी पर 7,000 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से बनाया जाना है. हमें सीमा सड़क महानिदेशक (डीजीबीआर) का 13 मार्च 2022 का एक ट्वीट मिला जिसमें उन्होंने रेल और सड़क राजमार्ग की उस साइट को विज़िट किये जाने की बात की और फ़ोटो शेयर की थी.