दक्षिणपंथी न्यूज़ वेबसाइट सुदर्शन न्यूज़ ने बीते 1 मई को करीब 35 सेकेंड का एक वीडियो अपने सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर किया, जिसमें कुछ पुलिसकर्मी बुर्का पहनी हुई एक महिला और दो पुरुषों को अपने साथ ले जाते हुए दिख रहे हैं. वीडियो को शेयर करते हुए यह दावा किया गया है कि बेंगलुरु पुलिस ने बच्चों का अपहरण करने वालों को रंगे हाथ पकड़ा है.
हालांकि बूम ने अपनी जांच में पाया कि सुदर्शन न्यूज़ का यह दावा पूरी तरह से फ़र्ज़ी है. बेंगलुरु पुलिस ने वायरल दावों का खंडन करते हुए कहा कि यह वीडियो बीते 16 अप्रैल को शिवाजी नगर इलाके का है और यह बच्चा चोरी का मामला नहीं है.
क़रीब 35 सेकेंड के वायरल वीडियो में कुछ पुलिसकर्मी बुर्का पहनी हुई एक महिला और दो पुरुषों को अपने साथ ले जाते हुए दिख रहे हैं. दोनों पुरुषों में एक ने टोपी भी पहनी हुई है. इस दौरान वीडियो रिकॉर्ड कर रहे शख्स को उन तीनों पर हिंदी में बच्चा चोरी का आरोप लगाते हुए भी सुना जा सकता है.
सुदर्शन न्यूज़ ने अपने ट्विटर अकाउंट पर वायरल वीडियो को शेयर करते हुए बतौर कैप्शन लिखा है, “बेंगलुरु में 'कपड़ों' से पहचान सकते हैं?? शिवाजी नगर बस स्टॉप पर बच्चों के अपहर्ताओं को रंगे हाथ पकड़ा गया। शहर में बच्चों के “अपहरण” करने का जमावड़ा, सभी जागरूक रहें”.
वहीं फ़ेसबुक पर भी इस वीडियो को मिलते जुलते कैप्शन के साथ ही शेयर किया गया है.
फ़ेसबुक पर मौजूद वायरल वीडियो से जुड़े अन्य पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले संबंधित न्यूज़ रिपोर्ट्स ख़ोजी. लेकिन हमें कोई न्यूज़ रिपोर्ट्स नहीं मिली.
इसलिए हमने बेंगलुरु पूर्व के कमर्शियल स्ट्रीट पुलिस स्टेशन से संपर्क किया. शिवाजीनगर इलाका कमर्शियल स्ट्रीट पुलिस स्टेशन के अंतर्गत आता है.
कमर्शियल स्ट्रीट पुलिस स्टेशन ने बूम को बताया कि “यह घटना बीते 16 अप्रैल के सुबह की है. दरअसल इलाके के एक मस्जिद में रमजान होने की वजह से काफ़ी भीड़ थी, इसी दौरान एक महिला ने वीडियो में दिख रहे एक व्यक्ति के ऊपर अपनी बच्ची को ग़लत तरीके से छूने का आरोप लगाया था. जिसके बाद वहां मौजूद कुछ लोगों ने उस व्यक्ति पर बच्चा चोरी का आरोप भी लगाया था. इस दौरान उक्त व्यक्ति की मां और उसका भाई भी वहां पहुंच गए थे. बाद में जानकारी मिलने पर थाने के पुलिसकर्मी वहां पहुंचे और दोनों ही पक्षों को थाने ले आई”.
आगे थाने के पुलिस अधिकारी ने बताया कि “बाद में हमने दोनों ही पक्षों से पूछताछ की तो हमने पाया कि जिस व्यक्ति पर गलत तरीके से छूने का आरोप लगा था वह मानसिक रूप से बीमार था. उसके परिवारवालों ने उससे संबंधित मेडिकल रिपोर्ट्स भी प्रस्तुत किए थे. मानसिक रूप से बीमार होने की जानकारी जब शिकायत करने वाले पक्ष को मिली तो उन्होंने इस मामले को आगे बढ़ाने से इंकार कर दिया. जिसके बाद हमने उक्त शख्स को छोड़ दिया”. पुलिस अधिकारी ने यह भी बताया कि जिस महिला ने शिकायत की थी, उसका चेहरा वीडियो में मौजूद नहीं है.
नहीं, शाहीन बाग़ का विरोध करने वाली बबीता फ़ोगाट पहलवानों के धरने में शामिल नहीं हैं