सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें एक व्यक्ति साईं बाबा की मूर्ति को सब्बल से हटाने का प्रयास कर रहा है और कुछ लोग उसे घेरे हुए नज़र आ रहे हैं. वीडियो में अन्य कई देवताओं की मूर्तियां नज़र आती है जिससे प्रतीत होता है ये किसी हिन्दू मंदिर का है. वीडियो के साथ तेलुगु में दावा किया जा रहा है कि कोर्ट का आदेश है कि साईं बाबा मुस्लिम थे, ये कोई हिन्दू देवता नहीं हैं और ना ही हिन्दू संत हैं.
वीडियो के अंत में भी एक व्यक्ति कहता है कि ये एक मुसलमान है, कोई देवता नहीं है. इसकी मौत 1918 में हुई है. हमें इसकी जगह राजगुरु, भगत सिंह और चन्द्र शेखर आजाद की पूजा करनी चाहिए. सोशल मीडिया यूज़र्स हिन्दुओं को जागरूक करने के उद्देश्य से वीडियो को शेयर करने की अपील कर रहे हैं.
बूम को व्हाट्सएप हेल्पलाइन पर तेलुगु भाषा में इसी दावे के साथ यह वीडियो फ़ैक्ट चेक करने के लिए प्राप्त हुआ. (हिन्दी अनुवाद : अदालत का आदेश कि साईं बाबा मुस्लिम हैं, बाबाओं के सभी ठिकाने.. हमारी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां.. नष्ट कर दी गईं.)
फ़ैक्ट चेक
बूम ने सबसे पहले वायरल वीडियो से कीफ्रेम निकालकर गूगल लेन्स पर सर्च किया तो द लल्लनटॉप की 31 मार्च 2021 की वीडियो रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में दिखाए गए दृश्य वायरल वीडियो के समान है.
रिपोर्ट के अनुसार, 'दिल्ली के शाहपुर जाट इलाके में एक मंदिर से साईं बाबा की मूर्ति को तोड़कर हटा दिया गया. एक सोशल मीडिया यूजर ने दावा किया कि मूर्ति इसलिए तोड़ी गई क्योंकि साईं बाबा मुस्लिम थे. मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि मूर्ति को तोड़ा नहीं गया, बल्कि हटाया गया है.'
स्क्रॉल की 4 अप्रैल 2021 की रिपोर्ट के मुताबिक़, दिल्ली में हिन्दू कट्टरपंथियों ने साईं बाबा को 'जिहादी' बताते हुए उनकी मूर्ति तोड़ दी. दक्षिण दिल्ली के शाहपुर जाट इलाके में एक मंदिर में मूर्ति तोड़ी गयी. मंदिर समिति के एक सदस्य ने दावा किया कि मूर्ति को 25 मार्च को हटा दिया गया था क्योंकि यह "खंडित" हो गई थी. पड़ोस के साईं बाबा के भक्तों ने इस स्पष्टीकरण को ख़ारिज कर दिया और मूर्ति टूटने पर दुख व्यक्त किया. बाद में साईं बाबा की मूर्ति के स्थान पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित कर दी गयी.'
उपरोक्त पड़ताल से स्पष्ट होता है कि वायरल वीडियो हाल का नहीं है बल्कि मार्च 2021 का है.
बूम ने इसके बाद कोर्ट के फैसले को लेकर सम्बंधित कीवर्ड्स से सर्च किया तो वायरल दावे की पुष्टि करती हुई कोई मीडिया रिपोर्ट नहीं मिली. अगर अदालत ने साईं बाबा को मुस्लिम बताया होता है तो निश्चित ही इससे सम्बंधित न्यूज़ रिपोर्ट होती.
इंडियन एक्सप्रेस की 15 सितम्बर 2014 की एक रिपोर्ट मिली जिसके अनुसार, कांदिवली स्थित साईं धाम मंदिर ट्रस्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि साईं बाबा मुस्लिम नहीं बल्कि ब्राह्मण थे. उन्होंने साईं बाबा का अपमान करने वालों को दण्डित करने की कोर्ट से अपील की.
ट्रस्ट ने अपने मुख्य ट्रस्टी रमेश जोशी के माध्यम से दायर याचिका में मध्य प्रदेश के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती पर साईं बाबा को मुस्लिम कहने और इस तरह उनके अनुयायियों की मान्यताओं और भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया.
13 अक्टूबर 2021 की नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, सुप्रीम कोर्ट ने साईं बाबा विवाद में दखल देने से इंकार कर दिया. सुप्रीम कोर्ट में मुंबई बेस्ट साईं धाम चैरिटेबल ट्रस्ट ने पीआईएल दाखिल कर आग्रह किया था कि केंद्र और महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह साईं बाबा के ख़िलाफ़ अपमानजनक बयान देने वालों को रोकें. याचिका में कहा गया था कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि देश के किसी भी भाग में मंदिर से साईं बाबा की प्रतिमा हटाने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस टी. एस. ठाकुर, जस्टिस ए. के. गोयल और जस्टिस आर. बानुमती की बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि अगर कोई भी शख्स कानून अपने हाथ में लेता है तो आप ऐसे व्यक्ति के ख़िलाफ़ सिविल कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. हर व्यक्ति को आस्था चुनने का अधिकार है और अदालत ऐसे मामले में दखल नहीं दे सकती है.