सोशल मीडिया पर वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह दावा करते नजर आ रहे हैं कि नीतीश कुमार, सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा और उपेंद्र कुशवाहा जैसे बिहार के कुछ एनडीए नेताओं ने पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (PTI) को फंडिंग दी है जिसकी जांच केंद्रीय एजेंसियां भी कर रही हैं.
बूम ने पाया कि रवीश कुमार के इस वीडियो की आवाज फर्जी है. इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से नकली आवाज जोड़ी गई है. जांच के दौरान कई एआई डिटेक्टर टूल्स ने भी इसकी पुष्टि की है.
सोशल मीडिया पर क्या है वायरल?
सोशल मीडिया पर कुछ पाकिस्तानी अकाउंट्स ने रवीश कुमार के इस फर्जी वीडियो को शेयर किया है. करीब एक मिनट 47 सेकंड के वीडियो के एक हिस्से में रवीश कुमार कहते हैं, "...केंद्रीय एजेंसियां जांच कर रही हैं कि क्या बिहार के कुछ NDA नेता- हां, नीतीश कुमार, सम्राट चौधरी, विजय कुमार सिन्हा और उपेंद्र कुशवाहा जैसे लोगों ने पाकिस्तान की एक राजनीतिक पार्टी, पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ को फंडिंग दी..."
एक्स पर इस वीडियो को शेयर करते हुए यूजर्स इसके अंग्रेजी और उर्दू कैप्शन में दावा कर रहे हैं कि "भारतीय पत्रकार रवीश कुमार बता रहे हैं कि कैसे पाकिस्तान की पीटीआई ने बिहार चुनावों में एनडीए के साथ संबंध स्थापित किए, मोदी सरकार की नाक के नीचे भारतीय टैक्सपेयर्स के पैसे को पीटीआई के नेताओं तक पहुंचायाताकि यह साबित किया जा सके कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर जीता है." (आर्काइव लिंक)
बूम हाल के दिनों में बिहार चुनाव से जोड़कर वायरल हुए ऐसे कई एआई-जनरेटेड वीडियो का फैक्ट चेक कर चुका है जिन्हें पाकिस्तानी अकाउंट द्वारा शेयर किया गया था, इनमें Abubakar Qassam नाम का यह एक्स अकाउंट भी शामिल है. फैक्ट चेक रिपोर्ट यहां पढ़ें.
पड़ताल में क्या मिला:
मूल वीडियो में रवीश कुमार ने इस तरह का कोई दावा नहीं किया
हमें रवीश कुमार के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर 20 नवंबर 2025 का अपलोड किया गया मूल वीडियो मिला, जिस चैनल का उल्लेख वायरल वीडियो में भी किया गया है. हमने पाया कि करीब 25 मिनट के इस मूल वीडियो में रवीश कुमार बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजों का विश्लेषण कर रहे हैं लेकिन कहीं भी वायरल वीडियो जैसा कोई दावा नहीं कर रहे हैं.
हमने यह भी पाया कि वायरल क्लिप में दिखने वाले हैंड मूवमेंट मूल वीडियो भी मौजूद हैं लेकिन दोनों की आवाज अलग है.
रवीश कुमार इन दिनों हर वीडियो के नीचे अपने आधिकारिक चैनलों का लिंक देते हुए ये डिस्क्लेमर देते हैं कि उनकी आवाज और तस्वीर का उपयोग कर एआई की मदद से कई फर्जी चैनल बनाए जा रहे हैं, जो उनके चैनल नहीं हैं.
वीडियो की आवाज एआई जनरेटेड है
बूम ने वीडियो की जांच के लिए इसकी आवाज को एआई डिटेक्टर टूल DeepFake-O-Meter और Hiya पर चेक किया. DeepFake-O-Meter के ज्यादातर मॉडल्स ने इसकी आवाज के एआई जनरेटेड होने की संभावना जताई.
डीपफेक वॉयस डिटेक्टर टूल Hiya ने भी आवाज को 1/100 का ऑथेंटिसिटी स्कोर दिया, जो इसके डीपफेक होने की प्रबल संभावना को दर्शाता है.


