प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का एक क्रॉप्ड वीडियो सोशल मीडिया पर इस ग़लत दावे के साथ शेयर किया जा रहा है कि स्वयं मोदी ने प्रधानमंत्री बनने से पहले इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) पर संदेह व्यक्त किया था.
वीडियो में पीएम को यह कहते हुए सुना जा सकता है, "...भाइयों और बहनों, जब पढ़े-लिखे देशों में चुनाव होता है तो आज भी बैलेट पेपर का इस्तेमाल होता है। लोग नाम पढ़ते हैं और फिर मोहर लगाते हैं. ये बात यहां भी होती है, अमेरिका में भी"
अभी हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की तीन राज्यों में हार के बाद कांग्रेसी नेताओं द्वारा एवीएम को लेकर सवाल उठाये गए थे. इसी के कथित समर्थन में पीएम मोदी का यह वीडियो शेयर किया जा रहा है.
फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "मोदी जी का EVM के विरोध का पुराना वीडियो, बड़ी मुश्किल से मिला!"
हाल ही में अनेक यूज़र्स ने भी इस वीडियो को शेयर किया है. यहां देखें.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने पाया कि वायरल वीडियो, एक लम्बी वीडियो का हिस्सा है जिसे काटकर संदर्भ से परे साझा किया जा रहा है. और यह दावा कि वीडियो 2014 में मोदी के पीएम बनने से पहले रिकॉर्ड किया गया था, गलत है.
हमने बैलट पेपर पर मोदी के भाषण से संबंधित रिलेवेंट कीवर्ड से खोज की और एक वीडियो पाया, जिसे 3 दिसंबर 2016 को मोदी के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर लाइव स्ट्रीम किया गया था.
वीडियो के कैप्शन में लिखा है, "न्यू मोरादाबाद में परिवर्तन रैली में पीएम मोदी, उत्तर प्रदेश". वीडियो के लम्बे संस्करण में पीएम मोदी को भारत में तकनीकी प्रगति के बारे में बात करते हुए सुना जा सकता है.
भारत, जहां चुनाव एक ही संस्था द्वारा आयोजित किए जाते हैं जिनमें केंद्रीय चुनाव और हर राज्यों के चुनाव में ईवीएम का समान रूप से उपयोग किया जाता है. वहीं संयुक्त राज्य अमेरिका में चुनाव वहां के अलग-अलग राज्यों द्वारा कराये जाते हैं. जिससे सभी 50 राज्यों में चुनाव कराने के अलग-अलग तरीके हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन या मतपत्र दोनों शामिल हैं.
उपरोक्त वीडियो में वायरल वीडियो के हिस्से को 55:19 पर सुना जा सकता है. वीडियो को सुनने से यह स्पष्ट हो जाता है कि मोदी बैलेट पेपर का उपयोग करने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों के उपयोग के मामले में भारत की प्रगति के बारे में बात कर रहे हैं.
प्रधानमंत्री मोदी कहते हैं: "कुछ लोग दावा करते हैं कि हमारा देश गरीब है, हमारे लोग अशिक्षित हैं, वे कुछ भी नहीं जानते हैं. भाइयों और बहनों, जब शिक्षित देशों में चुनाव होता है, तो आज भी मतपत्र का उपयोग किया जाता है. लोग पहले नाम पढ़ते हैं और फिर ठप्पा लगाते हैं. ये बात तो अमेरिका में भी होती है. ये भारत है, जिनको आप अशिक्षित कहते हैं, गरीब कहते हैं, वो बटन दबाकर वोट डालने की प्रक्रिया जानते हैं."
अत: उपरोक्त पड़ताल से स्पष्ट होता है कि पीएम मोदी का वीडियो उनके प्रधानमंत्री बनने से पहले का नहीं बल्कि 2016 का है. इसके अतिरिक्त, वह ईवीएम का विरोध नहीं अपितु उसके समर्थन में बोल रहे हैं.
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