प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एक पुरानी तस्वीर सोशल मीडिया पर काफ़ी वायरल हो रही है, जिसमें वे एक शख्स के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं. यूज़र्स इन तस्वीरों को शेयर करते हुए यह दावा कर रहे हैं वायरल तस्वीर में प्रधानमंत्री के साथ खड़े दिख रहे शख़्स अमित शाह हैं.
हालांकि बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल तस्वीर में पीएम मोदी के साथ खड़े दिख रहे शख़्स अमित शाह नहीं बल्कि आरएसएस कार्यकर्ता डॉ संजीव ओझा हैं.
नहीं, शाहरुख़ खान ने नहीं किया 'पठान' की कमाई पाकिस्तानी NGO को देने का वादा
वायरल तस्वीर में पीएम मोदी की फ़ोटो के ऊपर अंग्रेज़ी में उनका नाम लिखा हुआ है, वहीं दूसरे शख़्स के ऊपर अमित शाह लिखा हुआ है. इसके अलावा तस्वीर में 1993 भी लिखा गया है, जिसके अनुसार यह तस्वीर साल 1993 में ली गई है.
वायरल तस्वीर को अंग्रेज़ी में लिखे कैप्शन के साथ साझा किया गया है, जिसका हिंदी अनुवाद है " उन्हें 1993 में कम ही पता रहा होगा कि वे 2014 में भारत के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति बन जाएंगे".
फ़िल्म निर्देशक राम गोपाल वर्मा ने भी वायरल दावे के साथ ही इस तस्वीर को अपने वेरिफ़ाईड ट्विटर अकाउंट से साझा किया है.
बूम को यह तस्वीर अपने व्हाट्सएप टिपलाइन नंबर (7700906588) पर भी मिली है.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल तस्वीर की पड़ताल के लिए रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमने यह पाया कि यह तस्वीर इस साल मई महीने में भी वायरल थी. साथ ही हमने यह भी पाया कि इसी साल 4 मई को प्रधानमंत्री मोदी की आधिकारिक जर्मनी यात्रा के दौरान कई मीडिया आउटलेट्स ने इस तस्वीर को अपनी रिपोर्ट में शामिल किया था.
4 मई 2022 को एनडीटीवी की वेबसाइट पर प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार यह तस्वीर 1993 की है, जिसमें प्रधानमंत्री मोदी और उनके एक सहयोगी पश्चिमी यूरोप के राजा एवं रोमन साम्राज्य के संस्थापक शारलेमेन की मूर्ति के सामने खड़े दिख रहे हैं. हालांकि इन रिपोर्टों में पीएम मोदी के साथ खड़े दिख रहे उक्त शख़्स के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई थी.
इसी दौरान हमने पाया कि वायरल तस्वीर को लेकर किए गए एक ट्वीट के रिप्लाई सेक्शन में एक यूज़र ने उक्त शख़्स की पहचान गुजरात के आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉ संजीव भाई ओझा के रूप में की है. इसके बाद हमने अपनी जांच को आगे बढ़ाया तो पाया कि डॉ संजीव ओझा गुजरात के आरएसएस कार्यकर्त्ता हैं.
वे गुजरात आयुर्वेद विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति और एबीवीपी गुजरात के पूर्व संगठन सचिव भी रह चुके हैं. जांच के दौरान हमें ABVP राजकोट के द्वारा किया गया एक फ़ेसबुक पोस्ट भी मिला, जिसमें संजीव भाई ओझा की तस्वीर मौजूद थी.
हमें इस दौरान उनका फ़ेसबुक अकाउंट भी मिला, जहां उनकी कई अन्य तस्वीर भी मौजूद थी.
अपनी जांच को पुख्ता बनाने के लिए हमने डॉ संजीव भाई ओझा से भी संपर्क किया. उन्होंने पुष्टि करते हुए कहा कि वायरल तस्वीर 1993 में ली गई थी और वे ही इस तस्वीर में पीएम मोदी के साथ खड़े नज़र आ रहे हैं.
बूम के साथ बातचीत में डॉ संजीव भाई ओझा ने कहा, " मैं ही वायरल तस्वीर में मौजूद हूं. जब हम 1993 के सितंबर या अक्टूबर महीने में जर्मनी गए थे तो मैं उस वक्त आरएसएस का प्रचारक था और मोदीजी भाजपा के कार्यकर्ता थे. हम दोनों एक-दूसरे को लंबे समय से जानते थे और गुजरात में साथ काम कर चुके थे. यह तस्वीर जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में ली गई थी. मोदीजी उस वर्ष शिकागो धर्म संसद में 1893 में स्वामी विवेकानंद के द्वारा दिए गए भाषण के शताब्दी वर्ष समारोह में शामिल होने के लिए अमेरिका गए थे. अमेरिका से वापसी के दौरान मोदीजी बर्लिन की दीवार गिरने के बाद जर्मनी की स्थिति को समझने के लिए वहां गए थे".
इस दौरान संजीव ओझा ने यह भी कहा, "मोदीजी तब एबीवीपी का हिस्सा थे और मैं यूरोप में हिंदू स्वयंसेवक संघ का प्रचारक था".
गृहमंत्री अमित शाह ने 1 जनवरी को हिन्दू राष्ट्र के लिए भारत बंद का किया आह्वान? फैक्ट चेक