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फ़ैक्ट चेक

पुरानी, असंबंधित तस्वीरें भैंसा हिंसा के दावों के साथ वायरल

बूम ने पाया कि वायरल तस्वीरें 2020 में दिल्ली और भैंसा में हुई हिंसा से हैं, ना की वर्तमान में हुई घटना की.

By - Sumit | 14 March 2021 3:06 PM GMT

पांच तस्वीरों का एक सेट फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल है कि यह तेलंगाना के भैंसा में हुई साम्प्रदायिक हिंसा दिखाती हैं.

बूम ने तस्वीरों को एक-एक कर ट्रेस किया और पाया कि यह दिल्ली और भैंसा में 2020 में हुई हिंसा से हैं.

यह तस्वीरें तब वायरल हैं जब हाल में तेलंगाना के निर्मल ज़िले में भैंसा इलाके में साम्प्रदायिक दंगे हुए. एक बाइक दुर्घटना के चलते 7 मार्च 2021 को भैंसा में दो सम्प्रदायों के बीच झगड़ा शुरू हुआ. द न्यूज़ मिनट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दंगे में दो घर और 9 वाहनों को आग लगा दी गयी. पत्थरबाज़ी में करीब 6 लोग घायल हुए.

नहीं, अरविन्द केजरीवाल ने केवल मुस्लिम दंगा पीड़ितों की मदद का विज्ञापन नहीं दिया है

इस घटना के बाद से ही तस्वीरों का यह सेट वायरल हो रहा है. एक ट्वीट में 4 तस्वीरों को साझा करते हुए यूज़र अंग्रेजी में कैप्शन लिखता है. इसका अनुवाद है: "हिंदुओं के 19 घरों को आग लगा दी गई पर इसपर कोई चर्चा नहीं करता है, क्यों? क्योंकि हम ना ही शांतिप्रिय हैं और ना ही हम दंगा शुरू करने के लिए कानून हाथ में लेते हैं. #BhainsaRiots पर बीजेपी की शांति आश्चर्यजनक है शायद वेस्ट बंगाल चुनाव तेलंगाना में हिंदुओं की जान से ज़्यादा ज़रूरी है."

(अंग्रेजी में: "19 H!ndu houses set on fire, but no one is talking about it. Why? Because we are neither peaceful nor we take law & order in our hands and start riots. Surprised to see the silence of BJP on #BhainsaRiots Might be cause WB election is more important than H!ndu life in Telangana")

फ़ेसबुक पर भी समान फ़र्ज़ी दावों के साथ वायरल हो रही हैं तस्वीरें.

Full View

एक अन्य ट्विटर यूज़र दो पुरानी तस्वीरों को पोस्ट कर उन्हें वर्तमान हिंसा से जोड़ने की कोशिश कर रहा है.

स्वराज मैगज़ीन, 8 मार्च 2021, को प्रकाशित अपनी एक रिपोर्ट में पुरानी तस्वीरों में से एक का इस्तेमाल करती है. इस तस्वीर का क्रेडिट द हिन्दू को दिया गया है.

किसान आंदोलन में शामिल मुस्लिम महिलाओं की तस्वीर साम्प्रदायिक एंगल से वायरल

फ़ैक्ट चेक

बूम ने इन तस्वीरों को रिवर्स इमेज सर्च कर देखा और पाया कि कम से कम पांच तस्वीरें वर्तमान की हिंसा नहीं दिखाती बल्क़ि पुरानी और असंबंधित हैं.

पहली तस्वीर


इस तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें 2020 में प्रकाशित कई रिपोर्ट्स मिली जिसमें ये तस्वीर इस्तेमाल हुई थी. मार्च 5 2020 को नेशनल हेराल्ड ने इस तस्वीर को प्रकाशित किया और इसका क्रेडिट पीटीआई को दिया था. आउटलुक गैलरी में भी यह तस्वीर प्रकाशित हुई थी.

दूसरी तस्वीर

इस तस्वीर की खोज करने पर हम NPR.org वेबसाइट पर 26 फ़रवरी 2020 को प्रकाशित एक लेख मिला.


तस्वीरें 3, 4 और 5


इन तस्वीरों को रिवर्स इमेज सर्च करने पर भैंसा, तेलंगाना, में ही हुई एक पुरानी हिंसा पर रिपोर्ट्स मिली. तस्वीरें वास्तव में भैंसा की ही हैं पर यह वर्तमान की घटनाओं से संबंधित नहीं हैं.

तीसरी फ़ोटो हमें 15 जनवरी 2020 को प्रकाशित द न्यूज़ मिनट के एक लेख में मिली.


इसी तरह चौथी तस्वीर हमें न्यू इंडियन एक्सप्रेस द्वारा प्रकाशित 13 जनवरी 2020 के एक लेख में मिली.


और आखिरी तस्वीर जो पांचवें नंबर पर है, हमनें उसे द हिन्दू द्वारा प्रकाशित 13 जनवरी रिपोर्ट में देखा.

फ़ैक्ट चेक: अख़बार पढ़ते हुए राहुल गांधी की यह तस्वीर क्यों वायरल है


भैंसा 2020 घटना

न्यूज़ रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2020 के तेलंगाना के भैंसा में साम्प्रदायिक दंगे हुए थे. पुलिस ने वहां कैंप लगा कर धरा 144 लागू की थी.

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