सोशल मीडिया पर एक पोस्ट के साथ यह दावा किया जा रहा है कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) जैसी खुफिया एजेंसियों ने ऐसे सर्वे करवाए हैं, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के समर्थन में गिरावट के संकेत देते हैं. बूम ने एक आधिकारिक सरकारी सूत्र से बात की, जिन्होंने बताया कि एनआईए किसी भी तरह से राजनीतिक सर्वेक्षण नहीं कराता है.
एक्स पर कांग्रेस के एक सदस्य ने भी अंग्रेजी कैप्शन के साथ यह दावा पोस्ट किया. दावे में सर्वे के कई प्रमुख निष्कर्षों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनमें मोदी की छवि में गिरावट, राम मंदिर मुद्दे पर कम होती अपील और युवाओं और महिलाओं का बढ़ता विरोध समेत अन्य बिंदु शामिल हैं.
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फेसबुक पर भी इस दावे को कई यूजर्स ने पोस्ट किया है.
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फैक्ट चेक
बूम ने वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए केंद्र सरकार के एक सूत्र से संपर्क किया, उन्होंने इस बात की पुष्टि की कि एनआईए राजनीतिक सर्वे आयोजित करने या जारी करने में किसी प्रकार शामिल नहीं है. एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर बूम को बताया, "एनआईए कोई राजनीतिक सर्वेक्षण नहीं करता है."
अभी एनआईए भारत में आतंकवाद विरोधी जांच एजेंसी के रूप में काम करती है. यह मुख्य रूप से आतंकवाद और अन्य राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित गतिविधियों की जांच और उससे संबंधित मुकदमे को देखती है. राजनीतिक दलों के लिए राजनीतिक सर्वे करना जांच एजेंसी के अधिकार क्षेत्र से बाहर है.
आम तौर पर, प्राइवेट सलाहकार एजेंसियां राजनीतिक नेताओं को जमीनी जानकारी देने के लिए विभिन्न दलों को सेवाएं प्रदान करती हैं. उदाहरण के लिए, द टेलीग्राफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा ने पिछले साल देशभर में सभी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्रों का व्यापक सर्वे करने के लिए दो बाहरी चुनाव सलाहकार एजेंसियों को काम पर रखा था. इनमें से एक चेन्नई में और दूसरी दिल्ली में स्थित एजेंसी थी.
हालांकि राजनीतिक नेताओं ने सर्वेक्षण को आम चुनाव की तैयारियों का एक नियमित हिस्सा बताकर इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दिया. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सहयोगी दलों के साथ सीटों के बंटवारे पर फैसला परिणाम सामने आने के बाद किया जाएगा.
इसके अलावा, इस साल की शुरुआत में, भाजपा ने नमो ऐप पर 'जन मन' ऑनलाइन सर्वे शुरू किया. इसका उद्देश्य भारतीय नागरिकों के विचारों को समझना और अप्रैल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले सत्तासीन पार्टी के प्रदर्शन का आकलन करना था. इस सर्वे में सत्तारूढ़ दल के शासन, उसके नेतृत्व और उनके स्थानीय सांसदों के प्रदर्शन पर लोगों की राय से जुड़े प्रश्न शामिल हैं.