सोशल मीडिया पर मणिपुर में महिला की सरेआम गोली मारकर हत्या के दावे से एक वीडियो वायरल हो रहा है. इसमें कुछ वर्दीधारी लोग एक महिला के साथ बेरहमी से मारपीट करते और अंत में उसे गोली मारते देखे जा सकते हैं. वीडियो को मणिपुर हिंसा से जोड़कर शेयर किया जा रहा है.
बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि वायरल दावा गलत है. यह वीडियो मणिपुर का नहीं बल्कि म्यांमार का है, जहां अपदस्थ राष्ट्रीय एकता सरकार (एनयूजी) के जन रक्षा बल के सदस्यों ने जासूसी के शक में एक महिला को गोली मार दी थी.
बूम म्यांमार टीम से मिले इनपुट के साथ इस वीडियो का फैक्ट चेक जुलाई 2023 में भी किया गया था. उस समय मणिपुर में भीड़ द्वारा दो महिलाओं को निर्वस्त्र कर घुमाने का एक दिल दहला देने वाला वीडियो सामने आया था, जिससे जोड़कर म्यांमार के इस वीडियो को शेयर किया जा रहा था.
बीते दिनों एक व्यक्ति का शव मिलने के बाद मणिपुर के जिरिबाम इलाके में हिंसा भड़क गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उपद्रवियों ने जिरिबाम इलाके में मैतेई समुदाय के लोगों के घर जला दिए गए. इसके बाद से मैतेई परिवार का पलायन शुरू हो गया है. हिंसा रोकने के लिए इलाके में सेना की तैनाती की गई है.
मणिपुर में उपजी हालिया हिंसा के बीच फेसबुक पर इस पुराने वीडियो को शेयर करते हुए एक यूजर ने लिखा, 'सुप्रीम कोर्ट मणिपुर संघर्ष का सबूत चाहता है, इसलिए मैं आपसे अनुरोध करती हूं कि आप इस वीडियो को 48 घंटे के भीतर वायरल कर दें, कृपया इसे सभी के साथ साझा करें.'
वीडियो की बेहद हिंसक प्रकृति के कारण हम इसे यहां नहीं दिखा रहे हैं.
फैक्ट चेक
बूम ने 2023 में फैक्ट चेक के दौरान वीडियो के कीफ्रेम को यांडेक्स पर रिवर्स इमेज सर्च किया था. इससे हमें 6 दिसंबर 2022 की एक रिपोर्ट मिली थी. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो से मिलती-जुलती तस्वीर देखी जा सकती है.
इस रिपोर्ट में बताया गया था कि म्यांमार की राष्ट्रीय एकता सरकार (एनयूजी) ने सगैंग प्रांत के तमू में एक महिला की गोली मारकर हत्या किए जाने की घटना की निंदा की थी. सरकार ने घटना को सैन्य नियमों का उल्लंघन बताते हुए इसकी जांच के आदेश भी दिए थे.
गौरतलब है कि म्यांमार में गृह युद्ध के बीच फरवरी 2021 में सैन्य तख्तापलट हुआ था. इसके उपरांत वहां की जुंटा सेना ने सर्वोच्च नेता आंग सान सू ची समेत कई नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था जिसका दुनियाभर में विरोध हुआ था.
अप्रैल 2021 में जातीय विद्रोही समूहों के नेताओं ने पुरानी सरकार के कुछ लोगों के साथ मिलकर एक वैकल्पिक सरकार, राष्ट्रीय एकता सरकार (एनयूजी) का गठन किया. इन्होंने जन रक्षा बल (पीडीएफ) की भी स्थापना की, जिसमें लगभग 60,000 से ज्यादा सैनिक हैं.
रिपोर्ट में मिली जानकारी के आधार पर हमने घटना से संबंधित और मीडिया रिपोर्ट्स की तलाश की. हमें म्यांमार नाउ की वेबसाइट पर 6 दिसंबर 2022 को प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट मिली.
रिपोर्ट में बताया गया था कि म्यांमार की राष्ट्रीय एकता सरकार सगैंग क्षेत्र की सीमा के पास हुई इस महिला की हत्या की जांच कर रही है. इस रिपोर्ट में राष्ट्रीय एकता सरकार के रक्षा मंत्रालय के तत्कालीन सचिव निंग हतू औंग का बयान भी मौजूद था.
निंग हतू के मुताबिक, यह घटना भारतीय राज्य मणिपुर से सटे इलाके तमू में हुई थी. इसमें दिख रहे आरोपी जन रक्षा बल से जुड़े थे. मंत्रालय ने जांच के बाद एक महिला और दो पुरुषों को हिरासत में लेने के भी आदेश दिए थे.
इस रिपोर्ट में महिला की पहचान 25 वर्षीया ये मर तून बताई गई. स्थानीय जन रक्षा बल टीम के प्रवक्ता के हवाले से बताया गया था कि मृतक महिला कथित रूप से Pyu Saw Htee मिलिशिया की सदस्य थी जिसे म्यांमार सेना (जुंटा) द्वारा ट्रेनिंग दी गई थी. वह पीडीएफ की स्थानीय इकाई के एक 17 वर्षीय सदस्य की गिरफ्तारी और हत्या में भी शामिल थी.
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह भी बताया था कि सेना जुंटा को पीडीएफ शिविर पर कब्जा करने के दौरान जब्त किए गए एक मोबाइल से यह वीडियो मिला था. पहली बार यह वीडियो 19 नवंबर 2022 को एक अज्ञात फेसबुक अकाउंट से पोस्ट किया गया, हालांकि उसे बाद में हटा लिया गया था.
2023 में पड़ताल के दौरान म्यांमार की राष्ट्रीय एकता सरकार के आधिकारिक फेसबुक हैंडल पर हमें 5 दिसंबर 2022 का घटना से संबंधित एक पोस्ट भी मिला था. इस पोस्ट में लिखा गया कि "सरकार ने इस घटना की जांच के आदेश दिए हैं और यह पता करने के लिए कहा है कि क्या इसमें पीडीएफ कर्मी भी शामिल हैं. घटना से शामिल दोषियों के ऊपर कड़ी कार्रवाई की जाएगी."