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फैक्ट चेक

भारत सरकार ने यूट्यूबर विवेक बिंद्रा के नाम से डाक टिकट जारी किया? नहीं, दावा ग़लत है

बूम ने अपनी जांच में पाया कि यूट्यूबर विवेक बिंद्रा ने अपनी तस्वीरों वाले डाक टिकट के साथ जो दावा किया है, ग़लत है.

By - Mohammad Salman | 17 Jan 2023 11:16 AM IST

लोकप्रिय हिंदी यूट्यूबर विवेक बिंद्रा ने हाल ही में अपने सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया कि भारत सरकार ने उनके नाम और तस्वीर का डाक टिकट (पोस्टल स्टांप) जारी किया है. विवेक बिंद्रा के यूट्यूब चैनल 'डॉ. विवेक बिंद्रा: मोटिवेशनल स्पीकर' पर 20 मिलियन से अधिक सब्सक्राइबर्स हैं. वह 'बड़ा बिज़नेस' के फाउंडर और ख़ुद को मोटिवेशनल स्पीकर बताते हैं. उनका एमएक्स प्लेयर पर 'बिज़नेस बाज़ी' नाम का एक शो है.

विवेक बिंद्रा ने ट्विटर और फ़ेसबुक पर अपनी एक तस्वीर पोस्ट की, जहां उन्हें अपनी तस्वीर वाला डाक टिकट पकड़े देखा जा सकता है. 

हालांकि, बूम ने पाया कि भारत सरकार द्वारा यूट्यूबर विवेक बिंद्रा के नाम और तस्वीर वाले डाक टिकट जारी करने का दावा भ्रामक है.

यूट्यूबर विवेक बिंद्रा ने 11 जनवरी 2023 को अपनी डाक टिकट वाली तस्वीरें शेयर करते हुए ट्वीट किया, "कैसा लगेगा जब आप लेटर पर पोस्टल स्टांप लगाने जा रहे हों और उस स्टांप पर आपकी ही तस्वीर हो। ऐसी ही खुशी मुझे हुई जब मैंने देखा कि भारत सरकार ने मेरे नाम और फोटो का स्टांप जारी किया है। यह एक गर्व करने वाला पल था। इस सम्मान के लिए मैं भारत सरकार/डाक विभाग को दिल से धन्यवाद करता हूं."

ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

इसी कैप्शन के साथ उन्होंने अपने वेरिफ़ाईड फ़ेसबुक पेज से भी तस्वीरें शेयर करते हुए दावा किया कि भारत सरकार ने उनके नाम और तस्वीर का स्टांप जारी किया है, और यह पल उनके के लिए गर्व करने वाला है.



बड़ा बिज़नेस के आधिकारिक फ़ेसबुक पेज से भी अपने फाउंडर के दावे को हवा दी गई है.



एक फ़ेसबुक यूज़र ने विवेक बिंद्रा के स्टांप की तस्वीरों के साथ शेयर किये गए पोस्ट में लिखा, "भारत सरकार ने जारी किया विवेक बिंद्रा जी के नाम और फोटो का #पोस्टल #स्टांप. अब आप खुद विचार करें ऐसे विशेष व्यक्ति के साथ यदि आप बिजनेस पार्टनर बनते है तो आपकी उपलब्धि को कोई नहीं रोक सकता."


पोस्ट यहां देखें.

क्या विवेक अग्निहोत्री की द कश्मीर फ़ाइल्स को ऑस्कर के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया?

फ़ैक्ट चेक 

बूम ने अपनी जांच में पाया कि विवेक बिंद्रा ने अपनी तस्वीरों वाले डाक टिकट के साथ जो दावा किया है, ग़लत है. दरअसल, भारतीय डाक विभाग 'माई स्टांप' नाम की एक स्कीम चलाता है जिसमें कोई भी व्यक्ति, संगठन, संस्था अपनी तस्वीर, या कलाकृति, विरासत भवनों, प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक शहरों, वन्य जीवन, अन्य जानवरों और पक्षियों की तस्वीरों को प्रिंट करके प्राप्त कर सकता है.

बूम ने विवेक बिंद्रा द्वारा अपने पोस्ट में किए गए दावे की सत्यता की पुष्टि करने के लिए मीडिया रिपोर्ट की जाँच की. लेकिन हमें ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली जिसमें यह कहा गया हो कि विवेक बिंद्रा के नाम और तस्वीर वाला पोस्टल स्टांप (डाक टिकट) भारत सरकार द्वारा जारी किया गया है.

हमें जांच के दौरान इकोनोमिक टाइम्स पर जून 2016 की एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में डाक विभाग के हवाले से बताया गया है कि कोई व्यक्ति या कॉरपोरेट इकाई अब 12 लाख रुपये में डाक टिकट के अंदर अपनी तस्वीर या लोगो छपवा सकता है.

रिपोर्ट में डाक विभाग सचिव एस के सिन्हा का बयान मौजूद है, जिसमें उन्होंने कहा कि "हमने लोगों और कॉरपोरेट्स के लिए 'माई स्टांप' की कस्टमाइज्ड प्रिंटिंग खोली है. कोई भी 12 लाख रुपये की शुद्ध लागत के लिए स्टैम्प के अंदर अपना लोगो या फोटो प्रिंट करवा सकता है. इसमें 60 हजार डाक टिकटों वाली 5 हजार शीट होंगी."

वहीं, द हिन्दू ने जुलाई 2017 की अपनी एक रिपोर्ट में तमिलनाडु वेस्टर्न सर्कल कोयम्बटूर की पोस्टमास्टर जनरल शारदा संपत के हवाले से लिखा है, "इंडिया पोस्ट द्वारा जारी किए गए स्मारक डाक टिकट केवल प्रसिद्ध और मृत लोगों के लिए हैं और कई नौकरशाही प्रक्रियाओं के बाद मंजूरी मिलती है. लेकिन इंडिया पोस्ट की 'माई स्टांप' कस्टमाइज्ड शीट किसी के लिए भी आसानी से बन जाती है. यह डाक टिकट में छपने की आम आदमी की आकांक्षा को पूरा करता है." 



इसके बाद, हमने इंडिया पोस्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर 'माई स्टांप' के बारे में जानकारी खोजी. वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक़, 'माई स्टैम्प' भारतीय डाक के डाक टिकटों की कस्टमाइज्ड शीट का ब्रांड नाम है. चयनित माय स्टैम्प थीम स्टैम्प के साथ, संस्थानों की तस्वीरों और लोगो, या कलाकृति, विरासत भवनों, प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों, ऐतिहासिक शहरों, वन्य जीवन, अन्य जानवरों और पक्षियों की तस्वीरों को प्रिंट करके प्राप्त किया जाता है.

आगे बताया गया है कि कॉरपोरेट, संगठन और संस्थान अपनी कस्टमाइज्ड शीट इंडिया पोस्ट से प्रिंट करा सकते हैं. अपनी पसंद के थीम वाले टिकटों के साथ, संगठन अपने लोगो, अपने संगठन/संस्थान की तस्वीरों को प्रिंट करने का विकल्प चुन सकते हैं.

एक माई स्टांप शीट में 12 स्टांप होते हैं जिनमें प्रत्येक स्टांप का अंकित मूल्य 5 रूपए और एक शीट की कीमत 300 रूपए है.



  • वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के मुताबिक़, यदि किसी व्यक्ति को 'माई स्टांप' के तहत अपने नाम व तस्वीर का डाक टिकट चाहिए तो उसे स्टांप ऑर्डर फॉर्म भरना होगा. उसमें अपने हस्ताक्षर के साथ अपना पहचान पात्र दिखाना होगा. और फिर उसे भुगतान करना होगा.
  • वह अपना फोटो खिंचवा सकता है या हार्ड/सॉफ्ट कॉपी में उपलब्ध करा सकता है. माई स्टैम्प प्राप्त करने के लिए ग्राहक परिवार के फोटोग्राफ/दोस्तों, रिश्तेदारों आदि के फोटो की एक प्रति भी प्रदान कर सकता है.
  • वहीं, कॉर्पोरेट ग्राहकों से 'माई स्टांप' के लिए आवेदन पर भी विचार किया जाएगा. ऑर्डर फॉर्म के साथ आवेदन एक अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता द्वारा प्रस्तुत किया जाना चाहिए. इसके साथ संगठन/कंपनी द्वारा जारी अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता का वैध आईडी प्रमाण होना चाहिए. कॉर्पोरेट ग्राहकों के लिए न्यूनतम 100 शीट की मात्रा अनिवार्य होगी.

हमें अपनी जांच के दौरान इंडिया पोस्ट का एक ट्वीट मिला जिसमें विवेक बिंद्रा के ट्वीट को कोट करते हुए लिखा, "डाक विभाग देश के प्रत्येक नागरिक की सेवा करने के लिए पूर्णत: प्रतिबद्ध है. हमें बेहद प्रसन्नता है कि आपको हमारी ''माई स्टांप'' सेवा पसंद आई. धन्यवाद हमें सराहने के लिए."

इंडिया पोस्ट के ट्वीट में स्पष्ट शब्दों में 'माई स्टांप' सेवा का ज़िक्र किया गया है, और कहीं भी भारत सरकार द्वारा विवेक बिंद्रा के नाम और फ़ोटो का स्टांप जारी करने का ज़िक्र नहीं है.

हमने इस मामले पर अधिक जानकारी के लिए इंडिया पोस्ट के दिल्ली क्षेत्र के एक सेक्शन ऑफिसर से संपर्क किया. उन्होंने हमें बताया कि 'माई स्टांप' स्कीम के तहत कोई भी व्यक्ति अपने नाम व तस्वीर का पोस्टल स्टांप बनवा सकता है.

"इसका एक फॉर्मेट बना हुआ है. इसमें जॉइंट स्टांप रहती हैं. एक स्टांप खाली रहती है जिसमें आपकी (या किसी भी व्यक्ति) फ़ोटो लग जाती है, जबकि दूसरे स्टांप में पहले से ही गुलाब का फूल, लाल क़िला, राशियों के सिंबल होते हैं. उन्हें अपनी पसंद का चुना जा सकता है. कोई भी भारतीय नागरिक 300 रुपये प्रति शीट देकर बनवा सकता है, और पोस्टल पर्पज़ के लिए इस्तेमाल कर सकता है," इंडिया पोस्ट के सेक्शन ऑफिसर ने बूम को बताया.

बूम ने इस मामले पर टिप्पणी के लिए विवेक बिंद्रा से संपर्क करने की कोशिश की. विवेक बिंद्रा की टीम को कई बार कॉल करने के बावजूद हम उनसे संपर्क नहीं कर पाए. बूम ने उन्हें इस बाबत मेल भी किया है लेकिन रिपोर्ट लिखे जाने तक उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया.

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