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फैक्ट चेक

पुलिस द्वारा आरोपियों से पत्थर बिनवाने का पुराना वीडियो गलत सांप्रदायिक दावे से वायरल

बूम ने पाया कि वीडियो सितंबर 2023 का है. बूम को सदर बाजार के तत्कालीन थाना प्रभारी सतीश पटेल ने बताया कि घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था, इसमें दोनों ही गुट के लोग मुस्लिम थे.

By - Jagriti Trisha | 21 Jun 2024 1:01 PM GMT

सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल है, जिसमें पुलिस कुछ लोगों को अर्धनग्न अवस्था में सड़क पर परेड करवाती नजर आ रही है. इसको हालिया बताते हुए इसके साथ सांप्रदायिक दावा किया जा रहा है कि इन मुस्लिम लड़कों ने ईद के मौके पर हिंदुओं के घर पर पत्थर फेंके जिसके बाद पुलिस ने उनको अर्धनग्न अवस्था में रस्सी से बांधकर सड़क पर घुमाया.

बूम ने अपने फैक्ट चेक में पाया कि वायरल वीडियो सितंबर 2023 का है. यह घटना इंदौर के सदर थाना क्षेत्र की है, जहां दो गुटों में हुई पत्थरबाजी के बाद पुलिस ने आरोपियों को सड़क पर घुमाया था, उनसे फेंके गए पत्थर बिनवाए थे और स्थानीय लोगों से माफी भी मंगवाई थी.

सदर बाजार थाने के तत्कालीन प्रभारी सतीश पटेल ने बूम के साथ हुई बातचीत में सांप्रदायिक दावे का खंडन करते हुए बताया कि यह दो गुटों के आपसी विवाद का मामला था.

लगभग 45 सेकंड के इस वीडियो में कुछ युवक सड़क पर अर्धनग्न स्थिति में हैं, उनके हाथ रस्सी से बंधे हुए हैं. वीडियो में पुलिस भी मौजूद है. युवक इसमें पुलिस के कहने पर सड़क पर फेंके गए पत्थर उठाते देखे जा सकते हैं. साथ ही उन्हें "पत्थरबाजी नहीं करेंगे" कहते भी सुना जा है.

एक्स पर एक यूजर ने सांप्रदायिक दावा करते हुए लिखा, 'इंदौर में अब्दुल और उसके साथियों ने मिलकर ईद पर हिंदुओं के घर पर पत्थर फेंके और डराने धमकाने लगे थे. CM मोहन यादव जी की पुलिस ने अब्दुल गैंग को थाने में बढ़िया से कूटा. अर्धनग्न किया और रस्सी से बांधकर वहीं लेकर आई जहां पत्थर फेंके थे. इंदौर पुलिस का बहुत बहुत धन्यवाद.'


पोस्ट का आर्काइव लिंक.

फेसबुक पर भी यह पुराना वीडियो इसी दावे से वायरल है.


पोस्ट का आर्काइव लिंक.

 


फैक्ट चेक

वायरल दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने वीडियो से संबंधित कुछ कीवर्ड्स सर्च किए. हमें 9 सितंबर 2023 की टीवी9 भारतवर्ष में प्रकाशित एक रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो से मिलती-जुलती तस्वीर देखी जा सकती है.

वायरल वीडियो पुराना है

यह घटना 2023 के सितंबर महीने की है. टीवी9 की रिपोर्ट के मुताबिक, मध्य प्रदेश के इंदौर स्थित जून रिसाला में दबदबा कायम रखने के लिए दो गुटों में पत्थरबाजी हुई. घटना की पड़ताल के बाद एमपी पुलिस ने आठ आरोपियों को पकड़कर उन्हीं के फेंके गए पत्थर बिनवाए.

10 सितंबर 2023 की ईटीवी भारत की रिपोर्ट में भी बताया गया है कि पुरानी रंजिश और क्षेत्र में दबदबे को लेकर पत्थरबाजी की यह घटना हुई थी. इसके बाद पुलिस ने उन्हें पकड़ा और घटनास्थल पर ले जाकर उनसे पत्थर बिनवाए और स्थानीय लोगों से माफी भी मंगवाई.



घटना में हिंदू-मुस्लिम एंगल नहीं है

इन रिपोर्ट्स में यह बताया गया कि यह झगड़ा आपसी विवाद की वजह से हुआ था. असल में दोनों पक्षों के बीच पुराने मामले को लेकर राजीनामा होना था, लेकिन मामला बिगड़ गया और नतीजतन पत्थरबाजी हुई. इन रिपोर्ट्स में कहीं भी घटना में सांप्रदायिक एंगल का जिक्र नहीं है.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट में सदर बाजार थाने के तत्कालीन प्रभारी सतीश पटेल के बयान का वीडियो भी मौजूद है. इस बयान में उन्होंने बताया था कि, "ये दोनों बदमाशों के गुट हैं, इन सभी के पुराने क्रिमिनल रिकॉर्ड भी हैं."



इस बयान में आरोपियों से अर्धनग्न स्थिति में पत्थर बिनवाने के संबंध में बोलते हुए उन्होंने बताया कि "तमाम हिदायतों के बाद भी उनकी हरकतों में सुधार नहीं हो रहा था, जब दोनों पक्षों ने पत्थरबाजी की तो फिर वही पत्थर उनलोगों से चुनवाए गए."

पत्थरबाजी के कारण पर बोलते हुए सतीश पटेल कहते हैं कि "इनका पहले से विवाद चल रहा था. समझौते को लेकर इनके बीच मनमुटाव हुआ जिसके फलस्वरूप पत्थरबाजी हुई."

बूम ने पुष्टि के लिए सतीश पटेल से भी संपर्क किया. उन्होंने बताया कि "यह पुरानी घटना है. घटना में कोई सांप्रदायिक एंगल नहीं था. दोनों ही पक्ष के लोग मुस्लिम थे. इनके आपसी विवाद की वजह से पत्थरबाजी हुई थी. ये बदमाश टाइप के लोग थे, इनकी वजह से आम जनता भी परेशान थी."

इसके अलावा सदर बाजार के टीआई रत्नाम्बर शुक्ला ने भी बूम को बताया कि "हिंदू-मुस्लिम जैसा कोई मामला नहीं था. सभी आरोपियों पर वैधानिक तरीके से कार्रवाई हुई थी."

घटना के समय मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव नहीं थे

दावे में वीडियो को हालिया बताते हुए मुख्यमंत्री मोहन यादव का भी जिक्र किया गया है. हमने पाया कि घटना के समय मोहन यादव नहीं बल्कि शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. एमपी में विधानसभा के चुनाव 2023 के नवंबर में हुए, जिसके बाद भारतीय जनता पार्टी के मोहन यादव प्रदेश के सीएम बने जबकि वायरल वीडियो की घटना सितंबर 2023 की है.

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