सोशल मीडिया पर एक तस्वीर काफ़ी वायरल है जिसके साथ दावा किया जा रहा है कि लुलु मॉल में नमाज़ पढ़ने वाले हिन्दू थे. वायरल तस्वीर थाना सुशांत गोल्फ़ सिटी लखनऊ के नाम से 15 जुलाई का एक प्रेस नोट है जिसमें धारा 144 का उल्लंघन और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने को लेकर 4 युवकों को न्यायिक हिरासत में लिया गया. प्रेस नोट को शेयर करते हुए सोशल मीडिया यूजर्स इन हिरासत में लिए गए युवकों को नमाज़ पढ़ने वाले बता रहे हैं.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि वायरल तस्वीर के साथ किया जा रहा दावा फ़र्ज़ी है.
पिछले सप्ताह 10 जुलाई को लखनऊ में भारत का सबसे बड़ा शॉपिंग मॉल ''लुलु मॉल' का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उद्घाटन किया. इसके बाद से ही लुलु माल सुर्खियों में बना हुआ है. 13 जुलाई को एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ लोग लुलु मॉल में नमाज़ पढ़ते हुए दिख रहे थे. इसके बाद विवाद बढ़ गया और कुछ हिन्दू संगठनों ने भी मॉल में 'सुंदर कांड' और 'हनुमान चालीसा' का पाठ करने की घोषणा कर दी. मॉल प्रबंधन की शिकायत पर पुलिस ने कार्यवायी शुरू की थी.
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फ़ेसबुक पर एक यूज़र ने प्रेस नोट की तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा,'लुलु मॉल में नमाज पढ़ने वाले सरोज योगी, कृष्णकुमार पाठक, गौरव गोस्वामी को मेरा प्रणाम'
फ़ेसबुक पर इसी दावे के साथ ये पोस्ट खूब वायरल है.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने सबसे पहले वायरल तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च किया तो इंडिया टुडे की 15 जुलाई की रिपोर्ट का लिंक मिला. रिपोर्ट के अनुसार पुलिस ने शुक्रवार को सुंदर कांड का पाठ करने के लिए लुलु मॉल के प्रवेश द्वार के बाहर जमा हुए चार लोगों को गिरफ़्तार किया. आरोपियों को सुशांत गोल्फ सिटी पुलिस ने धारा 144 का उल्लंघन करने के आरोप में न्यायिक हिरासत में भेज दिया है. आरोपियों की पहचान सरोज नाथ योगी, कृष्ण कुमार पाठक, गौरव गोस्वामी और अरशद अली के रूप में हुई है.
इंडिया टुडे की इस रिपोर्ट में कहीं भी जिक्र नहीं है कि पकड़े गए लोग लुलु मॉल में नमाज़ पढ़ने वाले आरोपी थे. इसके बाद हमें TV9 भारतवर्ष की रिपोर्ट मिलीं जिसके अनुसार लखनऊ पुलिस ने लुलु मॉल में सुंदर कांड का पाठ करने पहुंचे हिन्दू संगठनों के चार कार्यकर्ताओं को गिरफ़्तार किया. रिपोर्ट में आरोपियों के नाम सरोज नाथ योगी, कृष्ण कुमार पाठक, गौरव गोस्वामी और अरशद अली बताए गए.
आगे और खोजने पर DCP South Lucknow का इसी प्रकरण को लेकर ट्वीट मिला.
इसी ट्वीट के साथ संलग्न प्रेस नोट वही है जो वायरल है. उपरोक्त इंडिया टुडे व TV9 भारतवर्ष की रिपोर्ट और इस ट्वीट में दर्ज़ नाम समान हैं. इससे स्पष्ट है कि गिरफ़्तार होने वाले व्यक्ति नमाज़ पढ़ने वाले नहीं है.
इसके बाद DCP South Lucknow का एक और ट्वीट मिला जिसमें उन्होंने वायरल प्रेस नोट में दर्ज नामों का नमाज़ियों के संदर्भ में स्पष्ट रूप से खंडन करते हुए कहा है कि 12 जुलाई को लुलु मॉल परिसर में नमाज़ पढ़ने को लेकर 14 जुलाई को मॉल प्रबंधन ने अज्ञात नमाज़ियों के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया था. इस मुकदमे से संबंधित कोई भी आरोपी अभी चिन्हित नहीं हो सका है. इसके बाद 15 जुलाई को पुलिस ने हनुमान चालीसा पढ़ने के प्रयास में तीन व्यक्ति सरोज नाथ योगी, कृष्ण कुमार पाठक, गौरव गोस्वामी और नमाज़ पढ़ने के प्रयास में अरशद अली सहित चारों व्यक्तियों पर धारा 151, 107, 116 सीआरपीसी के तहत कार्रवाई की थी.
इसके बाद बूम ने थाना सुशांत गोल्फ़ सिटी लखनऊ से संपर्क किया तो उन्होंने बताया कि सोशल मीडिया पर वायरल मैसेज में बताए जा रहे लोगों का मॉल में नमाज़ पढ़ने को लेकर वायरल हुई वीडियो में दिख रहे लोगों से कोई संबंध नहीं है. ये सब बाद में शांति भंग करने वाले लोग थे. आगे पुलिस ने बताया कि अज्ञात नमाजियों के विरुद्ध पंजीकृत अभियोग में जांच चल रही है और उस मामले में अभी तक आरोपियों की पहचान नहीं हुई है और न ही गिरफ़्तारी हुई.
सोशल मीडिया पर लोग तरह -तरह के अनुमान लगा रहे हैं. कुछ कह रहे हैं कि नमाज़ पढ़ने वालों ने सिर्फ़ 18 सेकंड में ही नमाज़ पढ़ ली जबकि अमूमन 7-8 मिनट का समय लगता है और उनमें से कोई भी काबा की ओर मुंह करके नहीं बैठा था. नमाज पढ़ने के समय सभी का चेहरा एक तरफ होना चाहिए लेकिन वीडियो में नमाज पढ़ने वाले युवकों में एक का चेहरा दूसरी दिशा में है तो बाकी अन्य के चेहरे दूसरी तरफ हैं. हो सकता है कि ये किसी और धर्म के भी हो सकते हैं जो इस्लाम को बदनाम करने की फ़िराक में हो. हालांकि वीडियो में दिख रहे किसी भी व्यक्ति को पहचाना नहीं जा सका. इसलिए अभी पुष्ट रूप से कुछ कहा नहीं जा सकता है.