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फैक्ट चेक

क्या कोलकाता में रोहिंग्या मुस्लिमों ने हिन्दुओं का नरसंहार किया है? फ़ैक्ट चेक

बूम ने पाया कि वायरल क्लिप को 2017 की ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट से लिया गया है और जिस घटना की रिपोर्ट की जा रही है वह म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई थी.

By - Sumit | 14 July 2021 1:59 PM GMT

ज़ी न्यूज़ की तीन साल पुरानी वीडियो रिपोर्ट का एक कटा हुआ हिस्सा सोशल मीडिया पर फ़र्ज़ी दावे के साथ वायरल है. वीडियो क्लिप शेयर करते हुए दावा किया जा रहा है कि यह पश्चिम बंगाल के कोलकाता के एक गांव में रोहिंग्या मुसलमानों द्वारा हिंदू परिवारों का नरसंहार दिखाता है.

बूम ने पाया कि वायरल क्लिप को 2017  की ज़ी न्यूज़ की रिपोर्ट से लिया गया है और जिस घटना की रिपोर्ट की जा रही है वह म्यांमार के रखाइन प्रांत में हुई थी.

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गौरतलब है कि ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी के 2 मई को चुनाव जीतने के बाद से पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद की हिंसा की ख़बरें आने लगी थीं. इस बीच, बंगाल में कथित चुनाव के बाद हिंसा की जांच के लिए राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति ने 13 जुलाई को कलकत्ता हाईकोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा है कि वह 22 जुलाई को मामले की सुनवाई करेगा.

क़रीब 2.20 मिनट लंबी यह क्लिप इसी पृष्ठभूमि में वायरल हो रही है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि यह कोलकाता के एक गांव में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा दिखाती है.

वायरल क्लिप में ज़ी न्यूज़ की एक रिपोर्ट दिखाई दे रही है जिसमें एंकर सुधीर चौधरी स्पष्ट रूप से कहते हैं कि यह घटना रखाइन के मौंगडॉ जिले की है जहाँ रोहिंग्या मुसलमानों की संख्या हिंदुओं से अधिक है. वीडियो अगस्त 2017 में अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (ARSA) से संबंधित रोहिंग्या आतंकवादियों द्वारा मारे गए लोगों के परिवार के सदस्यों से बात करते हुए एक समाचार रिपोर्टर को दिखाती है.

ट्विटर पर वीडियो शेयर करते हुए एक यूज़र ने लिखा, "कलकत्ता के एक छोटे गांव से एक हजार हिन्दू आदमी छोटे बच्चे तथा बड़े मिला कर गायब हो गए हैं 45 शव बरामद किए हैं रोहिंग्या मुसलमानों ने हिंदूओं का कत्ल कर दिया जी न्यूज की खबर सुने प्लीज रिट्वीट जरूर जरूर करें जिससे यह खबर शासन प्रशासन तक पहुंचे."

ट्वीट का आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

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फ़ेसबुक पर वायरल वीडियो क्लिप इसी दावे के साथ ख़ूब शेयर की जा रही है.


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 फ़ैक्ट चेक 

बूम ने वीडियो को ध्यान से देखा और न्यूज़ एंकर को रखाइन प्रांत के नाम का उल्लेख करते हुए पाया. हमने ज़ी न्यूज़ के यूट्यूब चैनल पर एक कीवर्ड सर्च किया और हमें अगस्त 2017 में अपलोड किए गए उसी वीडियो का एक लंबा वर्ज़न मिला.

वीडियो के शीर्षक में लिखा है, 'म्यांमार के रखाइन प्रांत में हिंदुओं की सामूहिक हत्या पर डीएनए विश्लेषण'. रिपोर्ट में अराकान रोहिंग्या साल्वेशन आर्मी (एआरएसए) द्वारा म्यांमार के रखाइन प्रांत में हिंदू नागरिकों के 2017 के नरसंहार को कवर किया गया है.

टाइमस्टैम्प 2.58 और 5.15 के बीच के हिस्से को इस वीडियो से काटा गया है और अब फ़र्ज़ी कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है

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बूम ने घटना पर अधिक जानकारी के लिए इंटरनेट पर खोज की. इस दौरान हमें कई मीडिया रिपोर्ट्स मिलीं.

मई 2018 में प्रकाशित बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, एमनेस्टी इंटरनेशनल की एक जांच में दावा किया गया था कि परेशान करने वाली घटना 2017 के अगस्त की थी जब एआरएसए के सदस्यों ने म्यांमार के मोंगडॉ टाउनशिप में 99 हिंदू नागरिकों पर बेरहमी से हमला किया और उन्हें मार डाला था. बीबीसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एआरएसए ने हालांकि अपनी संलिप्तता से इंकार किया था.

बूम ने पहले भी कई फ़र्ज़ी ख़बरों का खंडन किया है जिसमें पुराने वीडियो और हिंसा की तस्वीरों को फ़र्ज़ी कैप्शन के साथ पश्चिम बंगाल से जोड़कर शेयर किया है.

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पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने 10 जून को अराजकता दिखाते वीडियो की एक श्रृंखला ट्वीट की थी और राज्य की पुलिस और गृह विभाग के हैंडल को टैग किया था.

हालांकि, ये वीडियो वायरल ज़ी न्यूज़ क्लिप से नहीं जुड़े हैं. धनखड़ द्वारा ट्वीट किए गए वीडियो को बूम स्वतंत्र रूप से सत्यापित नहीं कर सका.

नहीं, यह तस्वीर पश्चिम बंगाल में हिन्दुओं के ख़िलाफ़ हिंसा नहीं दिखाती

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