हाल ही में बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ने बल्ह (मंडी) में एक जनसभा को संबोधित करते हुए यह दावा किया कि महिला आरक्षण बिल की वजह से उन्हें हिमाचल प्रदेश के मंडी निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ने के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से टिकट मिला है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि यह दावा गलत है, क्योंकि महिला आरक्षण बिल अभी तक लागू नहीं हुआ है.
गौरतलब है कि 24 मार्च 2024 को भाजपा ने अभिनेत्री कंगना रनौत को लोकसभा चुनाव में बतौर उम्मीदवार हिमाचल प्रदेश के मंडी सीट से टिकट दिया. कंगना ने इसके बाद अपने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा, 'आज बीजेपी के राष्ट्रीय नेतृत्व ने मुझे मेरे जन्मस्थान हिमाचल प्रदेश, मंडी से अपना लोकसभा उम्मीदवार घोषित किया है, मैं आलाकमान के फैसले का पालन करती हूं.' साथ ही उन्होंने लिखा, 'मैं एक योग्य कार्यकर्ता और विश्वसनीय लोक सेवक बनने की आशा रखती हूं.'
हाल ही में मंडी के बल्ह गांव में जनसभा को संबोधित करते हुए कंगना ने बताया कि कैसे महिला आरक्षण बिल की वजह से उन्हें भाजपा का टिकट दिया गया. इस संबंध बोलते हुए उन्होंने कहा, 'महिला आरक्षण बिल, जिसके तहत 30 प्रतिशत महिलाओं को आरक्षण मिला है (लोकसभा में) उसके कारण मुझे यह स्टेज मिला है. आज उसके कारण आपकी मंडी की बेटी को यह स्टेज मिला है.'
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फैक्ट चेक
बूम ने पाया कि कंगना यह दावा झूठा है, महिला आरक्षण बिल अभी तक लागू नहीं किया गया है और कम से कम 2029 तक इसके लागू होने की संभावना भी नहीं है.
महिला आरक्षण बिल, जिसे नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से भी जाना जाता है. यह बिल लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने की गारंटी करता है. यह बिल पहली बार संसद में पेश किए जाने के 27 साल बाद 20 सितंबर 2023 को लोकसभा में पारित किया गया था.
जिसके बाद 22 सितंबर को राज्यसभा ने भी इसे सर्वसम्मति से पारित कर दिया. दोनों सदनों में पारित होने के बाद बिल के लिए राष्ट्रपति की सहमति की भी आवश्यकता थी, जो 28 सितंबर को मिल गई थी. इसका अर्थ है कि इस बिल के कानून बनने की सभी आवश्यकताएं पूरी हो चुकी हैं.
हालांकि यह बिल जनगणना और परिसीमन की प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही लागू किया जाएगा. परिसीमन में लोकसभा और राज्य चुनावों के लिए देशभर में सीटों की संख्या के साथ-साथ निर्वाचन क्षेत्रों की सीमाओं का आंवटन शामिल है. यह परिसीमन 2026 के बाद जारी जनगणना के आधार पर होना है. केंद्र अभी तक COVID-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना को पूरा नहीं कर पाई है.
इसका मतलब यह है कि बिल परिसीमन की प्रक्रिया के बाद ही प्रभावी होगा, जो कि नवीनतम जनगणना के जारी होने के बाद शुरू होगा.
20 सितंबर 2023 को लोकसभा में बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि परिसीमन की प्रक्रिया 2024 के आम चुनावों के बाद ही आयोजित की जाएगी. और यह कम से कम 2029 तक चलेगी इसके बाद ही महिला आरक्षण बिल अमल में आएगा.
उस समय कई विपक्षी नेताओं ने महिला आरक्षण बिल को लागू करने के लिए इस्तेमाल की गई इस पद्धति पर आपत्ति जताई थी. आप नेता आतिशी ने कहा था, 'परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को क्यों शामिल किया गया है? इसका मतलब है कि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले महिला आरक्षण लागू नहीं किया जाएगा. हम मांग करते हैं कि परिसीमन और जनगणना के प्रावधानों को खत्म किया जाए और 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए महिला आरक्षण लागू किया जाए.'
इसके अलावा, द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) नेता कनिमोझी ने कहा था कि आरक्षण को 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए आसानी से बढ़ाया जा सकता है. 'यह दिखावा बंद करो. इस बिल को नारी शक्ति वंदन बिल कहा जाता है. हमें सलाम करना बंद करो. हम नहीं चाहते कि हमें सलाम किया जाए, किसी आसन पर बिठाया जाए या पूजा की जाए. हम समान रूप से सम्मान पाना चाहते हैं.'