सोशल मीडिया पर एक दावा काफ़ी वायरल हो रहा है जिसमें पीएम मोदी के विदेशी कूटनीति की तारीफ़ करते हुए यह कहा जा रहा है कि भारत के न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी ने ब्रिटेन के न्यायमूर्ति क्रिस्टोफर ग्रीनवुड को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के चुनाव में हरा दिया है. साथ ही वायरल दावे में यह भी कहा जा रहा है कि न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी के चुने जाने के बाद अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पद पर ब्रिटेन का 71 साल पुराना एकाधिकार भी ख़त्म हो गया है.
हालांकि बूम ने अपनी जांच में पाया कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश जैसा कोई पद नहीं होता है. बल्कि वहां तीन सालों के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष चुने जाते हैं. इसके अलावा हमने यह भी पाया कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष पद पर ब्रिटेन के अलावा कई देशों के अध्यक्ष भी चुने गए हैं.
बीते हफ़्ते वायरल रहीं पांच मुख्य फ़र्ज़ी ख़बरें
वायरल हो रहे दावे को फ़ेसबुक पर काफ़ी लंबे कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, जिसके एक पैरे में लिखा हुआ है, "विश्व पटल पर ब्रिटेन की हार यह एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे पीएम मोदीजी ने दुनिया भर में रिश्तों को विकसित किया है। न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में चुना गया है। भारत के न्यायमूर्ति दलवीर सिंह को 193 मतों में से 183 मत मिले (प्रत्येक देश से एक प्रतिनिधित्व) और उन्होंने ब्रिटेन के न्यायमूर्ति क्रिस्टोफर ग्रीनवुड को हराया। उन्होंने इस पद पर 71 साल पुराने ब्रिटिश एकाधिकार को तोड़ा।". इससे जुड़े कई पोस्ट्स में प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीर भी संलग्न है.
वायरल दावे वाले अन्य फ़ेसबुक पोस्ट्स आप यहां, यहां और यहां देख सकते हैं.
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल हो रहे दावे की पड़ताल के लिए सबसे पहले अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के वेबसाइट को खंगाला. वेबसाइट पर मौजूद जानकारी से हमें यह पता चला कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में कुल 15 सदस्य जज होते हैं, जो अलग अलग देशों से चुने जाते हैं.
इसी दौरान हमें यह भी पता चला कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश नाम का कोई पद नहीं होता है. बल्कि अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के आर्टिकल 21 के अनुसार 3 साल के लिए अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का चुनाव किया जाता है.
वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष पद का दायित्व अमेरिका की जोन ई. डोनोग्यू के पास है. वहीं रूस के किरिल गेवोर्गियन अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के उपाध्यक्ष हैं.
अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के वेबसाइट पर ही मौजूद वर्तमान न्यायाधीशों की लिस्ट में हमें भारतीय न्यायाधीश दलवीर भंडारी का नाम भी मिला. वेबसाइट पर उनका प्रोफाइल भी मौजूद था. प्रोफाइल के अनुसार जस्टिस दलवीर भंडारी 27 अप्रैल 2012 से ही अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के सदस्य जज हैं और उन्हें 6 फ़रवरी 2018 को 9 वर्ष के लिए पुनः इस न्यायालय का सदस्य चुना गया था.
हमारी अभी तक की जांच में यह स्पष्ट हो गया था कि जस्टिस दलवीर भंडारी अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के 15 सदस्यीय जजों में शामिल हैं लेकिन वे अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष नहीं है.
इसके बाद हमने यह पता लगाने की भी कोशिश की, कि क्या अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष पद पर हमेशा ब्रिटिश का ही अधिकार रहा है. जांच के दौरान हमने पाया कि ब्रिटेन के अलावा भी कई देशों के न्यायाधीश इस पद पर काबिज हुए हैं. 1985 से लेकर 1988 तक भारत के न्यायाधीश नागेंद्र सिंह अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष थे. इसके अलावा फ़्रांस, अमेरिका समेत कई देशों के न्यायाधीश अध्यक्ष पद के लिए चुने गए हैं. 1946 से लेकर अबतक सिर्फ़ 4 ब्रिटिश जज ही अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अध्यक्ष पद पर चुने गए हैं.
आप बूम के द्वारा तैयार किए गए टेम्पलेट की मदद से अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय के अबतक के अध्यक्ष और उनके देशों के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
इस दौरान हमें जस्टिस दलवीर भंडारी के दोबारा से अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश निवार्चित होने से जुड़ी कई न्यूज़ रिपोर्ट भी मिली. इसके अलावा हमें विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर भी मौजूद रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट के अनुसार इस चुनाव में जस्टिस दलवीर भंडारी और ब्रिटेन के जस्टिस क्रिस्टोफर ग्रीनवुड आमने सामने थे. दलवीर भंडारी को सुरक्षा परिषद् के सभी 15 वोट और संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 में से 183 वोट प्राप्त हुए थे.
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