बीते 9 नवंबर को उत्तराखंड स्थापना दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्य के दौरे पर थे. इसी बीच सोशल मीडिया पर देवभूमि विश्वविद्यालय (डीबीयूयू) के नाम पर एक फर्जी लेटर वायरल हो रहा है.
देवभूमि विश्वविद्यालय के लेटरहेड वाली इस कथित नोटिस में छात्रों को 9 नवंबर 2025 को फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट (एफआरआई) में प्रधानमंत्री मोदी के साथ होने वाले संवाद कार्यक्रम में शामिल होने के लिए कहा गया, साथ ही दावा किया गया कि कार्यक्रम में उपस्थिति को भारतीय ज्ञान परंपरा पाठ्यक्रम के अंतर्गत माना जाएगा और प्रतिभागियों को 50 अंक दिए जाएंगे.
बूम ने फैक्ट चेक में पाया कि देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय की तरफ से इस तरह की कोई नोटिस जारी नहीं की गई थी. विश्वविद्यालय ने अपने सोशल मीडिया पर इसका खंडन करते हुए बताया कि विश्वविद्यालय के नाम से फर्जी नोटिस प्रसारित किया गया है.
गौरतलब है कि 9 नवंबर को उत्तराखंड स्थापना दिवस की रजत जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने एफआरआई मैदान में आयोजित समारोह में हिस्सा लिया, जहां उन्होंने राज्य के लिए 8140 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया.
सोशल मीडिया पर क्या है वायरल?
एक्स और फेसबुक जैसे माध्यमों पर यह फर्जी लेटर वास्तविक बताकर बड़े पैमाने पर साझा किया जा रहा है. इसे शेयर करते हुए यूजर्स दावा कर रहे हैं कि पीएम मोदी के कार्यक्रम में भीड़ जुटाने के लिए शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया जा रहा है और शिक्षण संस्थान बच्चों को परीक्षा में नंबर का लालच देकर उन्हें पीएम मोदी के कार्यक्रम में जाने को कह रहे हैं. (आर्काइव लिंक)
इस नोटिस को जाने-माने वकील प्रशांत भूषण ने भी शेयर किया है. नोटिस के नीचे बीसीए विभागाध्यक्ष रोहित गोयल और प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर गोविंद सिंह पंवार का नाम मेंशन है.
पड़ताल में क्या मिला:
नोटिस पर नहीं है कोई आधिकारिक हस्ताक्षर या मुहर
गौर से देखने पर हमने पाया कि वायरल नोटिस पर कोई आधिकारिक हस्ताक्षर या मुहर नहीं है, जैसा कि आमतौर पर आधिकारिक दस्तावेजों में होता है.
वहीं देवभूमि विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर उपलब्ध कुछ आधिकारिक नोटिस की जांच करने पर हमने देखा कि इनमें अधिकृत हस्ताक्षर, तारीख और आधिकारिक मुहर स्पष्ट रूप से अंकित हैं.
विश्वविद्यालय ने किया इसका खंडन
आगे हमें देवभूमि विश्वविद्यालय के फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स अकाउंट पर इस नोटिस का आधिकारिक खंडन मिला, जिसमें उन्होंने बताया कि एफआरआई के दौरे को लेकर अंकों के संबंध में डीबीयूयू के नाम से फर्जी नोटिस प्रसारित किया गया है.
उन्होंने लिखा, "हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह नोटिस पूरी तरह से झूठी है और विश्वविद्यालय द्वारा जारी या अनुमोदित नहीं है."
हमें वायरल पोस्ट के कमेंट सेक्शन में संस्थान की ओर से इस संबंध में प्रेमनगर थाने को लिखी गई शिकायत की कॉपी भी मिली. इसमें कहा गया कि विश्वविद्यालय के नाम से फर्जी लेटर के जरिए भ्रामक जानकारी फैलाई जा रही है, जिसमें छात्रों को एफआरआई विजिट करने पर 50 नंबर देने की बात कही गई है.
आगे थानाध्यक्ष से उचित कार्रवाई की मांग करते हुए इसमें कहा गया कि इस तरह की कोई नोटिस संस्थान द्वारा जारी नहीं की गई है.
विश्वविद्यालय ने बूम से क्या बताया
बूम ने पुष्टि के लिए विश्वविद्यालय से संपर्क किया. विश्वविद्यालय की सीनियर काउंसलर सुगंधा मेहरोत्रा ने बूम को बताया कि "यह नोटिस फर्जी है, अगर आप देखें तो इमसें कोई साइनबोर्ड नहीं है. हमने इसके बारे में एक नोटिस जारी कर दिया है. हमारे यहां इस तरह का कोई कोर्स नहीं है."
विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार शुभाशीष गोस्वामी ने भी इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में बताया कि विभाग की ओर से ऐसी कोई नोटिस जारी नहीं की गई थी. उन्होंने कहा, "हमें सरकार की ओर से एक पत्र मिला था जिसमें राज्य के सभी विश्वविद्यालयों से 2000 छात्रों की उपस्थिति की मांग की गई थी. हमने 1000 छात्रों को भेजने का फैसला किया, जिन्होंने स्वेच्छा से इसमें भाग लिया."


