सोशल मीडिया पर नॉर्थ ईस्ट दिल्ली से भाजपा उम्मीदवार मनोज तिवारी का एक वीडियो वायरल है, जिसके साथ दावा किया जा रहा है कि उन्होंने लोकसभा चुनाव के मतदान से पहले ही अपनी हार स्वीकार ली है.
बूम ने पाया कि यह दावा भ्रामक है. वायरल वीडियो को मूल संदर्भ से काटकर शेयर किया जा रहा है. पूरे वीडियो में मनोज तिवारी 2009 में गोरखपुर लोकसभा सीट से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने की कहानी बताते हुए कह रहे थे कि उन्हें हार का आभास हो गया था. 2009 में मनोज तिवारी समाजवादी पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ रहे थे.
इस 11 सेकंड के वायरल वीडियो में मनोज तिवारी कहते नजर आ रहे हैं, "मुझे अपनी हार का आभास तो हो गया. दुख ये होता है कि मैं बहुत दिनों से जीतता-जीतता जा रहा था और अब ये हार आ गई," साथ ही वीडियो में 'मनोज तिवारी ने मान ली अपनी हार' भी लिखा देखा जा सकता है.
इस एडिटेड वीडियो को शेयर करते हुए एक्स पर एक यूजर ने लिखा, 'रिंकिया के पापा ने तो अपनी हार मान ली है. अब इनके समर्थकों को शांत बैठकर इनके गाने सुनने चाहिए.'
पोस्ट का आर्काइव लिंक.
फैक्ट चेक
वायरल वीडियो में न्यूज आउटलेट Jist का लोगो था. वायरल दावे की पड़ताल के लिए हम Jist के आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर गए. वहां हमें 31 मार्च 2024 का अपलोड किया हुआ मूल वीडियो मिला.
एक घंटे 10 मिनट के इस मूल वीडियो में 27 मिनट के बाद पत्रकार उनसे गोरखपुर सीट से योगी आदित्यनाथ के खिलाफ चुनाव लड़ने का किस्सा पूछते हैं. मनोज तिवारी इसे अपने जीवन का इंटरेस्टिंग चैप्टर बताते हुए कहते हैं, "अमर सिंह जी ने मुझे इसके लिए अप्रोच किया था. 2009 के चुनाव के पहले अमिताभ बच्चन के घर पर इसके लिए मीटिंग हुई, जिसमें अनिल अंबानी भी मौजूद थे. मैं चुनाव लड़ना नहीं चाहता था लेकिन दृढ़ता से ना नहीं कर पाया."
इस बातचीत में मनोज तिवारी यह भी बताते हैं कि वह चुनाव इसलिए भी नहीं लड़ना चाहते थे क्योंकि वह योगी आदित्यनाथ के समर्थक थे साथ ही अपने छात्र जीवन में वह एबीवीपी के कार्यकर्ता भी रहे थे.
इस पूरे वाकये को बताने के क्रम में वीडियो के 34 मिनट पर मनोज तिवारी कहते हैं, "जैसे ही चुनाव खत्म हुआ. हमको अपनी हार का आभास हो गया था. लेकिन दुख ये होता है कि मैं बहुत दिनों से जीतता-जीतता जा रहा था, और अब ये हार आ गई."
पूरे वीडियो को देखने से यह स्पष्ट है वायरल वीडियो अधूरा ही नहीं है बल्कि उसमें कुछ कट भी हैं, जहां मनोज तिवारी की बातचीत में कहे गए 'था' को भ्रामक दावा करने के उद्देश्य से काट दिया गया है. वह मौजूदा लोकसभा चुनाव के संदर्भ में नहीं बल्कि 2009 में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ लड़े गए चुनाव के संदर्भ में हार का जिक्र कर रहे थे.
पुष्टि के लिए हमने इंटरव्यू ले रहे पत्रकार अनिल शारदा से भी संपर्क किया. उन्होंने बूम को बताया कि "2009 में योगी आदित्यनाथ के खिलाफ सपा से लड़ने के संदर्भ में चर्चा हो रही थी तो उन्होंने कहा था कि मुझे अपनी हार का आभास हो गया था."
असल में साल 2009 में मनोज तिवारी समाजवादी पार्टी के टिकट पर गोरखपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे. इस दौरान वह भाजपा के उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ से चुनाव हार गए थे. 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मनोज तिवारी ने भाजपा का दामन थाम लिया था.