प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के नाम का इस्तेमाल कर फ़र्ज़ी न्यूज़पेपर क्लिपिंग वायरल है | दो लेख हैं | एक की हैडिंग है, "कभी नहीं बनेगा राम मंदिर: अमित शाह" वहीँ एक दूसरा लेख है जिसकी हैडिंग में लिखा है, "हिन्दुओ का भरोसा जितने के लिए मुस्लिमों किसानों को मरवाना जरुरी था: नरेंद्र मोदी" |
बूम ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह समाचार नरेंद्र मोदी और अमित शाह से सम्बंधित नहीं था और ना ही दोनों नेताओं ने ये बयान दिए हैं | यही क्लिपिंग पहले अखिलेश यादव का नाम इस्तेमाल कर शेयर की गयी थी |
क्या ये अटल बिहारी वाजपेयी के बचपन की तस्वीर है?
यह खबर तब वायरल है जब भारत में हज़ारों की संख्या में किसान केंद्र सरकार का विरोध कर रहे हैं | यह विरोध चार महीनों से जारी है जबसे तीन कृषि कानून पारित हुए हैं | हज़ारों की संख्या में पंजाब के किसान दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन तो कर ही रहे हैं, सैकड़ों भारत के अन्य कोनो में प्रदर्शन का समर्थन कर रहे हैं |
एक अख़बार की क्लिपिंग में दो लेख प्रकाशित हैं | इन लेखों की हैडिंग को एडिट कर नरेंद्र मोदी और अमित शाह के नाम और फ़र्ज़ी बयान जोड़े गए हैं | इसे फ़ेसबुक पर शेयर किया जा रहा है |
ऐसे ही कुछ पोस्ट नीचे देखें और इनके आर्काइव्ड यहां और यहां देखें |
गुलबर्गा से पुराना राम नवमी रैली का वीडियो साम्प्रदायिक दावों के साथ वायरल
फ़ैक्ट चेक
बूम ने वायरल फ़ोटो में दिख रहे दोनों लेखों की हैडिंग पढ़ी जिसमें हिंदी ठीक से नहीं लिखी गयी है | इसके बाद हमनें तस्वीर को रिवर्स इमेज सर्च पर डाला और बीबीसी हिंदी की 28 नवंबर 2018 को प्रकाशित एक लेख तक पहुंचे | इस लेख में वर्तमान में वायरल तस्वीर और इसी तर्ज़ पर अखिलेश यादव एवं मुलायम सिंह के नाम पर पहले वायरल क्लिपिंग का उल्लेख था |
इस लेख में इस्तेमाल एक अन्य फ़र्ज़ी फ़ोटो में बाक़ी सबहैडिंग साफ़ नज़र आती हैं | छेड़छाड़ केवल हैडिंग और तस्वीर के साथ की गयी है बाक़ी सबहैडिंग वास्तविक लेख की ही हैं और यह दोनों - नरेंद्र मोदी/अमित शाह और अखिलेश यादव/मुलायम सिंह - मामलों में समान हैं| सब हैडिंग पढ़ें तो ऊपर वाले लेख में लिखा है: 'संतो को मोहरा बना रही है भाजपा: सपा' | वहीं उसी लेख में नीचे दिखता है: 'अयोध्या यात्रा को लेकर प्रशासन चौकन्ना' | इसी फ़ोटो में नीचे वाली खबर में एक सब हैडिंग कुछ यूँ है: 'न्यूज़ चैनल झूठे, प्रिंट मीडिया ठीक |'
इसके बाद हमनें इन्हीं सबहैडिंग के साथ खोज की और पहली खबर के बारे में अगस्त 2013 में प्रकाशित दैनिक जागरण का एक लेख पाया | इस लेख में समान सब हैडिंग थी परन्तु कहीं भी अमित शाह का नाम और वायरल बयान नहीं था |
दूसरी खबर के लिए भी हमनें सबहैडिंग के साथ खोज की | हमनें '2013 में अफ़सोस और खेद के बाद फिर तेवर किए तल्ख' कीवर्ड्स को गूगल पर डाला और खोज बिन की तो अमर उजाला का 7 फ़रवरी 2014 को प्रकाशित एक लेख मिला जिसकी हैडिंग थी: "'गोली नहीं चलवाता तो मुसलिमों का भरोसा टूट जाता'" यह मुलायम सिंह का बयान था |
इसी लेख में वायरल तस्वीर में दिखाई दे रही सब हैडिंग के सन्दर्भ में भी लिखा है |