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फैक्ट चेक

अल्जीरियाई राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन का वीडियो फ़्रांस हिंसा से जोड़कर वायरल

बूम ने पाया कि वीडियो 2019 का है जब फ्रांस में अल्जीरियाई प्रवासियों ने अल्जीरिया के राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बुउटफ़्लिका के पांचवें कार्यकाल के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया था.

By - Hazel Gandhi | 6 July 2023 1:51 PM GMT

सोशल मीडिया पर फ़्रांस की राजधानी पेरिस में स्थित प्लेस डे ला रिपब्लिक पर अफ़्रीकी देश अल्जीरिया के झंडे के साथ प्रदर्शन कर रहे लोगों का एक वीडियो काफ़ी वायरल हो रहा है. वीडियो को फ़्रांस में हाल ही में हुए हिंसक प्रदर्शन का बताकर शेयर किया जा रहा है.

हालांकि, बूम ने अपनी जांच में पाया कि यह वीडियो साल 2019 में फ्रेंच-अल्जीरियन व्यक्तियों द्वारा अल्जीरिया के पूर्व राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बुउटफ़्लिका के खिलाफ़ हुए प्रदर्शन का है.

बीते मंगलवार को पेरिस में पुलिस ने ट्रैफिक चेक पर नहीं रूकने के कारण अलजीरियाई मूल के 17 वर्षीय युवक नाहेल एम को गोली मार दी थी. गोली लगने की वजह से नाहेल एम की मौत हो गई और उसके बाद फ़्रांस के कई शहरों में हिंसा भड़क उठी. घटना के क़रीब एक हफ़्ता बीतने के बाद भी फ़्रांस में हालात स्थिर नहीं हैं. हालात क़ाबू करने के लिए देशभर में क़रीब 45 हजार से ज़्यादा पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं.

वीडियो में प्रदर्शनकारियों को पेरिस के सेंट्रल डे ला रिपब्लिक में इकट्ठा होते और अल्जीरियाई झंडे लिए हुए दिखाया गया है.

कई दक्षिणपंथी वेरिफ़ाईड ट्विटर यूज़र्स ने 8 सेकेंड के वीडियो को हालिया हिंसक प्रदर्शन से जोड़कर शेयर किया है.

दक्षिणपंथी मेजर सुरेंद्र पूनिया ने अपने वेरिफ़ाईड ट्विटर अकाउंट से इस वीडियो को अंग्रेज़ी और हिंदी मिश्रित कैप्शन के साथ शेयर किया है, जिसमें लिखा हुआ है “यह पेरिस का रिपब्लिक स्क्वायर है, रिफ्यूजियों ने फ्रेंच समाज को बर्बाद कर दिया और फ़्रांस ने अपने घुटने टेक दिए हैं. हिन्दुस्तानी भाई-बहनों, आप एक ना रहे तो यहाँ भी ऐसा ही होगा !”.



ट्वीट यहां और आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

वहीं अभिषेक कुमार कुशवाहा नाम के वेरिफ़ाईड ट्विटर यूजर ने भी इस वीडियो को भी शेयर करते हुए लिखा है, “देखिए फ़्रांस में “विशेष समुदाय” के लोगों ने क्या कर दिया है। हिंदूस्थान के हिंदू तुम भी संभल जाओ और एक हो जाओ वरना कल को यहाँ भी ऐसे ही कोई क़ब्ज़ा कर लेगा.”



ट्वीट यहां और आर्काइव वर्ज़न यहां देखें.

इसी तरह के वायरल दावे वाले कैप्शन के साथ इस वीडियो को फ़ेसबुक पर भी शेयर किया गया है. 


पोस्ट यहां देखें. अन्य पोस्ट यहां देखें.

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फ़ैक्ट चेक 

बूम ने वायरल वीडियो की पड़ताल के लिए उसके कीफ़्रेम की मदद से रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें vox.com की वेबसाइट पर 11 मार्च 2019 को प्रकाशित रिपोर्ट मिली. इस रिपोर्ट में वायरल वीडियो से जुड़े दृश्य कवर इमेज के रूप में मौजूद थे.



रिपोर्ट के अनुसार, फ्रेंच अल्जीरियन लोगों ने अल्जीरिया के पूर्व राष्ट्रपति अब्देलअज़ीज़ बुउटफ़्लिका को पांचवी बार राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने पर 10 मार्च 2019 को पेरिस के प्लेस डे ला रिपब्लिक पर विरोध प्रदर्शन किया था.

हमें जांच केर दौरान ही फ़्रांस 24 की वेबसाइट 10 मार्च 2019 में प्रकाशित रिपोर्ट मिली. रिपोर्ट में मौजूद वीडियो में फ़्रांस के अलग अलग शहरों में अब्देलअज़ीज़ बुउटफ़्लिका के दृश्य मौजूद थे. इसमें प्लेस डे ला रिपब्लिक पर हुए प्रदर्शन को भी देखा जा सकता है.



इसी दौरान कीवर्ड सर्च की मदद से हमें फ़्रांस 24 की पत्रकार सेलिना सिक्स द्वारा 10 मार्च 2019 को किया गया एक ट्वीट मिला. इस ट्वीट में उन्होंने वायरल वीडियो से काफ़ी मिलता जुलता वीडियो शेयर किया था, जिसका कैप्शन था - “फ्रेंच-अल्जीरियाई और फ़्रांस में रहे अल्जीरियाई लोग पांचवी बार राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनने अब्देलअज़ीज़ बुउटफ़्लिका के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. पेरिस स्थित प्लेस डे ला रिपब्लिक अल्जीरिया के झंडों और स्वतंत्र और लोकतांत्रिक अल्जीरिया की मांग वाले बैनरों से भर गया है."


आप दोनों वीडियो के बीच की समानता को नीचे मौजूद तस्वीर से समझ सकते हैं.



अब्देलअज़ीज़ बुउटफ़्लिका साल 1999 में अल्जीरिया के राष्ट्रपति बने थे. इसके बाद उन्होंने लगातार 20 सालों तक अल्जीरिया की सत्ता संभाली. हालांकि, साल 2013 में दिल का दौरा पड़ने के बाद से वे व्हीलचेयर पर ही रहे और सार्वजनिक कार्यक्रम में भी कम ही दिखे. इसके बावजूद वे राष्ट्रपति बने रहे.

हालांकि, चौथे कार्यकाल से पहले उन्होंने पांचवी बार चुनाव नहीं लड़ने का वादा किया था लेकिन इसके बाद बावजूद उन्हें पांचवी बार राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बना दिया गया. इस निर्णय के ख़िलाफ़ देश और देश के बाहर व्यापक प्रदर्शन हुए. अब्देलअज़ीज़ बुउटफ़्लिका के ख़िलाफ़ प्रदर्शन फ़्रांस में भी हुए, जहां करीब 7 लाख 60 हजार अल्जीरियाई रहते हैं.

प्रदर्शनकारियों का आरोप था कि बुउटफ़्लिका को शक्तिशाली नागरिकों और सैन्य हस्तियों सहित अल्जीरिया के अभिजात वर्ग के लिए कठपुतली उम्मीदवार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा था.इन प्रदर्शनों के बाद आख़िरकार 2 अप्रैल 2019 को उन्होंने अपना इस्तीफ़ा दे दिया था.

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