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मदरसों के बारे में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का फ़र्ज़ी बयान वायरल

बूम को अब्दुल कलाम इंटरनेशनल फ़ाउंडेशन के को-फ़ाइंडर शेख़ सलीम ने बताया कि ये बयान बिल्कुल फ़र्ज़ी है

By - Devesh Mishra | 12 Oct 2021 6:29 PM IST

मदरसों के बारे में पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का फ़र्ज़ी बयान वायरल

भारत के पूर्व राष्ट्रपति और वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम (APJ Abdul Kalam) की एक तस्वीर के साथ एक बयान सोशल मीडिया पर viral है. इस बयान को शेयर कर कहा जा रहा है कि अब्दुल कलाम मदरसों के बारे में कुछ इस तरह की सोच रखते थे.

वायरल पोस्ट में एक न्यूज़ पेपर क्लिप को शेयर किया गया है जिसमे कलाम की तस्वीर है और साथ में एक बयान है जो कहता है 'मुसलमान पैदाइशी आतंकवादी नहीं होते. उन्हें मदरसों में क़ुरान पढ़ाई जाती है, जिसके अनुसार वे हिंदू, बौद्ध, सिक्ख, ईसाई, यहूदी और अन्य ग़ैर मुस्लिमों को चुन चुनकर मारते हैं. आतंकवाद पर नियंत्रण के लिये भारत में चल रहे हज़ारों मदरसों पर प्रतिबंध लगाना बेहद ज़रूरी है'.

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एक यूज़र ने इसे फ़ेसबुक पर शेयर करते हुए लिखा 'एक अनमोल पेपर कटिंग जिसे लोगों ने महत्व नहीं दिया'.

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फ़ेसबुक पर ये तस्वीर इसी दावे के साथ बहुत ज़्यादा वायरल हो रही है.


ट्विटर पर भी कुछ यूज़र्स ने इसे इसी कैप्शन के साथ शेयर किया है

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सोशल मीडिया पर यह ट्रेंड बहुत ज़्यादा चल रहा है जिसके तहत किसी प्रसिद्द व्यक्ति की तस्वीर के साथ कुछ भी आपत्तिजनक या भ्रामक चीजें लिखकर उन्हें शेयर कर दिया जाता है और लोग यक़ीन कर लेते हैं, जैसा कि इस केस में भी है.

बूम ने पाया कि अब्दुल कलाम ने मदरसों से जुड़ा ऐसा कोई भी बयान कभी भी नहीं दिया है और न ही उन्होंने कभी किसी किताब, आर्टिकल या लेख में ही मदरसों से जुड़ी ऐसी कोई आपत्तिजनक बात लिखी है. हमें किसी भी न्यूज़ स्टोरी, आर्टिकल या किताब में कलाम का ऐसा कोई भी बयान नहीं मिला.

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इस वायरल बयान की पुष्टि के लिये बूम ने Dr. APJ Abdul Kalam International Foundation के को-फ़ाउंडर और कलाम के भतीजे APJ Sheik Saleem से बात की. उन्होंने बूम को बताया कि ये बयान सरासर फ़र्ज़ी है, अब्दुल कलाम ने कभी भी मदरसों से जुड़ी ऐसी कोई भी बात नहीं कही है.

शेख़ सलीम ने कहा कि अब्दुल कलाम की तस्वीर के साथ हमेशा ही ऐसे आपत्तिजनक बयान शेयर किये जाते रहते हैं. उन्होंने कहा कि लोगों को अब्दुल कलाम के बारे में पढ़ना चाहिये ताकि उन्हें सही जानकारी हो. उनके फ़ाउंडेशन ने अब्दुल कलाम के जीवन और विचारों पर शोधपूर्ण लेखन छापा है जो विश्वसनीय जानकारी उपलब्ध कराता है.

कहाँ से आया वायरल बयान?

Alt News की एक खबर में ये बताया गया है कि कलाम से जुड़ी इस बयान की सबसे पुरानी पोस्ट साल 2014 में मिली है. संजय तिवारी नाम के एक यूज़र के 2014 के एक ब्लॉग में ये पोस्ट मिला था. संजय खुद को उजाला न्यूज़ नेटवर्क का फ़ाउंडर बताते हैं.


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