HomeNo Image is Available
AuthorsNo Image is Available
CareersNo Image is Available
फ़ैक्ट चेकNo Image is Available
एक्सप्लेनर्सNo Image is Available
फ़ास्ट चेकNo Image is Available
अंतर्राष्ट्रीयNo Image is Available
वेब स्टोरीज़No Image is Available
राजनीतिNo Image is Available
लोकसभा चुनाव 2024No Image is Available
HomeNo Image is Available
AuthorsNo Image is Available
CareersNo Image is Available
फ़ैक्ट चेकNo Image is Available
एक्सप्लेनर्सNo Image is Available
फ़ास्ट चेकNo Image is Available
अंतर्राष्ट्रीयNo Image is Available
वेब स्टोरीज़No Image is Available
राजनीतिNo Image is Available
लोकसभा चुनाव 2024No Image is Available
रोज़मर्रा

केरल में एक नये प्रकार का मलेरिया मिला है, जानिए क्या है ये

मलेरिया फ़ैलाने वाली पाँच प्रजातियों में से एक प्लास्मोडियम ओवैल केरल में पाई गई है।

By - Anshita Bhatt | 12 Dec 2020 6:34 PM GMT

केरल के स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में एक नए प्रकार के मलेरिया (Malaria) का पता लगाया है। इस जींस का नाम 'प्लास्मोडियम ओवैल' (Plasmodium ovale) है। ये मलेरिया फ़ैलाने वाली पाँच प्रजातियों में से एक है।

केरल (Kerala) के स्वास्थ्य मंत्री (health minister) के. के. शैलेजा (K. K. Shailaja) ने 10 दिसंबर की रात को ट्वीट कर बताया कि 'प्लास्मोडियम ओवैल' जाति सूडान, अफ़्रीका से लौटे एक सैनिक में पाई गई थी। इस प्रजाति का पता तब चला जब उस सैनिक को इलाज के लिए कन्नूर के अस्पताल में भेजा गया। उन्होंने ये भी कहा कि समय पर उपचार और निवारक उपायों से इस बीमारी के प्रसार को रोका जा सकता है।

'प्लास्मोडियम ओवैल' क्या है? क्या है मलेरिया फ़ैलाने वाली ये पाँच प्रजातियां और यह एक दूसरे से कैसे है अलग? इसको संक्षिप्त रिपोर्ट में समझिये।

मलेरिया, प्लास्मोडियम नाम के एक परजीवी (parasite) से होता है। एक संक्रमित मादा एनोफ़िलीस मच्छर (female Anopheles mosquito) इस परजीवी को लोगों में फ़ैलाती है। इस परजीवी की पाँच प्रजातियां हैं। इनमें से प्लास्मोडियम फ़ाल्सीपेरम और प्लास्मोडियम वैवाक्स - इंसानों के लिए सबसे ख़तरनाक मानी जाती हैं।

प्लास्मोडियम फ़ाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum): यह प्रजाति अफ़्रीका, एशिया और ऑस्ट्रेलिया के अधिकतर मलेरिया के मामलों के लिए ज़िम्मेदार है।

प्लास्मोडियम वैवाक्स (Plasmodium vivax): यह प्रजाति अमेरिका और उसके आस पास के देशों के अधिकतर मलेरिया के मामलों के लिए ज़िम्मेदार है।

प्लास्मोडियम ओवैल: ये वो प्रजाति है जिसकी जाँच हाल में केरल में हुई है। मलेरिया फ़ैलाने वाली ये जाति अफ़्रीका में सहारा रेगिस्तान के दक्षिणी भाग में फ़ैली हुई है। पैसिफ़िक महासागर के पश्चिम भाग के कई द्वीपों से भी इस जाति के मिलने की सूचना है। प्लास्मोडियम ओवैल आम तौर पर गंभीर बीमारी का कारण नहीं बनते। लेकिन ये परजीवी कई महीनों तक लीवर में निष्क्रिय रह सकते हैं, जिसकी वजह से मलेरिया के लक्षण महीनों या सालों बाद वापस उभर कर सामने आ सकते हैं।

प्लास्मोडियम मलेरी (Plasmodium malariae) और प्लास्मोडियम नॉलेसी (Plasmodium knowlesi) दो अन्य मलेरिया की जातियाँ हैं।

2019 में, दुनिया भर में मलेरिया के लगभग 2290 लाख मामले दर्ज हुए थे। उसी साल में मलेरिया से लगभग 4,09,000 मौतें हुई थी।

मलेरिया के लक्षण, संक्रमित मच्छर के काटने के 10-15 दिन बाद दिखना शुरू होते हैं। शुरुआती लक्षणों में बुख़ार, सरदर्द और ठंड लगना। यदि 24 घंटों के भीतर इलाज नहीं किया जाता है, तो प्लास्मोडियम फ़ाल्सीपेरम से होने वाला मलेरिया गंभीर हो सकता है जिससे मौत भी हो सकती है।

अगर शुरुआत से मलेरिया का निदान और उपचार हो तो बीमारी फ़ैलने की संभावना कम होती है और इससे होने वाली मौतों को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

Related Stories