नवरात्रि का महीना चल रहा है और देश के कई हिस्सों में नवरात्रि के नौ दिन धूमधाम से मनाये जा रहे हैं. अश्विन(क्वार) महीने में पड़ने वाली इस नवरात्रि में धार्मिक मान्यताओं के अनुसार दुर्गा प्रतिमा बिठाने की परंपरा रही है. गाँवों और शहरों में हर जगह सामूहिक रूप से लोग दुर्गा प्रतिमा बिठाते हैं.
लेकिन दुर्गा पूजा का जो रंग बंगाल में देखने को मिलता है वो देश के किसी अन्य कोने में आपको नहीं मिलेगा. अलग अलग क्लब के अलग अलग दुर्गा पूजा पांडाल और उनकी भव्य सजावट बरबस ही मन मोह लेती है. यूँ तो बंगाल में दुर्गा पूजा पांडालों की थीम हर बार अलग अलग होती है, कभी फुटबाल ग्राउंड की तर्ज़ पर तो कभी बर्फ़ से लदे पहाड़, पत्थरों की गुफा या फिर बुर्ज ख़लीफ़ा इमारत की शक्ल में भी पांडाल बने हैं.
इस बार कोलकाता स्थित दमदम पार्क के भारत चक्र क्लब की पांडाल थीम इस बार लोगों को आकर्षण का केंद्र है. भारत चक्र क्लब के पांडाल की थीम किसान आंदोलन को समर्पित है. किसानों की समस्या और उनके संघर्षों पर आधारित इस पांडाल में किसान आंदोलन की कई भिन्न भिन्न तस्वीरों को उकेरा गया है.
किसान आन्दोलन को समर्पित पांडाल के मैनेजर प्रतीक चौधरी हैं. बूम ने भारत चक्र क्लब और पांडाल के मैनेजर प्रतीक चौधरी से बात की. उन्होंने कहा कि "इस पांडाल को बनाने के पीछे कोई राजनीतिक मक़सद नहीं बल्कि बंगाल, तेभागा, तेलंगाना सहित हाल में चल रहे किसानों के आन्दोलन और उनके संघर्ष को दिखाना हमारा मक़सद है."
प्रतीक ने बताया कि उन्होंने और उनकी टीम के कलाकारों ने सोचा था कि इस बार किसान आंदोलन सिर्फ़ देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में चर्चा का विषय है इसलिये इस बार पांडाल की थीम किसान आंदोलन पर ही होनी चाहिये.
पांडाल की ऊँचाई लगभग 160 फ़ीट है जिसमें दुर्गा की प्रतिमा को अन्न की देवी लक्ष्मी के तौर पर प्रस्तुत किया गया है. पांडाल की बनावट कुछ ऐसी है जिसमें धान बोये हुए खेत, खेतों में काम कर रहे किसानों का सुंदर चित्रण किया गया है. गेट से घुसते ही बायें तरफ़ क्रांतिकारी नारों की कई तस्वीरें लगी हैं जबकि दायें तरफ़ किसानों के जूते चप्पलों के बिना पैरों में छालों की तस्वीर को लगाकर प्रतिरोध दर्ज किया गया है.
बुर्ज ख़लीफ़ा की तर्ज़ पर पांडाल
इस बार कोलकाता में दुबई की मशहूर 154 मंज़िला इमारत बुर्ज ख़लीफ़ा की तर्ज़ पर एक दुर्गा पूजा पांडाल बनाया गया था. ये पांडाल श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब द्वारा बनाया गया है. लगभग 145 फ़ीट लंबे और 300 से भी अधिक लाइटों वाले इस पांडाल की रोशनी देखते ही बनती है.
पांडाल में शुरुआती दिनों में लेजर लाइट शो का भी आयोजन किया जाता था लेकिन ज़्यादा ऊँचाई होने के कारण हवाई यातायात में पायलटों को होने वाली दिक़्क़त के कारण इसका लाइट शो बंद कर दिया गया. फ़िलहाल ये पांडाल आम लोगों के लिये बंद कर दिया गया है क्योंकि यहाँ इतनी ज़्यादा भीड़ होने लगी थी कि लोगों को सँभालना मुश्किल हो रहा था ऐसे में कोविड गाइडलाइन का हवाला देकर फ़िलहाल यहाँ आम लोगों के आगमन पर रोक है.
सोनू सूद के सेवा कार्य की दिखी झलक
कोलकाता के केस्तोपुर प्रफुल्ल कानन दुर्गा पूजा समिति द्वारा सोनू सूद के अच्छे कामों के लिए सम्मान देने के लिए बनाया गया है. इस पांडाल की मुख्य थीम महामारी के दौरान निर्वासित हुए लोगों का दर्द दिखाना है. साथ ही किस तरह सोनू सूद ने एक मसीहा की तरह लोगों की मदद की इसका एक सजीव चित्रण इस पांडाल में किया गया है. पांडाल में लगी मूर्तियों में सोनू लोगों को सामान बाँटते दिख रहे हैं.
अभिनेता सोनू सूद ने सुंदरबन के चक्रवात यास प्रभावित लोगों की मदद की थी. जिसका बाद सोनू सूद का आभार व्यक्त करने के लिए लोगों ने ऐसा किया है. सोनू सूद ने बाढ़ पीड़ितों की मदद करने के लिए पंडाल की थीम का वीडियो शेयर किया है. उसके कैप्शन में उन्होंने लिखा, "नवरात्रि की शुभकामनाएँ. मुझे अपने कॉलेज के दिनों में दुर्गा पूजा पंडालों का दौरा याद है. लंबी कतारों में घंटों इंतजार करना. आज मैं लगातार दूसरे वर्ष कोलकाता में एक दुर्गा पूजा पंडाल में खुद को देखकर नम्र महसूस कर रहा हूं. काश मैं जा पाता. इतने बड़े सम्मान के लिए धन्यवाद."
पुनर्जागरण को समर्पित लाइब्रेरी पांडाल
कोलकाता दर्शन और ज्ञान का शहर माना जाता है. भारत के प्रबुद्ध इतिहास में कोलकाता के पुनर्जागरण और उसके विचारों का अमूल्य योगदान है. रवीन्द्र नाथ टैगोर, राजा राम मोहन रॉय, दयानंद सरस्वती, विवेकानंद और ऐसे तमाम प्रबुद्ध लोग कोलकाता के पुनर्जागरण की पैदाइश हैं जिन्होंने हमारे देश की आधुनिक सामाजिक चेतना का निर्माण किया है.
बंगाल पुनर्जागरण के 200 साल पूरे होने पर Babubagan Sarabjanin Durgotsav Samiti ने इस बार साउथ कोलकाता स्थित दुर्गा पूजा पांडाल की थीम एक लाइब्रेरी की तरह रखी. इस लाइब्रेरी में पुनर्जागरण के महान व्यक्तित्व और उससे जुड़ी महत्वपूर्ण किताबें भी रखी गईं हैं. पांडाल का मुख्य उद्देश्य कोलकाता के समृद्ध इतिहास की महत्ता को बताना है.