हरिद्वार कुम्भ के लिए पुराणों में एक श्लोक लिखा गया है: "कुम्भ राशिगते जीवे यद्द्विनेशन मशगे रवौ। हरिद्वारे कृतसंसाननं पुनरावृत्तिवर्जनम्।"
अर्थात जब सूर्य मेष राशि में और बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं तब हरिद्वार में कुंभ मेले का आयोजन होता है.
यह हरिद्वार कुम्भ मेले (Haridwar Kumbh Mela) की हिन्दू धर्म में महत्वता को दर्शाता है. इससे हरिद्वार कुम्भ के होने की वजह भी पता चलती है. चार मुख्य कुम्भों में से एक, यह कुम्भ 11 मार्च 2021 को महाशिवरात्रि के दिन शुरू होने जा रहा है.
भारत में कोरोना महामारी (Novel Coronavirus Pandemic) के बीच पहली बार किसी धार्मिक आयोजन में लोगों का बड़ी संख्या में जमावड़ा होने जा रहा है. इसके लिए उत्तराखंड सरकार (Uttarakhand Government) और केंद्र सरकार ने मिलकर 'स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीज़र' (SOP) लागू किए हैं. इन आदेशों में वायरस (Virus) के संक्रमण को रोकने से लेकर वायरस ऑउटब्रेक (outbreak) को नियंत्रित करने तक की व्याख्या है. राज्य सरकार और केंद्र सरकार इस मेले के आयोजन में मिलकर काम करेंगी.
हरिद्वार कुम्भ मेला
हिन्दू धर्म में मान्यताओं के अनुसार 12 साल में चार मुख्य जगहों पर कुम्भ मेलों का आयोजन होता है. इन जगहों में हरिद्वार, उत्तराखंड, (Haridwar, Uttarakhand) गंगा नदी (Ganga river) के किनारे, उज्जैन, मध्य प्रदेश, (Ujjain Madhya Pradesh) शिप्रा नदी (Shipra river) के किनारे, नाशिक, महाराष्ट्र, (Nashik Maharashtra) गोदावरी नदी (Godavari river) के किनारे, और प्रयागराज (पूर्व में इलाहाबाद) (Prayagraj) गंगा के संगम पर.
हरिद्वार कुम्भ मेला 11 मार्च 2021 से 30 अप्रैल 2021 तक चलेगा. सरकार के आकलन के अनुसार एक सामान्य दिन पर करीब 10 लाख लोगों की भीड़ एवं शाही स्नान (Shahi Snan) या अन्य शुभ दिन पर 50 लाख लोगों के इकठ्ठा होने की संभावनाएं हैं.
हरिद्वार कुम्भ के चार मुख्य स्नान दिवस होंगे. इन्हें शाही स्नान भी कहा जाता है. यह दिन: 11 मार्च महाशिवरात्रि के दिन, 12 अप्रैल सोमवती अमावस्या के दिन, 14 अप्रैल मेष संक्रांति या बैसाखी के दिन और 27 अप्रैल चैत्र पूर्णिमा के दिन होंगे.
कोरोनावायरस महामारी सम्बंधित तैयारी
स्वास्थकर्मी और अन्य फ़्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण ज़रूरी
उत्तराखंड सरकार द्वारा जारी 'स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर' में साफ़ तौर पर बताया गया है कि स्वास्थकर्मी और अन्य फ़्रंटलाइन वर्कर्स का टीकाकरण प्राथमिकता होगी. उन्हें चल रहे कोविड-19 टीकाकरण अभियान में टीका करवाना ज़रूरी है. मेला स्थल पर केवल टीका करवा चुके कर्मी ही ड्यूटी कर सकते हैं.
श्रद्धालुओं के लिए RT-PCR टेस्ट की रिपोर्ट रखना ज़रूरी
श्रद्धालुओं को कुम्भ मेले में भाग लेने से पहले दो मुख्य काम करने होंगे.
पहले उत्तराखंड सरकार के कुम्भ मेला पंजीकरण पोर्टल पर पंजीकरण ज़रूरी है. आप यहां पंजीकरण कर सकते हैं.
दूसरा, कुम्भ मेले में भाग लेने वाले दिन से पिछले 72 घंटों में RT-PCR कोविड-19 टेस्ट का प्रमाणपत्र ज़रूरी होगा. उदाहरण के लिए: यदि आप 11 मार्च को कुम्भ मेले में प्रवेश करेंगे तो आपका RT-PCR टेस्ट तीन दिन और तीन रात पहले यानी 8 मार्च को किया जा चूका होना चाहिए. आपके पास इसका प्रमाणपत्र होना ज़रूरी है. बिना प्रमाणपत्र के कुम्भ मेले में प्रवेश नहीं दिया जाएगा.
यह टेस्ट आप अपने राज्य में किसी कोविड-19 टेस्टिंग केंद्र, मेडिकल कॉलेज या हॉस्पिटल में करवा सकते हैं.
उत्तरखंड सरकार ने यह भी उल्लेख किया है कि सारे राज्य उस जनसँख्या को जो कोविड-19 की चपेट में आने के लिए ज़्यादा नाज़ुक है (65 वर्ष से अधिक आयु वाले, बच्चे, गर्भवती महिलाएं और वे लोग जिन्हें पहले से कोई बिमारी है) कुम्भ मेले में भाग 'ना' लेने की सलाह देंगे.
कोविड-19 सम्बंधित एहतियात
जैसा की पिछले साल भर से भारत सरकार और अन्य राज्य सरकारें कहती आई है, सोशल डिस्टन्सिंग (Social Distancing) और मास्क (Face Mask) पहनना कुम्भ में भी अनिवार्य होगा. इसके अलावा हाथ धोना, छींकते या खांसते समय लोगों से दुरी और मुँह पर हाथ रखना ज़रूरी होगा.