भारत में किसी को बालिग कहे जाने की उम्र 18 साल है लेकिन शादी के मामले में लड़कों की न्यूनतम उम्र 21 साल और लड़कियों की उम्र 18 साल ही रखी गई थी. अब केंद्रीय कैबिनेट ने विवाह के लिए लड़कियों की उम्र भी 21 वर्ष किए जाने के विधेयक को मंज़ूरी दे दी है.
केंद्र सरकार ने ये एक बड़ा कदम उठाया है. जानिये इस फ़ैसले की महत्वपूर्ण बातें क्या हैं?
(1) केंद्रीय कैबिनेट ने लड़कियों की शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. यानी अब लड़कों की तरह ही लड़िकयों की शादी की आधिकारिक उम्र 21 साल होने जा रही है
(2) वर्तमान में देश में पुरुषों के लिए शादी की न्यूनतम उम्र 21 वर्ष है, जबकि महिलाओं के लिए 18 वर्ष है
(3) देश में विवाह की उम्र में ये बदलाव 43 साल बाद किया जा रहा है. इससे पहले 1978 में ये बदलाव किया गया था. तब 1929 के शारदा एक्ट में संशोधन किया गया और शादी की उम्र 15 से बढ़ाकर 18 वर्ष की गई थी
(4) लड़कियों के विवाह की न्यूनतम उम्र क्या होनी चाहिए, इस पर जया जेटली की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का गठन किया गया था
(5) 10 सदस्यों की टास्क फोर्स ने जाने-माने स्कॉलर्स, कानूनी विशेषज्ञों और नागरिक संगठनों के नेताओं से सलाह ली गई थी
(6) वेबिनार के जरिए देश की महिला प्रतिनिधियों से भी बातचीत की गई थी. इसी टास्क फोर्स ने दिसंबर 2020 में अपनी रिपोर्ट नीति आयोग को दी थी
(7) टास्क फोर्स का ही सुझाव था कि लड़कियों की शादी की उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए
(8) महिलाओं की शादी की उम्र बढ़ाने के लिए सरकार हिंदू मैरिज ऐक्ट, 1955 के सेक्शन 5, स्पेशल मैरिज ऐक्ट, 1954 और बाल विवाह निषेध ऐक्ट, 2006 में बदलाव करेगी
(9) इन तीनों क़ानूनों में ही सहमति से महिलाओं के लिए विवाह की न्यूनतम उम्र 18 वर्ष और पुरुषों के लिए 21 वर्ष होने का ज़िक्र है
(10) इस फैसले का उद्देश्य कम उम्र में शादी से मातृ मृत्यु दर के बढ़ने के खतरे को कम करना और महिलाओं के पोषण स्तर में सुधार करना भी है