एक विरला मगर गंभीर फंगल इन्फेक्शन (Fungal Infection) जिसे म्यूकोरमाइकोसिस (Mucormycosis) या ब्लैक फ़ंगस (Black Fungus) कहते हैं, कई राज्यों में कोविड-19 मरीज़ों में देखने को मिला है.
यह बिमारी अक्सर स्किन पर होती है पर इसे फेंफड़ों और दिमाग में भी पनपते पाया गया है. दिल्ली, महाराष्ट्र और गुजरात में कई म्यूकोरमाइकोसिस इन्फेक्शन के मामले सामने आने पर नेशनल कोविड-19 टास्क फ़ोर्स ने रविवार को एडवाइज़री जारी की है.
कैसे होता है यह संक्रमण?
हालांकि यह दुर्लभ है पर गंभीर है. यह वातावरण में प्राकृतिक रूप से मौजूद म्यूकोरमिसीट्स (mucormycetes) से होता है. अक्सर यह उन लोगों को प्रभावित करता है जो किसी तरह की स्वास्थ सम्बन्धी बीमारी या परेशानी से लड़ रहे हैं और मेडिकेशन पर हैं.
कोविड-19 टास्क फ़ोर्स के अनुसार यह कमज़ोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों को संक्रमित करता है. डायबिटीज मेलाइटस (diabetes mellitus), स्टेरॉयड पर रह रहे मरीज़ों, ICU में लम्बे समय तक रहे मरीज़ों, और ट्रांसप्लांट और अन्य बीमारियों से पीड़ित लोगों में इसकी संभावना अधिक है.
ऐसे मरीज़ों या व्यक्तियों के फेंफड़ों और साइनस (Lungs and Sinus) पर प्रभाव पड़ता है जब वो इन फंगल स्पोर्स (Fungal) को सांस के जरिये अंदर खिंच लेते हैं.
क्या है इलाज़?
विशेषज्ञों के मुताबिक़ धूल भरे इलाकों में मास्क, अच्छे जूते, फुल पेंट, पूरे ब्याह से शर्ट, ग्लव्स, और व्यक्तिगत सफ़ाई ज़रूरी है.
जबकि इसका इलाज़ एंटी-फंगल से किया जा सकता है पर गंभीर मामलों में सर्जरी की ज़रूरत होती है. डॉक्टर्स के कहना है कि डायबिटीज को कण्ट्रोल में रखें, स्टेरॉयड का इस्तेमाल और प्रतिरोधक क्षमता से छेड़छाड़ करने वाली दवाइयों को कम करें.