एक सुरक्षा अधिकारी की एक ग्रामीण पर बंदूक ताने फोटो तेजी से फैल रही है। यह फोटो मेरठ में 2013 में ली गई थी, जबकि इसी फोटो को हाल ही में दिल्ली में हुए किसानों के विरोध प्रदर्शन से जोड़कर फैलाया जा रहा है। यह तस्वीर 2 अक्टूबर को किसान के विरोध प्रदर्शन को दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए बल का उपयोग करते पुलिस की पृष्ठभूमि में साझा की जा रही है। भारतीय किसान संघ के नेतृत्व में हजारों किसानों ने गांधी जयंती पर दिल्ली किसान घाट पहुंचने के लिए हरिद्वार से राष्ट्रीय राजधानी तक 10 दिवसीय लंबा
मार्च का आयोजन किया था। हालांकि, पुलिस ने यूपी-दिल्ली सीमा पर उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने से रोकने के लिए मोर्चाबंदी की थी। जब किसानों ने बार्केड तोड़ने का प्रयास किया तो पुलिस ने उन पर आंसू गैस और पानी के गोले का भी इस्तेमाल किया। संघर्ष में पुलिसकर्मियों सहित लगभग 14 लोग घायल हो गए थे। किसानों के खिलाफ बल का उपयोग करने के लिए सरकार और पुलिस की भारी आलोचना की गई। बाद में उन्हें बुधवार को दिल्ली में प्रवेश करने की इजाजत दी गई थी।
दावा: "देखिए हाथों में ईंट के साथ किसान, बंदूकधारी पुलिस का सामना कर रहे हैं।"
रेटिंग: झूठ
तथ्य: मुजफ्फरनगर दंगों के बाद पुलिस बल और ग्रामीणों के बीच संघर्ष के दौरान उत्तर प्रदेश के मेरठ में खेरा से यह तस्वीर 2013 की है। लगभग 7.5 लाख फॉलोअर के साथ, फेसबुक पेज,
I am With Barkha Dutt ने इसी तस्वीर को कुछ ऐसे कैप्शन के साथ साझा किया है, एक बुजुर्ग अनदाता पर सीधे बंदूक तान देना कहां की शूरवीरता है साहेब ! क्या ये किसान अपराधी हैं या आतंकवादी ? डूब मरो तानाशाहों। इस कहानी को लिखने के समय इस पोस्ट क करीब 3,000 बार शेयर किया गया था।
Full View कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने भी इस तस्वीर को
ट्वीट किया। कृष्णन ने लिखा, “Look at the farmer with a brick in his hand, facing a cop with a gun”. यानी "देखिए हाथों में ईंट के साथ किसान, बंदूकधारी पुलिस का सामना कर रहे हैं।" उनके ट्वीट को लगभग 2000 बार रीट्वीट किया गया है। कृष्णन ने बाद में एक स्पष्टीकरण
ट्वीट किया।
तस्वीर की सच्चाई जानने के लिए बूम ने रिवर्स गूगल इमेज खोज किया। इस खोज में बूम को सितंबर 2013 से
इंडियन एक्सप्रेस का एक लेख मिला - Tense Meerut Erupts, six hurt in clash with police at banned mahapanchayat। मूल रूप से पीटीआई द्वारा तस्वीर को कैप्शन दिया गया, ”A security officer takes on a villager during the clash in Khera on Sunday ” यानी रविवार को खेरा में संघर्ष के दौरान सुरक्षा अधिकारी और किसान के बीच मुकाबला।“
हमें
द हिंदू में भी एक लेख मिला ( Jailed BJP MLA’s supporters unleash violence in UP village ) जिसमें इसी घटना की सूचना दी गई थी और यही तस्वीर भी प्रकाशित की गई थी। नीचे पीटीआई के गैलरी की तस्वीरें दी गई हैं।
यह घटना महापंचायत के स्थान पर हुई थी जो मुजफ्फरनगर के दंगों के बाद के बाद प्रशासन द्वारा प्रतिबंधित किया गया था। दंगों के सिलसिले में स्थानीय भाजपा विधायक संगीत सिंह सोम की गिरफ्तारी का विरोध करने के लिए ग्रामीण खेरा गांव में इकट्ठा हुए थे। पुलिस ने आंसू गैस का इस्तेमाल किया और ग्रामीणों पर गोलाबारी भी की थी।