एनडीटीवी के पूर्व प्रमोटर प्रणय रॉय के खिलाफ 2017 में हुई सीबीआई रेड को लेकर सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल है. इसमें दावा है कि सीबीआई ने खुलासा किया है कि प्रणय रॉय का असली नाम परवेज राजा है, उनका जन्मस्थान कराची है और एनडीटीवी का पूरा नाम 'नवाजुद्दीन तौफीक वेंचर' है.
बूम ने अपनी जांच में पाया कि यह दावे गलत हैं. सीबीआई द्वारा 2017 की गई रेड से संबंधित प्रेस नोट में प्रणय रॉय का पूरा नाम, उनके पिता का नाम या उनके जन्मस्थान का कोई उल्लेख नहीं किया गया था.
प्रणय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ 2017 का सीबीआई केस
गौरतलब है कि सीबीआई ने 1 अक्टूबर 2024 को एनडीटीवी के पूर्व प्रमोटर और निदेशक प्रणय रॉय और राधिका रॉय के खिलाफ धोखाधड़ी के आरोप वाले एक मामले में दिल्ली की एक अदालत में क्लोजर रिपोर्ट सौंपी थी. इस रिपोर्ट में बताया गया कि कानूनी रूप से स्वीकार्य सबूत अपर्याप्त थे. साल 2017 में छापेमारी का यह केस 2009 में एक लोन सेटलमेंट मामले में ICICI बैंक को हुए 48 करोड़ रुपये के नुकसान से संबंधित था.
सोशल मीडिया पर प्रणय रॉय को लेकर झूठा दावा
फेसबुक पर एक यूजर ने प्रणय रॉय और राधिका रॉय की तस्वीर के साथ एक पोस्ट शेयर की. इसमें लिखा गया, ‘सीबीआई ने एनडीटीवी के मालिक प्रणय राय पर छापा मारा और कई राज खोले. राय का जन्म प्रमाण पत्र मिल गया है और उसके अनुसार उनका असली नाम परवेज राजा है और उनका जन्म स्थान कराची है.
पोस्ट में आगे लिखा गया, ‘एक और गुप्त दस्तावेज के अनुसार, एनडीटीवी का पूरा नाम ‘नवाजुद्दीन तौफीक वेंचर’ (एनडीटीवी) है. यह प्रणय राय के पिता का नाम है. उनकी पत्नी राधिका का असली नाम ‘राहिला’ है. उनके बेडरूम में नरेंद्र मोदी के चेहरे पर निशाना साधा हुआ एक डार्ट बोर्ड मिला. अब समय आ गया है कि हर भारतीय अपनी आंखें खोले और पत्रकारों के मुखौटे में छिपे इन दो चेहरों की असली पहचान करे.'
हमें यह दावा बूम की टिपलाइन (+917700906588) पर भी प्राप्त हुआ.
फैक्ट चेक
बूम ने पाया कि प्रणय रॉय पर 2017 में की गई सीबीआई रेड से संबंधित सोशल मीडिया पर किए जा रहे दावे झूठे हैं.
बूम ने दावे की पड़ताल के लिए सीबीआई की आधिकारिक वेबसाइट देखी. वेबसाइट पर 6 जून 2017 को जारी की एक प्रेस रिलीज में प्रणय रॉय के घर पर की गई तलाशी का विवरण था.
हालांकि इस प्रेस रिलीज में वायरल पोस्ट में किए गए किसी भी दावे का उल्लेख नहीं किया गया है, जैसे कि प्रणय रॉय का असली नाम क्या है, उनके पिता का नाम क्या है, उनका जन्मस्थान क्या है या एनडीटीवी का पूरा नाम क्या है.
सीबीआई की प्रेस रिलीज में लिखा गया,
'कुछ मीडिया आउटलेट द्वारा और एनडीटीवी द्वारा जारी किए गए बयान में एनडीटीवी के प्रमोटर और अन्य लोगों से संबंधित मामले में हुई सीबीआई जांच के खिलाफ कुछ आरोप लगाए गए हैं. यह स्पष्ट किया जाता है कि सक्षम न्यायालय द्वारा जारी सर्च वारंट के आधार पर प्रमोटर और उनके कार्यालयों में तलाशी ली गई है. सीबीआई ने एनडीटीवी के रजिस्टर्ड ऑफिस, मीडिया स्टूडियो, न्यूज रूम या मीडिया संचालन से जुड़े परिसरों की कोई तलाशी नहीं ली है. सीबीआई प्रेस की स्वतंत्रता का पूरा सम्मान करती है और समाचार संचालन के स्वतंत्र कामकाज के लिए प्रतिबद्ध है.'
जून 2017 में सीबीआई ने प्रणय रॉय और राधिका रॉय से जुड़े कई आवास और कार्यालयों पर छापा मारा था. यह छापेमारी एनडीटीवी द्वारा ICICI बैंक को हुए लगभग 50 करोड़ रुपये के कथित नुकसान के संबंध में की गई थी.
ICICI बैंक ने 2008 में NDTV के प्रमोटरों को 375 करोड़ रुपये का लोन दिया था, जिसके लिए उन्होंने एनडीटीवी में उनकी 61% हिस्सेदारी को कोलैटरल के तौर पर इस्तेमाल किया. मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, उन पर आरोप लगा कि बैंक ने बाद में उन्हें बहुत कम ब्याज दर (19% से कम करके 9.5%) पर लोन चुकाने की अनुमति दे दी थी.
इस कटौती से कथित तौर पर ICICI बैंक को 48 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और प्रमोटर को इसका फायदा मिला. सीबीआई ने 2017 में क्वांटम सिक्योरिटीज लिमिटेड के संजय दत्त की शिकायत के आधार पर मामला दर्ज किया और इन दावों की जांच की. सीबीआई ने नवंबर 2024 में ICICI अधिकारियों द्वारा किए गए काम कोई गलती नहीं पाए जाने पर इस मामले को बंद कर दिया.
सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार यह एक स्टैंडर्ड ट्रांजेक्शन (सही लेनदेन) था और इसमें किसी भी तरह से कानून का कोई उल्लंघन या आपराधिक साजिश किए जाने जैसा कुछ नहीं था.
प्रणय रॉय पर इसी तरह के झूठे दावे 2017 में भी किए गए
बूम ने इससे पहले भी ऐसे ही कई फर्जी दावे का फैक्ट चेक किया था, जब 2017 में प्रणय रॉय के घर पर सीबीआई की रेड के बाद उनके धर्म के बारे में वॉट्सऐप पर फर्जी मैसेज शेयर किए जा रहे थे.
तब वॉट्सऐप फॉरवर्ड मैसेज में झूठा दावा किया था कि प्रणय रॉय एक बंगाली हिंदू पिता और एक आयरिश मां की संतान हैं और उनकी मां रिडेम्पशन कैथेड्रल (दिल्ली में स्थित एक चर्च) की सदस्य थीं. तब कैथेड्रल चर्च ऑफ द रिडेम्पशन के ऑफिस ने भी इन दावों का खंडन किया था.