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कोका-कोला का इतिहास और राहुल का बयान

नहीं, कोका-कोला के संस्थापक जॉन पेम्बर्टन न तो शिकंजी बेचते थे और न ही उनका आविष्कार 1800 के अंत में अमेरिका के उद्यमी वातावरण का एक उत्पाद था

By - Jency Jacob | 29 Sep 2018 7:46 PM GMT

Rahul Gandhi & John Pemberton, founder, Coca-Cola ( राहुल गांधी और कोका-कोला के संस्थापक, जॉन पेम्बर्टन ) हाल ही में, प्रधानमंत्री, नरेंद्र मोदी पर हमला करते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि भारत में उन लोगों को पुरस्कृत नहीं किया जाता जिन लोगों के पास कौशल है। राहुल गांधी, दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में एक सार्वजनिक बैठक के दौरान अन्य पिछड़े वर्ग या ओबीसी समुदाय के पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे। इस बात को स्थापित करने के लिए गांधी ने यह कहा था – “आप मुझे बताओ, कोका-कोला को किसने शुरु किया था? कौन था ये, कोई जानता है? मैं बताता हूं, कौन था। कोका-कोला कंपनी शुरु करने वाला एक शिकंजी बेचने वाला व्यक्ति था। वो अमरीका में शिकंजी बेचता था, पानी में चीनी मिलाता था। उसके अनुभव का आदर हुआ, हुनर का आदर हुआ, पैसा मिला कोका-कोला कंपनी बनी। ”  
https://platform.twitter.com/widgets.js   शिकंजी नींबू पानी से मिलता-जुलता और गर्मियों के दौरान उत्तर भारत में पिया जाने वाला प्रमुख पेय है। नींबू या नींबू का रस, अदरक का रस, नमक, जीरा पाउडर, बर्फ और पानी का उपयोग कर शिकंजी घर पर बनाया जा सकता है। लेकिन क्या कोका-कोला के संस्थापक ने अपने काम की शुरुआत शिकंजी बेचने वाले के रुप में की थी? अगर ये विवरण देखा जाए कि कैसे 1880 में कंपनी की स्थापना की गई थी और उत्पाद के साथ पेय पदार्थ का आविष्कार किया गया था और उत्पाद में मूल रूप से शराब और यहां तक कि कोकीन की छोटी खुराक शामिल थी और इसमें कई बदलाव हो रहे थे, इतिहास इस दावे का समर्थन नहीं करता है। कोका-कोला के संस्थापक जॉन पेम्बर्टन एक फार्मासिस्ट थे जो गृहयुद्ध से मोर्फिन की लत के साथ उभरे थे।
यूट्यूब
पर उपलब्ध कोका-कोला इतिहास वृत्तचित्र उन्हें एक असफल फार्मासिस्ट कहते हैं, जिन्होंने 1870 के बाद से विभिन्न उत्पादों को बनाने में अपना हाथ आजमाया था लेकिन उन्हें किसी काम में सफलता नहीं मिली थी। टाइम पत्रिका के मुताबिक, पेम्बर्टन ने अपनी बीमारियों को ठीक करने की उम्मीद से पेम्बर्टनस फ्रेंच वाइन कोका बनाया। यह एक पेय थी जिसमें कोला अखरोट और कोका वाइन शामिल था। लेकिन 1886 में, अटलांटा ने निषेध कानून पारित किया। इसके बाद उन्होंने इसमें सुधार किया और बिना शराब के एक पेय बनाया। इसका नाम बदलकर कोका-कोला रख, और जैकब फार्मेसी जैसे जॉर्जिया फार्मेसियों में इसे बेचना शुरू किया, जो उस समय सोडा पेय बेच रहे थे। हालांकि कंपनी के अपने इतिहासकारों ने शराब और कोकीन के साथ मूल संरूपण के प्रयोग को काट-छांट कर दिया है, लेकिन शताब्दी में कई
रिपोर्टों
ने दस्तावेज किया है कि पेम्बर्टन ने फॉर्मूला में शराब के बदले चीनी सिरप डाला और कोका को वैसा ही रखा। उनका नया उत्पाद 1886 में शुरू हुआ: "कोका-कोला: द टेम्प्रन्स ड्रिंक।" इसे अटलांटा में बदलते नियमों के अनुरूप रखा गया। कोका कोला को नर्व टॉनिक के रूप में भी मार्केट किया गया था। उस वर्ष प्रकाशित विज्ञापनों के अनुसार 1886 में पहली बार लॉन्च होने पर इसे थकावट से राहत देने वाले पेय के रुप में पेश किया गया था।  
Coca Cola ad, 1886   इसलिए जब पेम्बर्टन अलग-अलग फॉर्मूलेशन बना रहे थे और पैसे बनाने की तलाश में थे, उस समय शानदार विज्ञापन का दिमाग रखने वाले उनके अकाउंटें,ट
फ्रैंक एम रॉबिन्सन
थे, जिन्होंने नाम का सुझाव दिया और अब अपनी विशिष्ट लिपि में प्रसिद्ध ट्रेडमार्क "कोका कोला" लिखा था। राहुल गांधी के विपरीत, जो अपने अनुयायियों को यह मनवाना चाहते थे कि शिकंजी विक्रेता ने कंपनी का निर्माण किया और पैसा बनाया, पहले वर्ष में कोका-कोला ने कोका-कोला सिरप के केवल 25 गैलन बेचे और 76 डॉलर के खर्च के दौरान 50 डॉलर कमाए। इसके बाद, गंभीर पेट बीमारियों के कारण पेम्बर्टन के स्वास्थ्य ने उन्हें बिस्तर पर सीमित कर दिया और कंपनी को भारी नुकसान हुआ। अगस्त 1888 में जॉन पेम्बर्टन की 57 वर्ष की आयु में एक निराश व्यक्ति के रुप में मृत्यु हो गई। कोका-कोला की वेबसाइट के
इतिहास
खंड में, 2012 में प्रकाशित एक लेख में भी इसी पुष्टि की गई है।  
"Pemberton was just one of those guys who was always trying to get the golden ring. And he just didn't make it. He had no history of success. There is a good argument that suggests that had Pemberton remained the person behind the product, the product would have never achieved the successes it has achieved," said Mooney in an interview in the Coca-Cola's History Documentary.
  उत्पाद बनाने के बाद, पेम्बर्टन की असामयिक मौत के साथ यह एक चतुर व्यापारी आसा कैंडलर ने 1888 में कोका कोला कंपनी का अधिग्रहण शुरू किया और कोका कोला कंपनी को जॉर्जिया कॉर्परेशन में शामिल किया। जबकि आधुनिक अमेरिका में पेम्बेर्टन के बिना कोका-कोला नामक सफलता की कहानी नहीं होती, कंपनी के स्वयं के पुरालेखपाल, फिलिप मूनी ने 125 वर्षीय कंपनी की सफलता में उनके योगदान को खारिज कर दिया है। कोका-कोला के इतिहास वृत्तचित्र में एक साक्षात्कार में मूनी ने कहा, "पेम्बर्टन उन लोगों में से एक थे जो हमेशा सुनहरी अंगूठी पाने की कोशिश कर रहे थे। औ उन्होंने इसे नहीं बनाया। उनके पास सफलता का कोई इतिहास नहीं था। एक अच्छी बहस है जो बताती है कि अगर पेम्बर्टन उत्पाद के पीछे के व्यक्ति बने रहे थे, तो उत्पाद वो सफलता कभी हासिल नहीं करता जो इसने किया है।” राहुल गांधी ने शिकंजी शब्द का इस्तेमाल एक छोटे उद्यमी के मुद्दे को अमेरिका में बड़ा बनाने के लिए किया होगा। लेकिन कोका-कोला की विनम्र उत्पत्ति का उदाहरण अनुपयुक्त प्रतीत होता है जैसा कि जॉन पेम्बर्टन कभी भी अपने आविष्कार को दशकों बाद बाद में एक वैश्विक पेय बनता देखने में कामयाब नहीं रहे। मध्य 1880 के दशक की घटनाएं भी बताती हैं कि अमेरिका की समर्थक उद्यमी नीतियों से बहुत दूर, यह अटलांटा में 'टेंप्रेंस मूवमेंट' था, जिसने पेम्बेर्टन को अपने मूल उत्पाद को सुधारने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि वह इसे सफल सोडा पेय बना सके, जैसा कि आज भी जाना जाता है, भले ही कंपनी के अपने इतिहासकार नहीं चाहते कि दुनिया इस पर विश्वास करे।

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