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फैक्ट चेक

पुरानी असंबंधित तस्वीरों को कश्मीर का बता कर किया जा रहा है वायरल

पहली तस्वीर जून 2017 में जम्मू-कश्मीर के पुलिसकर्मी के अंतिम संस्कार पर ली गई थी, जबकि दूसरी तस्वीर गाज़ा की है जो 2014 में ली गई थी

By - Anmol Alphonso | 5 Sept 2019 12:45 PM IST

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दो तस्वीरें जिनमें से एक में महिलाओं और युवा लड़कियों को रोते हुए दिखाया गया है जबकि एक अन्य में छर्रे से जख़्मी लड़की का चेहरा दिखाया गया है, को हाल ही तस्वीरें बता कर गलत तरीके से शेयर किया जा रहा है।

यह तस्वीरों को जम्मू-कश्मीर को विशेष स्थिति का दर्जा देने वाले अनुछेद 370 को रद्द करने और इलाके में लॉकलाउन की वजह से वायरल किया जा रहा हे।



अर्काइव के लिए यहां क्लिक करें।

ट्वीट के साथ दिए गए कैप्शन में लिखा गया है, "उत्पीड़न के खिलाफ चुप्पी का मतलब है इसका समर्थन करना।"

फ़ैक्ट चेक

इमेज 1

रोते हुए युवा लड़कियों और महिलाओं की पहली तस्वीर, मुख़्तार खान द्वारा 17 जून, 2017 को श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर के पास सूरसियर में एसोसिएटेड प्रेस (एपी) इमेज के लिए लिया गया था।

यह तस्वीर तब ली गई थी जब युवा महिलाएं, कांस्टेबल तसवीर अहमद के शव को उनके अंतिम संस्कार के लिए ले जाने पर शोक व्यक्त कर रही थी।

16 जून, 2017 को जम्मू और कश्मीर के अनंतनाग में आतंकवादियों ने पुलिस वाहन पर घात लगाकर हमला किया था, जिसमें अहमद और पांच पुलिस अधिकारी मारे गए थे।


फ़ोटो साभार: एपी फ़ोटो / मुख़्तार खान

इमेज 2

दूसरी तस्वीर 2014 में इज़राइल में पुरस्कार विजेता अमेरिकी फ़ोटोग्राफ़र हीदी लेविन द्वारा ली गई थी।

इस तस्वीर में 17 साल के राव्या अबू जोमा को दिखाया गया है, जब अपने परिवार पर हुए दो इजरायली हवाई हमलों की वजह से वह बुरी तरह जख़्मी हो गई थी।

द न्यू यॉर्क टाइम्स के फ़ोटो कैप्शन के अनुसार, राव्या का चेहरा जख़्मी हो गया, उसके पैरों में छेद हो गए और उसके दाहिने हाथ की हड्डियां चकनाचूर हो गईं।

बूम ने इससे पहले 24 सितंबर, 2017 को इसी फ़ोटो का फ़ैक्ट चेक किया था, तब जब पाकिस्तान के संयुक्त राष्ट्र के प्रमुख मालेहा लोधी ने इसे कश्मीर में भारतीय सेना द्वारा चलाई गई एक गोली से घायल युवा कश्मीरी की तस्वीर बता कर फैलाने की कोशिश की थी।

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