पुलवामा हमले के बाद से कई ऐसे दावें किये गएँ जिनका सच से कोई पैरोकार नहीं | उन्ही दावों में से एक था मशहूर लेखक और अदाकार इन्दर सेन जोहर की एक फ़िल्म से जुड़ा हुआ | फ़ेसबुक पर काफी वायरल हो चुके एक पोस्ट में दावा किया गया है की जोहर पर फ़िल्माया गया और मोहम्मद रफ़ी का गाया हुआ एक गीत 'जन्नत की है ये तस्वीर ये तस्वीर न देंगे। कश्मीर है भारत का, कश्मीर न देंगे' वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भारत में बैन कर दिया गया था | कई पेजों पर जहां इसे शेयर किया गया है, पोस्ट के साथ ये कैप्शन भी है: "पचास साल पहले इस गाने को सेंसर ने कटवा दिया था लेकिन क्यों? सुने मोहम्मद रफ़ी की आवाज में यह गीत जो कभी रिलीज नहीं हो पाया सुन कर बताइये! क्या कारण रहे होंगे" |
फ़ेसबुक पर इस गीत को 'देव कैंथोला' नामक अकाउंट पर शेयर किया गया है जहाँ इसे एक हज़ार से ज़्यादा शेयर्स मिले हैं।
इस पोस्ट के आर्काइवड वर्शन को यहाँ देखा जा सकता है।
फ़ेसबुक पर यह पोस्ट काफ़ी जगह वायरल है।
इसे ट्वीट भी किया गया है।नैति अग्रवाल नामक एक ट्विटर यूज़र द्वारा ट्वीट किये गए इस गीत के साथ कुछ और कैप्शन भी लिखे गए हैं। एक कैप्शन कहता है "कश्मीर है भारत का"। इस गाने का विरोध पाकिस्तान ने किया था और रेडियो सीलोन ने इस गाने को नहीं बजाने के लिए कहा था। वाह रे हमारी कांग्रेस सरकार। इस गीत पर भी चुपचाप प्रतिबंध लगा दिया। उस व्यक्ति को सलाम जो अब इस गीत को यूट्यूब पर लाया है"
KASHMIR HAI BHARAT KAthis song was opposed by Pakistan & Radio Ceylon was told not to play this song. Our Congress govt. also quietly banned this song.Hats off to the person who now brought this song to YouTubehttps://t.co/RMV8oMEyFU via @YouTube— Naiti Agarwal (@MissNobody72)
इस गीत को यूट्यूब पर भी इसी कैप्शन के साथ देखा जा सकता है।
फैक्टचेक
'जन्नत की है तस्वीर' दरअसल वर्ष 1966 में रिलीज़ हुई हिंदी फ़िल्म जोहर इन कश्मीर का एक गीत है |
फ़िल्म भारत-पाकिस्तानी के बैकग्राउंड पर आधारित एक लव स्टोरी है जिसे खुद जोहर ने डायरेक्ट किया था |
सबसे पहला सवाल जो उठता है वो ये की यदि सोशल मीडिया पर किये जा रहे दावें सच हैं - की यह गीत कभी रिलीज़ ही नहीं हुआ - तो फ़िर आज भी इस गीत को आप यूट्यूब पर कैसे सुन सकते हैं ?
हमने इस बैन से जुडी ख़बरें भी ढूंढने की कोशिश की मगर ऐसी कोई न्यूज़ रिपोर्ट हमारे नज़र में नहीं आयी | हालांकि इसी सिलसिले में हमें ऑल्ट न्यूज़ द्वारा किया गया एक आर्टिकल मिला जिसमें सोशल मीडिया पर हो रहे दावों को गलत बताया गया है | इस आर्टिकल में ऑल्ट ने एक सरकारी दस्तावेज़ भी दिखाया जिसे हम नीचे शेयर कर रहे हैं |
इस ऑफिसियल दस्तावेज में - केंद्रीय फ़िल्म सेंसर बोर्ड, सूचना और प्रसारण मंत्रालयद्वारा जारी किया गया राजपत्र - में आधिकारिक आदेश शामिल थे। दस्तावेज़ के स्क्रीनशॉट में आप देख सकते हैं की केवल रेखांकित शब्दों 'हाजी पीर' को गाने से हटाने के लिए कहा गया था।
गीत में लिखी कुछ पंक्तियों को ऑनलाइन उपलब्ध गीत से निकाल दिया गया
था । उस वक़्त सेंसर बोर्ड के आदेश के बाद गीत को संशोधित किया गया था।
आपको बता दें की सोशल मीडिया पर दावे निराधार हैं। पुलवामा हमले और भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव के बाद से, सीमा के दोनों ओर बड़ी संख्या में गलत सूचना प्रसारित की गई है।