यूनाइटेड किंगडम (यु.के) में 2014 में हुई एक घटना को ज़ी हिंदुस्तान ने ताज़ा ख़बर बताकर प्रकाशित किया है। इस घटना में यूके की एक ईटरी (होटल) पर 'ह्यूमन फ़ीसीज़' (मानव मल) से दूषित खाना परोसने का आरोप लगा था क्योंकि यहाँ खाने के बाद कई लोगों को फ़ूड पोइज़निंग हो गयी थी। ज़ी हिंदुस्तान ने, जो की ज़ी न्यूज़ ग्रूप का हिस्सा है, 2015 में कई ब्रिटिश न्यूज़ आउट्लेट्स में छपी इस ख़बर को झूठा साम्प्रदायिक कोण देकर व उसे तबलिग़ी जमात से जोड़कर प्रकाशित किया है।
बूम ने पता लगाया की ज़ी हिंदुस्तान द्वारा छापी इस कहानी में कई विवरण, फ़र्ज़ी व्हाट्सएप्प एवं फ़ेसबुक फॉरवर्ड्स से आए हैं जो इस ख़बर को साम्प्रदायिक मोड़ देते हैं। इनके मुताबिक़ ईटरी के मालिकों ने दूषित खाना केवल जो लोग मुसलमान नहीं हैं उनको परोसा। इस 2015 की ख़बर को हाल ही में हुई घटना के रूप में दिखाने वाले मेसेज व्हाट्सएप्प एवं फ़ेसबुक पर पिछले हफ़्ते के दौरान काफ़ी वायरल हुए।
हाल ही में तबलिग़ी जमात पर जानबूझकर कोरोनावायरस फ़ैलाने का आरोप लगाया गया था| जब मार्च में दिल्ली के निज़ामुद्दीन में हुए मरकज़ में शामिल होने का बाद, समुदाय के कई लोग वायरस से संक्रमित पाए गए। ज़ी हिंदुस्तान ने इस बात से जोड़कर एक गैर-भारतीय पुरानी ख़बर को साम्प्रदायिक कोण दिया।
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23 अप्रैल को प्रकाशित हुई इस रिपोर्ट की हेड्लाइन थी - 'कबाब में परोसते थे शरीर की गंदगी, विदेश में भी वही जमाती मानसिकता।' किंतु अब ज़ी हिंदुस्तान ने हेड्लाइन बदल दिया है।
सबसे पहली फ़र्ज़ी रिपोर्ट का स्क्रीनशॉट नीचे देखें और उसका आर्काइव्ड वर्ज़न यहाँ देखें।
हिंदी में छपी ज़ी हिंदुस्तान की यह स्टोरी कहती है की नॉटिंगम का एक होटल अपने गैर मुसलमान ग्राहकों को खाने में शरीर की गंदगी मिलाकर परोसता था। इसमें यह भी कहा जाता है की होटल में दो किचन थे - एक मुसलमान ग्राहकों के लिए और एक गैरमुसलमान ग्राहकों के लिए। ज़ी हिंदुस्तान के मुताबिक़ जो ग्राहक मुसलमान नहीं हैं केवल उन्ही को यह दूषित खाना खिलाया जा रहा था। पूरी स्टोरी में कहीं भी यह घटना कबकि है यह नहीं बताया गया है जिसके कारण यह हाल ही में हुई है, ऐसा प्रतीत होता है।
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वायरल फॉरवर्ड से कैसे बनी न्यूज़ स्टोरी
इस घटना की खोज हमें 2015 की न्यूज़ रिपोर्ट्स तक ले गयी जिनमें नॉटिंगम में स्थित मोहम्मद अब्दुल बसित और अमजाद भट्टी द्वारा चलाइ एक ईटरी - 'ख़ैबर पास' को फ़ाइन किया गया था। इसका कारण यह था कि वहाँ के प्रशासन ने जाँच पड़ताल के बाद, कई लोगों को हुए फ़ूड पोइज़निंग के केस को इस होटल से जुड़ा पाया।
प्रशासन ने पाया कि होटल को फ़ाइन लगने के एक वर्ष पूर्व, 2014 में, वहाँ के कई ग्राहक बीमार पड़े थे। सभी को 'ई - कोली' नामक एक बैक्टीरिया से फ़ूड पोइज़निंग हुई थी। यह केवल मानवी आंतड़ियों में पाया जाता है। और यही बैक्टीरिया नॉटिंगम में फ़ूड पोइज़निंग से संक्रमित कई लोगों में पाया गया था। 140 से अधिक लोग इससे संक्रमित हुए थे।
नॉटिंगम सिटी काउन्सिल के फ़ूड, हेल्थ और सेफ़्टी टीम के पौल डेल्ज़ ने बीबीसी से कहा था कि - (हिंदी अनुवाद) "यह बात साफ़ है कि कुछ कर्मचारियों के हाथ धोने की आदतें सही नहीं हैं जिसके कारण खाना दूषित हुआ है।" बूम ने बीबीसी, द गार्डीयन, इंटरनेशनल बिज़नेस टाइम्स, द टेलेग्रैफ़ यूके और कई आउट्लेट्स की इस घटना से सम्बंधित न्यूज़ रिपोर्टस भी पढ़ीं।
बीबीसी की स्टोरी में यह भी लिखा था कि फ़ूड पोइज़निंग से संक्रमित लोगों में पाए गए ई - कोली बैक्टीरिया को सलाद के पत्तों में पाया गया था जो 'टेक अवे' के लिए कर्मचारीयों द्वारा बनाया जा रहा था।
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हमने ज़ी हिंदुस्तान की स्टोरी में बताए गए डेली मेल के रिपोर्ट को भी जाँचा और उसमें भी ऊपर लिखे डिटेल पाए।
किंतु इनमें से किसी भी रिपोर्ट में होटल में दो किचन होने के एवं मालिकों द्वारा केवल गैर मुसलमान ग्राहकों को दूषित खाना परोसने की बात नहीं की गयी है।
सर्च करने पर हमें इन झूठे दावों के साथ इस घटना के कई फ़ेसबुक पोस्ट मिले। व्हाट्सएप्प पर वायरल हुए इस फॉरवर्ड में भी कहीं यह घटना कब की है यह नहीं बताया गया है। और ज़ी हिंदुस्तान की स्टोरी की तरह, इसमें भी डेली मेल के उस 2015 की रिपोर्ट की लिंक दी गयी है।
बूम को यह फॉरवर्ड हिंदी में अपने हेल्पलाइन नंबर पर मिला।
ज़ी हिंदुस्तान के एडिटर से इस विषय में पूछने पर उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हमारे फ़ोन करने के पश्चात, वेब्साइट पर इस रिपोर्ट में बदलाव किए गए किंतु उन्होंने कोई करेक्शन या माफ़ीनामा जारी नहीं किया।
इस रिपोर्ट की हैडलाइन को बदला गया और तबलिग़ी जमात का नाम हटाया गया। अप्डेट हुई रिपोर्ट में से, दूषित खाना केवल मुसलमान ना होने वाले ग्राहकों को परोसने एवं दो अलग किचन होने की बातों को हटाया गया है।
नीचे फ़र्ज़ी एवं अप्डेट हुई - दोनो रिपोर्ट्स की फ़ोटो है।
ज़ी हिंदुस्तान की यह रिपोर्ट बिना किसी टिप्पणी के अप्डेट हुई है और उसके 'यु.आर.एल' में अभी भी तबलिग़ी जमात का उल्लेख है।