माइक्रोसॉफ़्ट के सह-संस्थापक बिल गेट्स (Bill Gates) के हवाले से एक फ़र्ज़ी बयान वायरल हो रहा है | इस लेख का शीर्षक है: "भारत के बारे में बिल गेट्स की राय" | यह बयान काफ़ी बड़ा है जिसे भारतीय सभ्यता और देश की आर्थिक स्थिति पर बिल गेट्स की सोच बता कर शेयर किया जा रहा है |
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रवक्ता ने यह पुष्टि की है कि इस वायरल बयान का बिल गेट्स से कोई सम्बन्ध नहीं है |
एक ईमेल जवाब में संस्था की प्रवक्ता ने बूम से बताया कि, "यह बयान जो भारतीय अर्थव्यवस्था और संस्कृति पर है, इसका बिल गेट्स से कोई सम्बन्ध नहीं है | इसका बिल गेट्स से किसी भी तरह का सम्बन्ध पूरी तरह से गलत है |"
इस बयान में बताया गया है कि माइक्रोसॉफ़्ट (Microsoft) के सह-संस्थापक ने कहा है, भारत के लोग अंध भक्ति में लीन हैं | लोग मंदिरों (temples) में बाल और पैसे चढ़ाते हैं जिन्हें बेचा जाता है, सोना चांदी चढ़ाते हैं जिनकी बोली लगाई जाती है | इस देश में लोग केवल नौकर हैं | इसके अलावा बयान आगे यह कहता है कि लोगों को मंदिरों में पैसे और बाल देने एवं भगवान को कपड़े चढ़ाने की जगह इन पैसों का इस्तेमाल परोपकार के लिए करना चाहिए, गरीब लड़कियों की शादी में मदद करना चाहिए, किसानों को बोने के लिए बीज देना चाहिए...."
नहीं, दिल्ली स्थित जामा मस्जिद ने तनिष्क के ख़िलाफ़ फ़तवा जारी नहीं किया है
यह मैसेज व्हाट्सएप्प पर वायरल हो रहा है | बूम को यह टिपलाइन पर मिला जहाँ इसकी सच्चाई के बारे में पूछा गया था |
इस सन्देश में अंग्रेजी में लिखा है जिसका हिंदी अनुवाद है:
"बिल गेट्स की भारतीय लोगों के बारे में राय पढ़ें!!! भारत दुनिया का सबसे अमीर देश है ... "यदि आप भारत में मंदिरों, चर्चों और मस्जिदों की संपत्ति बेच दें तो यह एक महाशक्ति बन जाएगा" लेकिन सबसे मज़ेदारबात यह है कि लोग यह समझने में विफ़लहैं कि वे अपने राष्ट्र में नौकरों की तरह हैं। जिसके कारण भगवान को एक किसान उसके दुर्भाग्य के लिए कोसते कोसते आत्महत्या कर लेता है इस देश में गरीब अपनी गरीबी के पीछे के सच्चे दोषियों को पहचानने में विफ़ल है। युवा अपनी बेरोजगारी के लिए ज़िम्मेदार लोगों से अंजानहै। क्या आप भगवान को बाल या धन भेंट करके पुण्य इकट्ठा करते हैं, वास्तव में .. ?? क्या देवी-देवताओं को नारियल या वस्त्र चढ़ाने से समृद्धि आती है। ?? रियल्टी में ...
बाल और नारियल या चढ़ाए गए पैसे बड़े व्यवसाय बनाते हैं। सोना / चाँदी चढ़ाने से क्या हासिल होता है .. ?? वास्तव में ये सिर्फ नीलाम किए जाते हैं। ऐसे चैरिटी का क्या फायदा ...। किसानों को बीज दान करने का प्रयास करें। गरीब लड़कियों की शादी में मदद करने की कोशिश करें। एक अनाथ बच्चे को अपनाने की कोशिश करें। किसी भूखे व्यक्ति को खाना खिलाने की कोशिश करें। किसी विकलांग व्यक्ति की मदद करने की कोशिश करें। गांव के स्कूल के पुस्तकालय में दान करने का प्रयास करें। वृद्धाश्रम में दान करने का प्रयास करें। गाँवों के स्कूलों में कोई आश्रय नहीं है, लेकिन मंदिरों में संगमरमर का फर्श है। माता-पिता स्कूल के लिए 200 / - रुपये दान करने के लिए सौ प्रश्न बनाते हैं, लेकिन बिना किसी प्रश्न के हजारों मंदिर में दान करते हैं। क्या ऐसा राष्ट्र वास्तविक अर्थों में एक महाशक्ति बन जाएगा। आप खुद को कृषक राष्ट्र कहते हैं और आपके किसान लगभग हर राज्य में आत्महत्या करते हैं।"
यही सन्देश पिछले साल भी वायरल हुआ था जब फ़ेसबुक पर कांग्रेस (Congress) नेता प्रिया दत्त ने 2019 के नवंबर में इसे शेयर किया था |
यह नीट टॉपर आकांक्षा सिंह का अकाउंट नहीं, फ़र्ज़ी ट्विटर हैंडल है
फ़ैक्ट चेक
बूम ने इस तरह के किसी भी बयान को ढूढ़ने के लिए गूगल पर कीवर्ड्स सर्च किया | हमें 14 जनवरी 2018 में एक वेबसाइट (आर्काइव) पर प्रकाशित यही सन्देश मिला | इस वेबसाइट का कोई इंट्रोडक्शन नहीं है और ना ही इस आर्टिकल का कोई सोर्स बताया है | मालूम होता है कि यह वेबसाइट इस सन्देश का उद्गम हो सकती है |
इस लेख में इस्तेमाल हुई बिल गेट्स की तस्वीर 2010 में ली गयी थी | वाल स्ट्रीट जर्नल के एक लेख में 2013 में प्रकाशित इस तस्वीर के कैप्शन में बताया गया है कि 'यह तस्वीर मई 2010' में भारत के गुलेरीआ गांव में बिल गेट्स को दिखाती है जो किसानों के साथ बैठे हैं और देश में पोलियो प्रोग्राम की चर्चा कर रहे हैं |
बूम ने खोज में वायरल हो रहा सन्देश के बारे में कुछ और साक्ष्य नहीं पाए जो इसे बिल गेट्स से जोड़ते हों |