राजस्थान के जयपुर में अतिक्रमण करने वालों से बहस और हाथापाई का पुलिसकर्मियों का एक वीडियो फिर से झूठे दावे के साथ सामने आया है। दावा किया जा रहा है कि फुटेज असम का है, जहां नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) के परिणामस्वरुप लोगों को उनके घरों से बेदखल कर दिया है।
वीडियो में पुलिसकर्मियों का विरोध करते पुरुषों और महिलाओं को घसीटते हुए दिखाया गया है।
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21 सेकंड के लंबे वायरल फुटेज के साथ कैप्शन में लिखा गया है, "एनआरसी की शुरुआत असम में हुई है। लोगों को उनके घरों से निकाला जा रहा है। मीडिया यह नहीं दिखाता है, उन्हें बेचा जा रहा है इसलिए यह वीडियो साझा करना अब हमारी जिम्मेदारी है।" यह वीडियो एनआरसी कहानी के साथ फेसबुक पर वायरल है।
द हिंदू में एक रिपोर्ट के अनुसार, असम के लिए एनआरसी पिछले साल 31 अगस्त को प्रकाशित हुई थी और इसमें 19,06,657 लोगों को शामिल नहीं किया गया था। 3,30,27,661 आवेदकों में से, कुल 3,11,21,004 नाम शामिल किए गए थे|
ऐसा ही फुटेज इंस्टाग्राम पर भी वायरल है।
फ़ैक्ट चेक
बूम यह पता लगाने में सक्षम था कि वीडियो असम का नहीं है, क्योंकि पुलिस की वर्दी पर देखा गया प्रतीक चिन्ह असम पुलिस से मेल नहीं खाता है।
हमने तब वीडियो को मुख्य फ़्रेमों में तोड़ा और रूसी खोज इंजन यैंडेक्स पर एक रिवर्स इमेज सर्च चलाया। हम उस वीडियो तक पहुंचे जो पिछले साल 2 अगस्त को ट्विटर पर अपलोड किया गया था। यूज़र ने पहचाना कि यह घटना राजस्थान के जयपुर में हुई थी।
वायरल वीडियो:: ये है हमारी #Police #Jaipur #Jda Police का यह वीडियो जरूर देख ले. @ashokgehlot51 @SachinPilot @RajGovOfficial pic.twitter.com/V5wC6JHXEH
— Surendra Bagwara Suri (@surendrasuri) August 2, 2019
एक कस्टम रेंज्ड टाइम फ़िल्टर और एक प्रासंगिक कीवर्ड खोज के बाद, हम एक और ट्वीट तक पहुंचे जिसमें यह वीडियो शामिल था। ट्वीट के विवरण के अनुसार, घटना सामरिया रोड, कानोता (जयपुर) में हुई, जहां पुलिस ने अवैध निर्माणों को ध्वस्त कर दिया गया था।
370 धारा पर लोग मोदी मोदी चिल्ला रहे है और पूरे भारत मे दलितों के , गरीबो और आदिवासियों के घर तोड़े जा रहे हैं ज़मीनों पर कब्जा किया जा रहा है !
— Bharat Prabhat Party (@sarchana1016) August 7, 2019
यह वीडियो सामरिया रोड कानोता जयपुर की है ! पुलिस Jcp मशीन लाकर घर तोड़ रही हैं !इन पुलिस बालो को तुरन्त नौकरी से बर्खास्त किया जाए ! pic.twitter.com/7Nm2wggJ2C
दरअसल, जयपुर पुलिस ने हिंदी दैनिक पत्रिका की एक ख़बर के साथ उसी ट्वीट का जवाब दिया था।लेख के अनुसार, वीडियो अतिक्रमण विरोधी अभियान का हिस्सा है जिसे जयपुर विकास प्राधिकरण (जेडीए) ने पिछले साल अगस्त में शुरू किया था। पुलिस ने दीवारों को ध्वस्त कर दिया जो अवैध रूप से ड्राइव के तहत अनुमेय सीमा से परे बनाई गई थीं। लेख में यह भी कहा गया है कि लोगों ने महिलाओं को आगे लाकर इस अभियान को बाधित करने की कोशिश की।
— Jaipur Police (@jaipur_police) August 9, 2019