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फैक्ट चेक

ब्लैक लाईव्ज़्स मैटर के 2016 में हुए प्रोटेस्ट की तस्वीर मॉर्फ़ करके वायरल

बूम ने पाया की वायरल तस्वीर एडिट की गयी है और असल तस्वीर 2016 में वॉशिंगटन में हुए एक विरोध के दौरान ली गयी थी

By - Shivani Pathak | 5 Jun 2020 7:21 PM IST

वर्ष 2016 में अमेरिका के वॉशिंगटन में हुए ब्लैक लाइव्ज़ मैटर के एक प्रोटेस्ट मार्च के दौरान ली गयी एक फ़ोटो को फ़ेसबुक पर मॉर्फ़ कर के गलत दावों के साथ वायरल किया जा रहा है।

मई 25, 2020 को अमेरिका के मिनियापोलिस में जॉर्ज फ़्लॉएड नामक निहत्थे अश्वेत व्यक्ति की पुलिस हिंसा में हुए मौत ने पुरे देश को ब्लैक लाइव्स मैटर प्रोटेस्ट्स के गिरफ्त में ले लिया है | नस्लभेद और हिरासत में हुई मौतों के विरूद्ध विश्व भर में लोग विरोध कर के ब्लैक लाइव्स मैटर के साथ अपनी ऐक्यभाव व्यक्त कर रहे हैं |

वहीं वायरल पोस्ट में एक तस्वीर शेयर की गयी है जिसमे कुछ अश्वेत लोग अपने हाथों में पोस्टर्स लिए खड़े हैं | तस्वीर में बीच में खड़ी लड़की के हाथ में दिख रहे पोस्टर पर अंग्रेजी में लिखा है 'हम अरब नहीं है के हम मारे जाने पर ख़ामोश रहें' | दूसरी महिला के हाथ में दिख रहे पोस्टर पर अंग्रेजी में लिखा है '#ब्लैक लाइव्स मैटर' |

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पोस्ट देखने के लिए यहाँ और आर्कायव के लिए यहाँ क्लिक करें।

ट्विटर पर भी यही तस्वीर ऐसी ही दावों के साथ वायरल है |


नहीं, प्रधानमंत्री मोदी ने ऐसा बिल्कुल नहीं कहा की 1 करोड़ कोविड-19 मरीज़ों का इलाज मुफ़्त में किया गया है

क्या चल रहा है अमेरिका में

25 मई 2020 को जॉर्ज फ़्लॉएड नामक 45 वर्षीय अश्वेत व्यक्ति की मिनियापोलिस में पुलिस कस्टडी में मृत्यु हो गयी। फ़्लॉएड पर एक लोकल दुकानदार ने $20 के नक़ली नोट से ख़रीददारी करने का आरोप लगाया था जिसके बाद पुलिस ने मौके पर पहुंच कर उसे गिरफ़्तार करने की कोशिश की ।

इसी दौरान एक श्वेत पुलिस कर्मचारी ने फ़्लॉएड को नियंत्रित करने के लिए उसके गर्दन पर तक़रीबन सात मिनट तक अपने घुटने को टिकाकर रखा जबकि फ़्लॉएड लगातार साँस लेने के लिए छटपटाता रहा और बार-बार अंग्रेजी में बोलता रहा, "मैं साँस नहीं ले पा रहा हूँ" । उसके बेहोश हो जाने के बाद भी पुलिस कर्मचारी ने अपना घुटना लगभग एक मिनट तक फ़्लॉएड के गर्दन से नहीं हटाया । जब फ़्लॉएड के निष्क्रिय शरीर को अस्पताल ले जाया गया तो उसे वहाँ मृत घोषित कर दिया गया। और यहाँ पढ़ें।

और यहाँ पढ़ें।

अब स्थिति क्या है

इस घटना के बाद से अमेरिका में जगह-जगह पर अश्वेत लोगों ने नस्लभेद और उनके साथ हो रहे अन्याय के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है | इन रैलियों ने कई जगह हिंसक रूप भी ले लिया है | मिनेसोटा में कई हिंसक विरोध हुए जिसके कारण राज्य में इमरजेंसी जारी कर दी गयी है । दुनियाभर में इस घटना के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाया जा रहा है।

फ़्लॉएड से जुडी घटना में शामिल चारों पुलिस कर्मचारियों को नौकरी से निकाला गया है और फ़ेडरल ब्युरो ऑफ़ इन्वेस्टिगेशन को सिवल राइट्स के विषय में जाँच करने को कहा गया है। 

फ़ैक्ट चेक

बूम ने इस फ़ोटो का गूगल पर रिवर्स इमेज सर्च किया तो हमें कई न्यूज़ रिपोर्ट्स मिलें जो वर्ष 2016 से थे | यह तस्वीर रायटर्स न्यूज़ एजेन्सी ने ली थी । असल तस्वीर में बीच में कड़ी महिला के हाथों में दिख रहे पोस्टर पर अंग्रेजी में लिखा हुआ है 'हमें मारना बंद करो' (Stop Killing Us) |


तस्वीर के साथ अंग्रेजी में एक कैप्शन है जिसमे लिखा है 'प्रदर्शनकारी ब्लाक लाईव्ज़्स मैटर के साथ वाशिंगटन, यु.एस में मार्च करते हुए, जुलाई 8, 2016

क्या थी वर्ष 2016 की घटना

वर्ष 2016 के प्रदर्शन दो अश्वेत व्यक्तियों - अल्टों स्टर्लिंग और फिलांडो कॉस्टिले - की पुलिस के हाथों हुई हत्या के ख़िलाफ़ हो रहे थे |

जुलाई 5, 2016 को सैंतीस वर्षीय अश्वेत व्यक्ति अल्टों स्टर्लिंग को दो श्वेत पुलिस अफ़सरों ने समीप से तब गोली मार दी जब वो उसपर काबू पाने की कोशिश कर रहे थें | स्टर्लिंग एक कार पार्किंग में सीडी व डीवीडी बेचा करते थें | ये घटना लूईज़ीऐना की थी।

दूसरी घटना मिनेसोटा की थी जहां डायमंड रेनौलड्स नामक एक महिला ने फ़ेसबुक पर लाइव स्ट्रीम करके बताया की कैसे उनके पार्टनर, बत्तीस वर्षीय फिलांडो कॉस्टिले को एक ट्रैफ़िक स्टॉप पर पुलिस ने जुलाई को गोली मार दी थी |

इन घटनाओ के बाद नस्लवाद और पुलिस प्रतारणा के ख़िलाफ़ पूरे अमेरिका में प्रदर्शन हुए थे | एडिट की हुई तस्वीर भी 2016 में वाशिंगटन में हुए ऐसे ही एक प्रदर्शन में ली गयी थी | और जानकारी के लिए यहाँ पढ़ें |


 


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